Govind Rashtriya Udyan: गोविंद राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हिमालय की ऊँची पहाड़ियों में स्थित एक प्रमुख पर्यावरणीय स्थल है। यह उद्यान लगभग 958 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी ऊँचाई 1,300 मीटर से लेकर 6,323 मीटर तक जाती है। 1955 में वन्यजीवों के संरक्षण के उद्देश्य से स्थापित इस क्षेत्र को 1991 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ। यहाँ की विशेषता यह है कि यह टोंस नदी से यमुना नदी में मिलती है। उद्यान में चीड़, देवदार और रोडोडेंड्रोन जैसे विविध पेड़-पौधों के साथ-साथ हिम तेंदुआ, हिमालयी भालू, कस्तूरी मृग और भरल जैसे दुर्लभ जानवरों का भी वास है। यहाँ के आकाश में मोनाल तीतर और बाज़ जैसे सुंदर पक्षी भी देखने को मिलते हैं। इस ब्लॉग में आप गोविंद राष्ट्रीय उद्यान के विविधतापूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र और वहाँ के अद्वितीय वन्यजीवों के बारे में जानेंगे।
विशेषता | जानकारी |
Govind Rashtriya Udyan की स्थापना | वर्ष 1955 में वन्यजीवों के संरक्षण हेतु स्थापित |
किसने बनवाया? | उत्तराखंड सरकार |
कहाँ स्थित है? | उत्तरकाशी जिला, उत्तराखंड, भारत |
राष्ट्रीय पार्क घोषित कब हुआ? | 1991 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थायी रूप से घोषित |
क्षेत्रफल | लगभग 472 वर्ग किलोमीटर (राष्ट्रीय उद्यान), 958 वर्ग किलोमीटर (कुल संरक्षित क्षेत्र) |
नामकरण | गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर |
मुख्य आकर्षण | हिम तेंदुआ, अन्य दुर्लभ वन्यजीव, पश्चिमी हिमालयी जैव विविधता, ट्रेकिंग मार्ग |
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गोविंद राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान (Govind Rashtriya Udyan), जिसे गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान (Govind Pashu Vihar National Park and Sanctuary) और वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuary) के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। इसे पहली बार 1955 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था, और बाद में 1990 में इसके एक हिस्से (लगभग 472 वर्ग किलोमीटर) को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ। यह उद्यान पश्चिमी हिमालय के ऊँचे क्षेत्रों में स्थित है और टोंस नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र का हिस्सा है, जो इसे पारिस्थितिकी दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाता है।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान का नाम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और महान राजनेता गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है, जिनकी राष्ट्र सेवा और योगदान को सम्मानित किया गया। यह उद्यान विशेष रूप से अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है, जहां आपको न केवल कई प्रकार के पेड़-पौधे, जैसे चीड़, देवदार, और रोडोडेंड्रोन मिलते हैं, बल्कि यहाँ हिम तेंदुआ, हिमालयी भालू, कस्तूरी मृग, और भरल जैसे दुर्लभ और अद्वितीय वन्यजीवों की भी उपस्थिति है। इसके अलावा, यहाँ के आकाश में मोनाल तीतर और बाज़ जैसे पक्षियों का दर्शन भी किया जा सकता है।
इस उद्यान का प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता इसे एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्थल बनाती है, जो न केवल वन्यजीव प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आदर्श स्थल है।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान की खासियत क्या है?
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान की खासियतें इस प्रकार हैं:
- हिम तेंदुए की उपस्थिति: गोविंद राष्ट्रीय उद्यान उन स्थानों में से एक है जहाँ बर्फ में रहने वाले हिम तेंदुए आसानी से देखे जा सकते हैं। ये तेंदुए दुर्लभ और अद्वितीय हैं, जो इसे विशेष बनाते हैं।
- जैव विविधता: यह उद्यान पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के कई दुर्लभ पेड़-पौधों और जानवरों का घर है, जो अन्यत्र आसानी से नहीं मिलते। यहाँ की जैव विविधता इसे पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बनाती है।
- सुंदर ट्रेकिंग रास्ते: यदि आपको पहाड़ों पर ट्रेकिंग करना पसंद है, तो गोविंद राष्ट्रीय उद्यान में आपको कई शानदार रास्ते मिलेंगे। हर-की-दून और रूपिन-सुपिन जैसे ट्रेकिंग मार्ग बेहद प्रसिद्ध हैं।
- पक्षियों की विविधता: यहाँ लगभग 150 तरह के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें कुछ अत्यधिक सुंदर और दुर्लभ पक्षी भी शामिल हैं। ये पक्षी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनते हैं।
- औषधीय पौधे: इस उद्यान में बहुत से औषधीय पौधे पाए जाते हैं, जो विभिन्न दवाइयों में इस्तेमाल होते हैं। यहां के जंगल से इन पौधों का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में किया जाता है।
- कुल मिलाकर, गोविंद राष्ट्रीय उद्यान अपनी विशिष्ट प्रकृति, दुर्लभ वन्यजीवों, और ट्रेकिंग अवसरों के कारण एक अत्यंत खास स्थल है।
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गोविंद राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है?
