गणतंत्र दिवस पर छोटी सी कविता जिसमें मिलेगा देशप्रेम का भाव

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गणतंत्र दिवस पर छोटी सी कविता

गणतंत्र दिवस पर छोटी सी कविता: साल 2025 में भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस धूमधाम से मना रहा है। यह दिन भारतीय इतिहास का एक सुनहरा अध्याय है, जब 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और भारत एक संपूर्ण गणतंत्र बना। उस ऐतिहासिक पल को चिह्नित करते हुए, देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया। गणतंत्र दिवस न केवल हमारे लोकतंत्र का उत्सव है, बल्कि यह देशभक्ति और एकता के जज्बे को अभिव्यक्त करने का भी अवसर है। इस दिन स्कूलों, सभाओं, और विभिन्न आयोजनों में कविता पाठ का विशेष महत्व होता है। देशभक्ति से ओतप्रोत ये कविताएं हर भारतीय के मन में गर्व और प्रेरणा का संचार करती हैं। तो आइए, गणतंत्र दिवस के इस पावन अवसर पर देशभक्ति से भरी खूबसूरत कविताओं को पढ़ें और इस राष्ट्रीय पर्व को अपनी भावना और शब्दों से और भी खास बनाएं। गणतंत्र दिवस पर छोटी सी कविता (Short Poem on Republic Day in Hindi) के माध्यम से आपको देशभक्ति की अद्भुत झलक मिलेगी।

गणतंत्र दिवस पर छोटी कविताएं 

गणतंत्र दिवस पर छोटी सी कविता (Short Poem on Republic Day in Hindi) आपको देशभक्ति के रंग में रंगने का काम करेंगी। ये कविताएं कुछ इस प्रकार हैं:

हरिवंश राय बच्चन की कविता ‘एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो’

एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
इन जंजीरों की चर्चा में कितनों ने निज हाथ बंधाए,
कितनों ने इनको छूने के कारण कारागार बसाए,
इन्हें पकड़ने में कितनों ने लाठी खाई, कोड़े ओड़े,
और इन्हें झटके देने में कितनों ने निज प्राण गंवाए!
किंतु शहीदों की आहों से शापित लोहा, कच्चा धागा।
एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।

जय बोलो उस धीर व्रती की जिसने सोता देश जगाया,
जिसने मिट्टी के पुतलों को वीरों का बाना पहनाया,
जिसने आजादी लेने की एक निराली राह निकाली,
और स्वयं उसपर चलने में जिसने अपना शीश चढ़ाया,
घृणा मिटाने को दुनियाँ से लिखा लहू से जिसने अपने,
‘जो कि तुम्हारे हित विष घोले, तुम उसके हित अमृत घोलो।’
एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।

हरिवंश राय बच्चन

Short Poem on Republic Day in Hindi

खुशवंत सिंह की कविता ‘मेरा भारत’

मेरा भारत, मेरी मातृभूमि,
तू है अद्भुत और सुंदर।
तेरी धरती, तेरा आकाश,
तेरी नदियाँ, तेरे पर्वत,
सब ही अविस्मरणीय हैं।

तेरे लोग, तेरे संस्कृति,
तेरी विरासत, तेरा इतिहास,
सब ही गौरवशाली हैं।

तू है सत्य, तू है धर्म,
तू है शांति, तू है अहिंसा।
तू है ज्ञान, तू है दर्शन,
तू है प्रकाश, तू है जीवन।

मेरा भारत, मेरी मातृभूमि,
तू है मेरे हृदय में बसता।
मैं तेरा सदैव ऋणी रहूँगा।

-खुशवंत सिंह


शंकर शैलेन्द्र की कविता ‘हम आज़ादी के दीवाने’

विजयी वीर सिपाही
हम आज़ाद हिंद फ़ौज के

विद्रोही मल्लाही
आज़ादी का दुश्मन जो हो

यूँ ही छोड़ न देंगे
दम न लेंगे जब तक

ये बंधन भी तोड़ न लेंगे
पहन भेड़ की खाल भेड़िए

कब तक छुपे रहेंगे
आज़ादी पर मरने वाले

शीश न और झुकेंगे।

– शंकर शैलेन्द्र


राम प्रसाद बिस्मिल की कविता ‘वो चुप रहने को कहते हैं जो हम फ़रियाद करते हैं’

इलाही ख़ैर वो हर दम नई बेदाद करते हैं
हमीं तोहमत लगाते हैं जो हम फ़रियाद करते हैं

कभी आज़ाद करते हैं कभी बेदाद करते हैं
मगर उस पर भी हम सौ जी से उन को याद करते हैं

असीरान-ए-क़फ़स से काश ये सय्याद कह देता
रहो आज़ाद हो कर हम तुम्हें आज़ाद करते हैं

रहा करता है अहल-ए-ग़म को क्या क्या इंतिज़ार इस का
कि देखें वो दिल-ए-नाशाद को कब शाद करते हैं

ये कह कह कर बसर की उम्र हम ने क़ैद-ए-उल्फ़त में
वो अब आज़ाद करते हैं वो अब आज़ाद करते हैं

सितम ऐसा नहीं देखा जफ़ा ऐसी नहीं देखी
वो चुप रहने को कहते हैं जो हम फ़रियाद करते हैं

ये बात अच्छी नहीं होती ये बात अच्छी नहीं होती
हमें बेकस समझ कर आप क्यूँ बर्बाद करते हैं

कोई बिस्मिल बनाता है जो मक़्तल में हमें ‘बिस्मिल’
तो हम डर कर दबी आवाज़ से फ़रियाद करते हैं।

– राम प्रसाद बिस्मिल

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उम्मीद है, गणतंत्र दिवस पर छोटी सी कविता (Short Poem on Republic Day in Hindi) पढ़कर आपको अच्छा लगा होगा। इसी तरह की कविताएं और ट्रेंडिंग इवेंट्स से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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