Janjatiya Gaurav Diwas in Hindi 2024 : देश की आजादी में जनजातीय समुदायों का भी महत्वपूर्ण योगदान था। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बिरसा मुंडा की जयंती के दिन जनजातीय गौरव दिवस को मनाया जाता है। यह दिन जनजातीय समुदायों के महत्व की भी उजागर करता है। जनजातीय समुदायों में बिरसा मुंडा, शहीद वीर नारायण, आलूरी सीता राम राजू, रानी गौंडिल्यू और कान्हू मुर्मू जैसे नाम प्रदेश थे। इस ब्लॉग में जनजातीय गौरव दिवस (Janjatiya Gaurav Diwas 2024) के बारे में जानकारी दी गई है जो इसकी महत्वता को बताता है।
This Blog Includes:
- जनजातीय गौरव दिवस के बारे में
- जनजातीय गौरव दिवस (Janjatiya Gaurav Diwas) का इतिहास क्या है?
- जनजातीय गौरव दिवस कब मनाया जाता है?
- जनजातीय गौरव दिवस 2024 की थीम क्या है?
- जनजातीय गौरव दिवस क्यों मनाया जाता हैं?
- जनजातीय गौरव दिवस का महत्व क्या है?
- जनजातीय गौरव दिवस कैसे मनाते हैं?
- जनजातीय गौरव दिवस से जुड़े तथ्य
- FAQs
जनजातीय गौरव दिवस के बारे में
जनजातीय गौरव दिवस हर साल 15 नवंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य भारत में जनजातीय समुदायों की संस्कृति, परंपराओं और उनके योगदान को सम्मानित करना है। यह दिन जनजातियों के अधिकारों की पहचान और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। यह दिन बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर उनके संघर्ष और योगदान को भी याद करता है। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार और वर्कशॉप्स का आयोजन किया जाता है।
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जनजातीय गौरव दिवस (Janjatiya Gaurav Diwas) का इतिहास क्या है?
भारत सरकार के मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर 2021 आज़ादी के 75 साल पूरे होने के जश्न के समय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने के लिए 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मंज़ूरी दी थी। जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को मान देने मनाया गया था। यह दिन उनकी स्मृति के लिए साल 2021 से जनजातीय गौरव दिवस पूरे देश में उत्साह व उमंग के साथ मनाया जाता है।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम को संथाल, तमाड़, कोल, भील, खासी और मिज़ो जैसे जनजाति समुदायों के नेतृत्व ने कई आंदोलनों में मजबूती दी थी। जनजातीय समुदायों के क्रांतिकारी आंदोलनों और संघर्षों ने उनके असीम साहस व सर्वोच्च बलिदान का प्रमाण दिया था।
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ देश के विभिन्न क्षेत्रों में जनजातीय आंदोलन राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए थे। जनजातीय समुदायों ने पूरे देश में भारतीयों को प्रेरित किया था। एक बड़े पैमाने पर जनता इन जनजातीय नायकों के बारे में अधिक जागरूक नहीं थी लेकिन उन्होंने अपना योगदान दिया था। आने वाली पीढ़ियों को देश के लिए उनके बलिदान के बारे में जागरूक करने के लिए, सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया था। यह तिथि बिरसा मुंडा की जयंती है, जिन्हें देश भर के जनजातीय समुदाय भगवान के रूप में पूजते हैं।
बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक व्यवस्था के खिलाफ देश भर में बहादुरी से लड़ाई लड़ी और ‘उलगुलान’ (क्रांति) का आह्वान करते हुए ब्रिटिश उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था।
जनजातीय गौरव दिवस कब मनाया जाता है?
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए देश भर में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाता है। यह दिन बहादुर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियों को भी समर्पित है, ताकि भावी पीढ़ियां देश की खातिर उनके बलिदान के बारे में जान सकें।
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जनजातीय गौरव दिवस 2024 की थीम क्या है?
किसी भी दिवस के सफल आयोजन के लिए उस दिवस से जुड़ी एक थीम यानि विषय निर्धारित किया जाता है। हालांकि, जनजातीय गौरव दिवस 2024 की थीम की अभी तक घोषणा नहीं की गई है।
जनजातीय गौरव दिवस क्यों मनाया जाता हैं?
