Birsa Munda Poems in Hindi: पढ़िए आदिवासी समाज के संरक्षक महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा जी के जीवन पर लिखी कविताएं, जो करेंगी युवाओं का मार्गदर्शन

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Birsa Munda Poems in Hindi

जब-जब मातृभूमि, संस्कृति और माटी पर संकट का समय आता है, या जब-जब सभ्य समाज कहीं नींद गहरी सो जाता है, तब-तब कविताएं समाज की सोई चेतना को जगाती हैं। हर दौर में ऐसे अनेकों महान कवि हुए, जिन्होंने अपने सच्चे इतिहास को गर्व से गाया। ऐसे ही एक महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा जी भी हैं, जिन पर पर रचित कविताएं सदा के लिए अमर हो गयीं। बिरसा मुंडा जी पर लिखी कविताएं आज तक भारत के युवाओं को प्रेरित कर रहीं हैं। Birsa Munda Poems in Hindi के माध्यम से आप बिरसा मुंडा की कविताएं पढ़ पाएंगे, जिसके लिए आपको ब्लॉग को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।

बिरसा मुंडा कौन थे?

स्वतंत्रता संग्राम के लिए आदिवासी समाज का नेतृत्व करने वाले तथा भारत की महान संस्कृति का संरक्षण करने वाले, बिरसा मुंडा जी के परम बलिदान ने समाज को जगाने का काम किया। उनके परम बलिदानों के कारण ही उन्हें भगवान बिरसा मुंडा के नाम से संबोधित किया जाता है। बिरसा मुंडा जी केवल आदिवासी समाज के लोगों के लिए पूजनीय नहीं हैं, बल्कि उनका सम्मान देश का हर वो नागरिक करता है, जिसके लिए मातृभूमि के प्रति समर्पण सर्वोपरि होता है।

बिरसा मुंडा जी का जन्म झारखंड के 15 नवंबर 1875 को उलीहातू में हुआ था। बिरसा मुंडा जी एक गरीब आदिवासी परिवार से आते थे। बचपन से ही आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के बारे में रूचि रखने वाले बिरसा मुंडा वर्ष 1895 में एक धार्मिक नेता के रूप में उभरे।

इतिहास के पन्नों को पलटकर देखा जाए आप पाएंगे कि बिरसा मुंडा जी एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (आज के झारखंड) में हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया था। इसी के बाद उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान मिला।

बिरसा मुंडा ने आदिवासी लोगों को ब्रिटिश शासन और साहूकारों के शोषण के विरुद्ध एकत्र कर अपनी संस्कृति और परंपराओं को बचाने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप उनके नेतृत्व में आदिवासी समाज ने अंग्रेजों के खिलाफ कई विद्रोह किये, जिससे तंग आकर ब्रिटिश सरकार ने बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर, रांची सेंट्रल जेल में कैद कर दिया। जहाँ 9 जून 1900 को उन्हें अंग्रेजों द्वारा मार दिया गया।

Birsa Munda Poems in Hindi

Birsa Munda Poems in Hindi के माध्यम से आप आदिवासी समाज के संरक्षक भगवान बिरसा मुंडा जी के जीवन पर आधारित कविताओं को पढ़ सकते हैं। बिरसा मुंडा जी के जीवन पर आधारित कविताएँ निम्नलिखित हैं;

बिरसा मुंडा 

Birsa Munda Poems in Hindi के माध्यम से आप बिरसा मुंडा जी के चरित्र को जान सकते हैं, जिसमें उन पर लिखी कविता “बिरसा मुंडा” भी है। यह एक ऐसी कविता है, जिसने बिरसा मुंडा जी के जीवन को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है।

क्रांति की अमिट कहानी था।
वह वीर बहुत अभिमानी था।
डरा नहीं वह गोरों से,
लहज़ा उसका तूफ़ानी था।

जल जंगल धरती की ख़ातिर,
जिसने सबकुछ वारा था।
क्रांति बसी थी रग-रग में,
वह जलता हुआ अंगारा था।

सन् 1875 में जन्मा,
राँची के उलिहातू ग्राम में।
नाम था बिरसा मुंडा जिसका,
जो हटा न कभी संग्राम में।

आदिवासियों का महापुरुष,
जो आज भी पूजा जाता है।
जिसकी गाथा सुनने से,
रग-रग में साहस भर जाता है।

मानवता के विरुद्ध ज़ुल्म जब,
बहुत अधिक बढ़ जाता है।
बिरसा जैसा महापुरुष,
तब ज़ुल्म मिटाने आता है।