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान (Govind Rashtriya Udyan) उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मंडल में, उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह उद्यान हिमालय की ऊँची पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। पहले इसे वन्यजीवों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया था, और बाद में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। इस उद्यान का नाम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और महान नेता गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है।
गोविंद नेशनल पार्क का इतिहास क्या है?
- स्थापना (वन्यजीव अभयारण्य): 1 मार्च 1955 को, गोविंद वन्यजीव अभयारण्य के रूप में इस क्षेत्र की स्थापना की गई। इसका मुख्य उद्देश्य यहाँ की समृद्ध वन्यजीव आबादी और प्राकृतिक परिवेश का संरक्षण था।
- मुख्य उद्देश्य: अभयारण्य की स्थापना का प्राथमिक उद्देश्य इस क्षेत्र की अद्वितीय जैव विविधता, जिसमें दुर्लभ वनस्पतियाँ और जीव-जंतु शामिल हैं, को संरक्षित करना था।
- जैव विविधता का संरक्षण: यह कदम विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र की विशिष्ट जैव विविधता को बचाने के लिए उठाया गया, जो अन्यत्र दुर्लभ और असामान्य प्रजातियों का घर है।
- राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा: 1990 में, इस अभयारण्य के एक महत्वपूर्ण हिस्से को गोविंद राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अपग्रेड किया गया, जिससे इसे अधिक संरक्षण और प्रशासनिक समर्थन मिला।
- संरक्षण प्रयास: राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिलने के बाद, वन्यजीवों और प्राकृतिक संसाधनों के सतत संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया, और इस क्षेत्र में संरक्षण प्रयासों को और भी सुदृढ़ किया गया।
- नामकरण: इस संरक्षित क्षेत्र का नाम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व गृह मंत्री गोविंद बल्लभ पंत के सम्मान में रखा गया, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- गोविंद बल्लभ पंत का योगदान: गोविंद बल्लभ पंत ने 1955 में भारत के गृह मंत्री के रूप में कार्य किया और हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करने में उनका अहम योगदान था।
- विकास: गोविंद नेशनल पार्क का ऐतिहासिक विकास एक वन्यजीव अभयारण्य से शुरू हुआ और समय के साथ इसे एक राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ।
- लक्ष्य: इस विकास का प्रमुख उद्देश्य इस हिमालयी क्षेत्र की प्राकृतिक धरोहर और वन्यजीवों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखना है।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति और जीव-जंतु कौन-कौन से हैं?
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान अपनी समृद्ध और विविध वनस्पति और जीव-जंतुओं के लिए जाना जाता है। यहाँ की ऊँचाई और जलवायु में भिन्नता के कारण विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और जानवर पाए जाते हैं। जो इस प्रकार हैं:
वनस्पति (Flora)
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान में मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार की वनस्पति पाएं जाते हैं:
- निचले क्षेत्रों में
- चीड़ (Chir Pine – Pinus roxburghii)
- देवदार (Deodar Cedar – Cedrus deodara)
- बांज (Oak – Quercus spp.)
- अन्य पर्णपाती वृक्ष (Deciduous trees) जैसे मेपल (Acer spp.), अखरोट (Juglans regia), हॉर्स चेस्टनट (Aesculus indica), हेज़ल (Corylus spp.)
- रोडोडेंड्रोन (Rhododendron spp.) की विभिन्न प्रजातियाँ
- ऊँचे क्षेत्रों में (लगभग 2600 मीटर से ऊपर)
- ब्लू पाइन (Pinus wallichiana)
- सिल्वर फर (Abies pindrow)
- स्प्रूस (Picea spp.)
