भारत में इस साल 26 जनवरी को भारत 76वां गणतंत्र दिवस मनाएगा, इस दिन को हर साल पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को यादगार बनाने के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित करते हैं और ध्वजारोहण समारोह आयोजित करते हैं। स्टूडेंट्स को ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में क्या अंतर है के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए क्योंकि इससे जुड़े सवाल लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, इसलिए इस ब्लाॅग में हम ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में क्या अंतर है (Dhwajarohan aur Dhwaj Fahrane me Antar), के बारे में जानेंगे।
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ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में क्या अंतर है?
भारत में हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के अवसर पर झंडा फहराया जाता है और इन दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने में अंतर भी होते हैं। एक को ध्वजारोहण (Hoisting) कहते हैं और दूसरे को झंडा फहराना (Unfurling) कहते हैं, ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में क्या अंतर है भी जानना जरूरी है तो आपको बता दें कि जब ध्वज को ऊपर की ओर खींचकर फहराया जाता है तो इसे ध्वजारोहण कहते हैं। वहीं गणतंत्र दिवस के अवसर पर पर राष्ट्रीय ध्वज ऊपर बंधा रहता है और उसको खोलकर फहराते हैं और इसे झंडा फहराना कहा जाता है।
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26 जनवरी को झंडा कितने बजे फहराया जाता है?
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस वाले दिन ध्वजारोहण समारोह सुबह 8 बजे से 9.45 बजे तक शुरू होता है। इसके बाद 9:30 बजे और 10 बजे के बीच परेड शुरू होती है। वहीं अलग-अलग राज्यों की झांकियां भी निकाली जाती हैं।
ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में अंतर
ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में अंतर को आसानी से समझने के लिए नीचे दी गई तालिका को जरूर देखें –
ध्वजारोहण (Hoisting) | ध्वज फहराना (Unfurling) |
हर साल स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के अवसर पर ध्वजारोहण किया जाता है। | हर साल गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के अवसर पर ध्वज फहराया जाता है। |
इसमें झंडा नीचे बंधा होता है और उसे ऊपर की ओर खींचकर फहराया जाता है। | इसमें झंडा पहले से ही ध्वजदंड के शीर्ष पर बंधा होता है और उसे केवल खोला जाता है। |
ध्वजारोहण प्रतीक है – ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने का। | यह प्रतीक है – संविधान के लागू होने और भारत के गणतंत्र बनने का। |
इस प्रक्रिया में प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं। | इसमें भारत के राष्ट्रपति द्वारा झंडा फहराया जाता है। |
इसमें लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। | इसमें कर्तव्य पथ (राजपथ) पर झंडा फहराया जाता है। |
इस प्रक्रिया में झंडा फहराने के बाद भारत के प्रधानमंत्री का संबोधन होता है। | इस प्रक्रिया में महामहिम राष्ट्रपति द्वारा झंडा फहराने के बाद परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। |
15 अगस्त 1947 को पहली बार ध्वजारोहण किया गया। | 26 जनवरी 1950 को पहली बार ध्वज फहराया गया। |
FAQs
ध्वजारोहण का अर्थ है ध्वज को नीचे से ऊपर की ओर खींचकर फहराना। यह प्रक्रिया आमतौर पर स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के अवसर पर की जाती है।
ध्वज फहराने का अर्थ है पहले से बंधे हुए ध्वज को खोलकर फहराना। यह गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के अवसर पर किया जाता है।
ध्वजारोहण में ध्वज को नीचे से ऊपर खींचा जाता है, जबकि ध्वज फहराने में ध्वज पहले से ही ऊपर बंधा होता है और उसे केवल खोला जाता है।
स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण इसलिए किया जाता है क्योंकि यह हमारे देश की आजादी का प्रतीक है। यह दिखाता है कि हमने कितने बड़े संघर्ष के बाद आजादी पाई और अपने झंडे को शान से फहराया है।
गणतंत्र दिवस पर ध्वज फहराना हमारे संविधान और गणराज्य की स्थापना का प्रतीक है। इसे राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाता है।
ध्वजारोहण का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है, जब भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के लिए संघर्ष किया। जबकि, ध्वज फहराने की परंपरा गणतंत्र की घोषणा के बाद शुरू हुई।
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उम्मीद है अब आप जीके में आने वाले इस सवाल जो कि ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में क्या अंतर है (Dhwajarohan aur Dhwaj Fahrane me Antar) का जवाब जान गए हैं। इसी तरह के जीके और ट्रेंडिंग इवेंट्स से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।