जनजातीय गौरव दिवस जनजातीय समुदाय द्वारा आजादी के समय किए गए आंदोलन और योगदान को महत्व देने के लिए मनाया जाता है। यह दिन सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करने का कार्य करता है। यह दिन राष्ट्रीय गौरव, वीरता तथा आतिथ्य के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने में आदिवासियों के प्रयासों को मान्यता देता है। जनजातीय समुदायों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ देश के अलग अलग क्षेत्रों में कई आदिवासी आंदोलन किये थे। उस समय इन आदिवासी समुदायों में तामार, संथाल, खासी, भील, मिज़ो और कोल शामिल थे। यह दिन उन्हीं के सम्मान में मनाया जाता है।
जनजातीय गौरव दिवस का महत्व क्या है?
जनजातीय गौरव दिवस का महत्व भारत में जनजातीय समुदायों की संस्कृति, परंपराओं और उनके योगदान को मान्यता देना है। यह दिन अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों और उनके विकास के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाता है। बिरसा मुंडा की जयंती पर मनाए जाने के कारण, यह जनजातीय संघर्ष और उनके इतिहास को भी उजागर करता है। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन किया जाता है। ये आयोजन जनजातीय कला और मुद्दों को दर्शाते हैं। यह दिन जनजातीय लोगों की गरिमा को पहचानने और उनके अधिकारों के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
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जनजातीय गौरव दिवस कैसे मनाते हैं?
जनजातीय गौरव दिवस (Janjatiya Gaurav Diwas) को मनाने के लिए विभिन्न गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो यहां बताए जा रहे हैं-
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: जनजातीय कला, संगीत और नृत्य के प्रदर्शनों का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय कलाकार अपनी प्रतिभा दिखाते हैं।
- सेमिनार: जनजातीय मुद्दों, उनके अधिकारों और विकास योजनाओं पर चर्चा करने के लिए सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन किया जाता है। इसमें विशेषज्ञ और समुदाय के सदस्य भाग लेते हैं।
- शिक्षा और जागरूकता: स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों में जनजातीय संस्कृति और उनके योगदान पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- रैलियां: जनजातीय अधिकारों के समर्थन में रैलियां आयोजित की जाती हैं जिससे समुदाय के मुद्दों को सामने लाया जा सके।
- सरकारी योजनाओं की जानकारी: सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा जनजातीय समुदायों के लिए उपलब्ध योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी दी जाती है।
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जनजातीय गौरव दिवस से जुड़े तथ्य
जनजातीय गौरव दिवस दिवस (Janjatiya Gaurav Diwas) से जुड़े तथ्य इस प्रकार हैं:
- जनजातीय गौरव दिवस हर साल 15 नवंबर को मनाया जाता है, जो बिरसा मुंडा की जयंती है।
- बिरसा मुंडा एक प्रमुख जनजातीय नेता थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें धरती आबा (पृथ्वी के पिता) के नाम से भी जाना जाता है।
- यह दिन जनजातीय लोगों की संस्कृति, भाषा, कला, और परंपराओं को संरक्षित करने और उन्हें सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है।
- साल 2021 में भारत सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मान्यता दी थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य जनजातीय समुदायों के अधिकारों की पहचान करना, उनके मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना और उनके विकास के लिए योजनाएँ बनाना है।
- इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें जनजातीय नृत्य, संगीत, और कला शामिल होते हैं।
- विभिन्न राज्य सरकारें और स्थानीय संस्थाएँ भी इस दिन को मनाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करती हैं।
- जनजातीय गौरव दिवस पर, सरकार और एनजीओ जनजातीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए योजनाओं की जानकारी साझा करते हैं।
FAQs
जनजातीय गौरव दिवस बिरसा मुंडा की जयंती पर मनाया जाता है, जो झारखंड के एक आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। यह दिन भारत में आदिवासी समुदायों के योगदान का सम्मान करने और उनकी सांस्कृतिक विरासत और पहचान को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
बिरसा मुंडा (15 नवम्बर 1875 – 9 जून 1900) एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक थे।
जनजातीय गौरव दिवस की घोषणा भारत सरकार के द्वारा 2021 में आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में की गई थी। इसे हर साल 15 नवंबर को मनाया जाता है।
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