हर साल 15 मार्च के दिन को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस उपभोक्ताओं के अधिकारों और उनकी आवश्यकताओं की जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देने के लिए इस दिन सेमिनार, सभाएँ और कैम्प्स लगाए जाते हैं। यह दिवस मनाया जाता है ताकि एक उपभोक्ता अपने अधिकारों को समझ सके और उपभोक्ता अपने अधिकारों के हनन को रोक उसके खिलाफ आवाज उठा सके।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का इतिहास
15 मार्च 1962 के दिन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा कांग्रेस को एक विशेष सन्देश भेजा गया। यहीं से विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की शुरुआत हुई। उपभोक्ता आंदोलन ने सर्वप्रथम 1983 में दस्तक दी और उसके बाद रफ़्तार पकड़ी। तबसे लेकर अब तक हर साल इस दिन को महत्त्वपूर्ण मुद्दों और अभियानों पर कार्यवाही करने के लिए मनाया जाता है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का महत्व
यूँ तो दुनियाभर में 15 मार्च के दिन को विश्व उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन हमारे देश भारत में 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके पीछे कारण यह है की भारत के राष्ट्रपति ने इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1949 के अधिनियम को स्वीकार किया था।
भारत में उपभोक्ताओं के अधिकार
भारत में उपभोक्ताओं के अधिकारों को ‘सूचना का अधिकार’ कहा जाता है। भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा उपभोक्ताओं को 6 अधिकार दिए गए हैं।भारत में उपभोक्ताओं के 6 अधिकार कुछ इस प्रकार हैं –
- सुरक्षा का अधिकार
- सूचित किए जाने का अधिकार
- चुनने का अधिकार
- सुने जाने का अधिकार
- समस्या के समाधान का अधिकार
- उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2023 थीम
हर साल विश्व उपभोक्ता दिवस एक थीम के तहत मनाया जाता है। इस साल 2023 की निर्धारित थीम है – “स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण”। यह थीम चुनने के पीछे कई प्रेरक कारण हैं जैसे कि स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल, प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम। इसका मुख्य उद्देश्य इन सबके प्रति जागरूकता उत्पन्न करना है।
ऐसी ही रोमांचक जानकारी के लिए बने रहिए हमारी वेबसाइट के साथ।