किसी भी देश के लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए चार स्तंभ की जरूरत होती है। ये चार स्तंभ हैं – विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और पत्रकारिता। पत्रकारिता को जनता की आवाज भी समझा जाता है। इसके जरिए ही आम जनमानस की खबरें सत्ता में बैठे लोगों तक पहुंचती हैं। जिससे वे अपना कार्य और बेहतर तरीके से कर पाते हैं। आइए इस ब्लॉग में आपको राष्ट्रीय प्रेस दिवस के बारे में विस्तार से बताते हैं कि इसका क्या इतिहास, महत्व और महत्वपूर्ण कारण क्या-क्या हैं।
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राष्ट्रीय प्रेस दिवस का इतिहास
वर्ष 1956 में प्रथम प्रेस आयोग ने एक ऐसा निकाय बनाने का निर्णय लिया जिसका काम पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों को बनाए रखना होगा। इसके बाद 4 जुलाई 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई। इस परिषद ने 16 नवंबर, 1966 को पूर्ण रूप से कार्य करना शुरू किया। तब से लेकर अभी तक , प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को भारतीय पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। भारतीय प्रेस परिषद की ऑफिशियल वेबसाइट पर मौजूद एक नोटिफिकेशन के अनुसार, परिषद के अध्यक्ष के साथ ही कुल 28 सदस्य भी होंगे। परिषद का अध्यक्ष परिपाटी के अनुसार, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे। वहीं 28 सदस्य में से 20 भारत में संचालित होने वाले मीडिया समूहों से संबंधित होते हैं। वहीं 5 सदस्य को संसद के दोनों सदनों से नामित किया जाता है। बाकी बचे 3 सदस्यों का नामांकन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारतीय विधिज्ञ परिषद और साहित्य अकादमी द्वारा किया जाता है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस क्यों मनाते हैं?
भारत में 16 नवंबर, 1966 के दिन से ही भारतीय प्रेस परिषद ने कार्य करना शुरू किया था। तब से ही 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश में कई जगहों पर कार्यक्रम किए जाते हैं। यह दिन देश में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की उपस्थिति को दर्शाता है। विषम से विषम परिस्थितियों के बावजूद पत्रकार समाज से जुड़ी खबरों को लेकर आता है। इसलिए पत्रकार को समाज का आईना भी कहते हैं, पत्रकार बिना किसी डर, द्वेष और पक्षपात के बिना सच्चाई को दिखाता है। यह दिन प्रेस की स्वतंत्रता के साथ ही समाज के प्रति मीडिया की जिम्मेदारियों को भी दर्शाता है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस किस तिथि को मनाया जाता है?
राष्ट्रीय प्रेस दिवस प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन से ही भारत में प्रेस परिषद ने कार्य करना शुरू किया था। तब से लेकर प्रतिवर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस और अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस में अंतर
भारतीय प्रेस दिवस प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को मनाया जाता है, वहीं अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस का आयोजन प्रत्येक वर्ष 3 मई को मनाया जाता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस की शुरुआत 1966 से की गई वहीं अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस के लिए यूनेस्को ने 1991 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का विचार रखा था। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1993 में आधिकारिक तौर पर 3 मई को अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में प्रस्तावित किया।
प्रेस का कार्य
पत्रकारिता का मुख्य कार्य समाज की सारी गतिविधियों का संकलन करने के बाद उससे हमें अवगत कराना है। मीडिया को समाजा का आईना भी कहा जाता है। मीडिया में दी गई खबरों के माध्यम से लोगों की समस्या और सुझाव संबंधित लोगों तक आसानी से पहुंच जाते हैं। मीडिया का कार्य देश ही नहीं विदेश में होने वाली घटनाओं के बारे में लोगों को अवगत कराना है।
प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत
वर्ष 2023 में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत का स्थान 161 था। इस रिपोर्ट में कुल 180 देश शामिल किए गये थे। इस सूचकांक में टॉप 10 देश निम्नलिखित हैं।
रैंक | देश का नाम |
1 | नॉर्वे |
2 | आयरलैंड |
3 | डेनमार्क |
4 | स्वीडन |
5 | फिनलैंड |
6 | नीदरलैंड |
7 | लिथुआनिया |
8 | एस्टोनिया |
9 | पुर्तगाल |
10 | ईस्टर तिमोर |
161 | भारत |
FAQs
राष्ट्रीय प्रेस दिवस 16 नवंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 16 नवंबर, 1996 से हुई थी।
अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस 3 मई को मनाया जाता है। इसको संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1993 में आधिकारिक तौर पर मनाना शुरू किया था।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत का स्थान 161वां है।
इसी तारीख से ही भारतीय प्रेस परिषद ने कार्य करना शुरू किया था।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको राष्ट्रीय प्रेस दिवस के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।