भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जिसे हम “तिरंगा” कहते हैं, हमारे देश की आज़ादी, एकता और गौरव का प्रतीक है। इसे फहराने के लिए कुछ विशेष नियम और आदर्श स्थापित किए गए हैं, जिन्हें हर नागरिक को जानना चाहिए और इनका पालन करना चाहिए। तिरंगे के नियमों का पालन करने से न केवल हमारे तिरंगे का सम्मान बढ़ता है, बल्कि यह देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, जिसे मनाने की शुरुआत झंडा फहराने से की जाती है। इस साल भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है, जिस अवसर पर हमें हमारे राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास और इसके नियमों की भी जानकारी होनी चाहिए। इस लेख में आपके लिए तिरंगा फहराने के नियम और इसकी संपूर्ण जानकारी दी गई है, जिसे पढ़कर आपके सामान्य ज्ञान में वृद्धि होगी।
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तिरंगे का महत्व
हर भारतीय के जीवन में तिरंगे का महत्व होता है, क्योंकि ये हर भारतीय में देशप्रेम की भावना को बल देने का काम करता है। बता दें कि तिरंगे में तीन रंग होते हैं – केसरिया, सफेद और हरा। इसमें केसरिया रंग शक्ति और साहस का प्रतीक है, सफेद रंग शांति और सत्य का, और हरा रंग समृद्धि और विकास का प्रतीक है। इसके बीच में स्थापित अशोक चक्र में 24 तीलियां हैं, जो निरंतर प्रगति और समय के महत्व को दर्शाती हैं।
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तिरंगा फहराने के नियम
यहाँ आपके लिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के नियम दिए गए है :-
- तिरंगा कभी भी गंदा प्रदर्शित नहीं करना चाहिए, तिरंगे को हमेशा सम्मान के साथ रखें।
- झंडे को उल्टा करके, नीचे केसरिया रंग की पट्टी के साथ प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए।
- किसी अन्य झंडे को तिरंगे के ऊपर, उससे ऊंचा नहीं रखना चाहिए।
- राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग सजावट के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
- झंडे को जमीन पर न गिरने दे।
- तिरंगा कमर से नीचे पहने जाने वाले कपड़ों या वर्दी का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
- ध्वज का उपयोग वाहनों या किसी भी चीज को ढंकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
- ध्वज को ऐसी जगह फहराएं जहाँ से वो सबको दिखे।
- तिरंगा फहराने के नियम में झंडे को रखने के लिए उसे हाथ पर रख कर ले जाना चाहिए।
- तिरंगे को कभी भी झुका कर नहीं फहराना चाहिए।
- सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही ध्वजारोहण कर सकते हैं।
- नए कोड की धारा 2 सभी निजी नागरिकों को अपने परिसर में तिरंगा फहराने के अधिकार को स्वीकार करती है।
- सार्वजनिक, निजी संगठन या शैक्षणिक संस्थान का कोई सदस्य तिरंगे की गरिमा और सम्मान के अनुरूप सभी दिनों और अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है या प्रदर्शित कर सकता है।
- राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय उसके महत्व को पहचानते हुए सम्मान और गरिमा की भावना से फहराएं।
- झंडे में कोई नारा, शब्द या डिजाइन जोड़कर उसे प्रस्तुत न करें।
- झंडे को रात में तब तक फहराया या प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि उस पर रोशनी न हो।
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तिरंगे के प्रति हर भारतीय का कर्तव्य
तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं है, यह हमारे देश की आत्मा का प्रतीक है। तिरंगा हर भारतीय को समान अधिकार और स्वतंत्रता से अपने सपने पूरे करने का अधिकार देता है। तिरंगा ही हर भारतीय की पहली पहचान होते हैं, इसे फहराने के नियमों का पालन करके हम अपने राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा और सम्मान के भाव को प्रकट करते हैं। तिरंगा फहराने के नियम हमें यह सिखाते हैं कि राष्ट्र का सम्मान और गरिमा बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। तिरंगे के साथ हमारा जुड़ाव न केवल हमें गर्वित करता है, बल्कि हमें अपने देश के प्रति और अधिक जिम्मेदार बनाता है।
FAQs
तिरंगे के अपमान में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 2 और 3 लगती हैं।
झंडा फहराने के बाद, तिरंगे को सूर्यास्त से पहले उतार लेना चाहिए।
अगर कोई भारतीय ध्वज का अनादर करता है तो उसे तीन वर्षों तक की कारावास या जुर्माने से दंडित किया जाता है, या जुर्माना और कारावास दोनों से दंडित किया जाएगा।
ध्वजारोहण में झंडे को ऊपर चढ़ाया जाता है, जबकि ध्वज फहराना में झंडे की डोर खींचकर उसे खोलकर फहरा दिया जाता है।
राष्ट्र ध्वज यदि झुका हो, जमीन से छू रहा हो या फिर उसका कुछ हिस्सा पानी में न डूब रहा हो तो यह तिरंगे के अपमान के रूप में देखा जाता है।
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