रमाकांत चौधरी

बिरसा तुम्हें प्रणाम

Birsa Munda Poems in Hindi के माध्यम से आप बिरसा मुंडा जी के जीवन पर आधारित कविताओं को पढ़ सकते हैं, जिसमें से “बिरसा तुम्हें प्रणाम” भी एक प्रसिद्ध कविता है।

उलिहातू में जन्म था, कानन सिंह समान।
करमी जिनकी मात है, पितु सुगना कुल भान।

आदिवासी राष्ट्र का, तू है सच्चा पूत।
आन बान अर शान तू, कानून की तू धूप।

मातृभूमि का लाल है, धन्य तुम्हारी मात।
बलिदानी जीवन रहा, नमन तुम्हारे तात।

जल जंगल नारा दिया, सदा रहे निज धाम।
राज देश स्व का रहे, बिरसा का पैगाम।

क्रांतिकारी देशभक्त, बिरसा तुम्हें प्रणाम।
गौरव तू मन देश का, जग में तेरा नाम।

बुद्धि प्रकश महावर ‘मन’ (दौसा राजस्थान)

बिरसा मुंडा

Birsa Munda Poems in Hindi के माध्यम से आप बिरसा मुंडा के बलिदान पर रचित कविता “बिरसा मुंडा” को पढ़ सकते हैं, जिसका उद्देश्य आप तक बिरसा मुंडा जी के बलिदान की गौरव गाथा को पहुंचाना है।

एक आदिवासी नाम था जिसका बिरसा मुंडा,
नाम इसका जानता होगा कोई विरला,
जल जंगल ज़मीन की लड़ लड़ाई,
कर गया यह आदिवासी काम महान,
था वह एक स्वतंत्रता सेनानी,
जिसके प्रयासों ने आज आदिवासी समाज को,
देश भर में दिलवाया सम्मान,
हर वर्ष पंद्रह नवम्बर बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को,
मनाया जाएगा जनजातीय गौरव के रूप में,
मोदी जी ने किया यह ऐलान।

मंजू आनंद 

वनवास का गरल

Birsa Munda Poems in Hindi के माध्यम से आप आदिवासी समाज और बिरसा मुंडा जी पर रचित कविता “वनवास का गरल” को पढ़ सकते हैं, जो आपके सामने जनजातियों के महान इतिहास को प्रस्तुत करेगी।

चलो भरें हुंकार कहें, हम जंगल के रहवासी हैं।
काननसुत इस भूमि के, हम कहलाते वनवासी हैं।
प्रकृति की गोदी में पलते, हम जीवन धन्य बनाते हैं।
आदिकाल से हम संरक्षक, आदिवासी कहलाते है।
यहाँ गर्भ में बेटी-बहनें, नहीं मिटाई जाती हैं।
दौलत के लालच में बहुऐं, नहीं जलाई जाती हैं।
हम ही शबरीवंशज, जिसघर वो रघुनंदन आऐ थे।
छुआछूत,सब भेद मिटाकर, जूठे फल भी खाऐ थे।
भूल गये आजादी के हित, इक विद्रोह हमारा था।
शब्द भी मुंडा बिरसा का, हमको प्राणों से प्यारा था।
भूले अल्बर्ट एक्का अबतक, अपनी शान बढ़ाता है।
देश पे न्योछावर हो कर के, परम वीर कहलाता है।
धान्य विहीन भले रहते,पर स्वार्थ नहीं दिखलाते हम।
मजहब के ठेकेदार बने, आतंक नहीं फैलाते हम।
अधिकारों की जंग लड़ें, इस कारण शायद ज़िंदा हैं।
हालत देख हमारी पावन, “उलगुलान” शर्मिंदा है।
ये दौर नहीं है महुये का विज्ञान, धरे मँडराने का।
ये दौर नहीं है जातिवाद के, दंशों से डर जाने का।
जो छबि बनाई लोगों ने, वो छबि बदलना बाक़ी है।
फिर “धरती-बाबा” के, पदचिन्हों पे चलना बाक़ी है।
त्याग सकल दुष्कर्मों को, नवपीढ़ी का कल्याण करो।
या समाज का दंश सहो, चुल्लु भर जल में डूब मरो।

-विजय कुमार विद्रोही

आशा है कि Birsa Munda Poems in Hindi के माध्यम से आप बिरसा मुंडा जी के जीवन पर आधारित कविताओं को पढ़ पाएं होंगे, जो कि आपको सदा प्रेरित करती रहेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा, इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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