- यू (Yew – Taxus wallichiana)
- अल्पाइन झाड़ियाँ और घास के मैदानयह उद्यान विभिन्न प्रकार की औषधीय जड़ी-बूटियों से भी समृद्ध है।
जीव-जंतु (Fauna)
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान (Govind Rashtriya Udyan) में कई दुर्लभ और लुप्तप्राय वन्यजीव पाए जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
वन्यजीव का नाम | वैज्ञानिक नाम |
हिम तेंदुआ | Panthera uncia |
हिमालयी काला भालू | Ursus thibetanus laniger |
भूरा भालू | Ursus arctos |
कस्तूरी मृग | Moschus chrysogaster |
भरल (नीली भेड़) | Pseudois nayaur |
हिमालयी तहर | Hemitragus jemlahicus |
सीरो | Capricornis thar |
आम तेंदुआ | Panthera pardus |
जंगली सूअर | Sus scrofa |
गोरल | Naemorhedus goral |
छोटे स्तनधारी | भारतीय साही (Indian Crested Porcupine), ऊदबिलाव (European Otter), सिवेट, हेजहोग, हिमालयी क्षेत्र चूहा, उड़ने वाली गिलहरी आदि |
पक्षी (Birds)
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए भी एक स्वर्ग है। यहाँ लगभग 150 प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें कुछ महत्वपूर्ण हैं:
पक्षी का नाम | वैज्ञानिक नाम |
सुनहरा बाज़ | Aquila chrysaetos |
स्टेपी बाज़ | Aquila nipalensis |
काला बाज़ | Ictinaetus malayensis |
दाढ़ी वाला गिद्ध | Gypaetus barbatus (लैमरगियर) |
हिमालयी स्नोकॉक | Tetraogallus himalayensis |
हिमालयी मोनाल तीतर | Lophophorus impejanus |
चीयर तीतर | Catreus wallichii |
पश्चिमी ट्रैगोपैन | Tragopan melanocephalus |
- विभिन्न अन्य पक्षी प्रजातियाँ: उल्लू, कबूतर, मिनिवेट, थ्रश, वार्बलर, बुलबुल, तोते, कोयल, टिट्स, बंटिंग और फिंच
रेप्टाइल्स
यहाँ कुछ सरीसृप प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कॉमन इंडियन मॉनिटर (Varanus bengalensis)
- हिमालयन पिट वाइपर (Gloydius himalayanus)
- हिमालयन कीलबैक (Herpetoreas platyceps)
- कॉमन ब्रोंज़बैक (Dendrelaphis tristis)
- हिमालयन स्किंक (Asymblepharus himalayanus)
- इंडियन रॉक गेको (Hemidactylus flaviviridis)
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गोविंद नेशनल पार्क का प्रमुख आकर्षण केंद्र क्या हैं?
गोविंद नेशनल पार्क के प्रमुख आकर्षण केंद्र बिंदुओं में इस प्रकार हैं:
- हिम तेंदुआ: यह पार्क हिम तेंदुओं का महत्वपूर्ण आवास है और इन्हें देखने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।
- मनोरम दृश्य: यहाँ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ और खूबसूरत घाटियाँ हैं जो आँखों को सुकून देते हैं।
- हर-की-दून घाटी: यह घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ट्रेकिंग के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
- विविध वन्यजीव: पार्क में हिमालयी भालू, कस्तूरी मृग, भरल और अन्य कई प्रकार के जानवर देखे जा सकते हैं।
- पक्षियों का स्वर्ग: पक्षी प्रेमियों के लिए यह एक शानदार जगह है जहाँ कई रंग-बिरंगी प्रजातियों के पक्षी मिलते हैं।
- शांत वातावरण: शहर के शोरगुल से दूर, यहाँ की हरी-भरी और शांत प्रकृति बहुत सुकून देती है।
- ट्रेकिंग के अवसर: रोमांच पसंद करने वालों के लिए यहाँ कई बेहतरीन ट्रेकिंग मार्ग उपलब्ध हैं।
FAQs
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1 मार्च 1955 को हुई थी।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है।
गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान हिम तेंदुआ परियोजना के लिए प्रसिद्ध है।
वर्तमान में लगभग 107 राष्ट्रीय उद्यान हैं।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान से टोंस नदी बहती है। यह नदी उद्यान के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र से निकलती है और यमुना नदी से मिलती है।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान में कई दुर्लभ और लुप्तप्राय वन्यजीव पाए जाते हैं, जिनमें हिम तेंदुआ, हिमालयी काला भालू, कस्तूरी मृग, भरल, हिमालयी तहर, और आम तेंदुआ जैसे जानवर शामिल हैं।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान का नाम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने भारत के गृह मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान में कई दुर्लभ और खास पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें हिमालयी मोनाल तीतर, सुनहरा बाज़, स्टेपी बाज़, दाढ़ी वाला गिद्ध, और पश्चिमी ट्रैगोपैन जैसे पक्षी शामिल हैं।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 472 वर्ग किलोमीटर है। कुल संरक्षित क्षेत्र का आकार लगभग 958 वर्ग किलोमीटर है।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुआ, भूरा भालू, कस्तूरी मृग, पश्चिमी ट्रैगोपैन जैसे कई दुर्लभ और लुप्तप्राय जीव-जंतु पाए जाते हैं।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान के भीतर हर-की-दून घाटी एक प्रसिद्ध ट्रेकिंग स्थल है, जबकि रुइनसारा उच्च ऊंचाई वाली झील पर्यटन के लिए बहुत लोकप्रिय है।
गोविंद राष्ट्रीय उद्यान टोंस नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है। टोंस नदी यमुना नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है और यह गढ़वाल के ऊपरी हिस्सों में बहती है।
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