Mahasweta Devi Biography In Hindi : महाश्वेता देवी बांग्ला की महान लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षिका, पत्रकार और आंदोलनकारी के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने साहित्य सृजन के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में विशेषतौर पर ‘लोधास’ और ‘शबर’ जनजातियों के लिए काफी किया था। इसके साथ ही वे लंबे समय तक ‘कोलकाता विश्वविद्यालय’ में अंग्रेजी की लेक्चरर रहीं। उनकी साहित्यिक कृतियों का कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका हैं। क्या आप जानते हैं कि वे पहली ऐसी लेखिका थीं जिन्हें साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति और महान नेता ‘नेल्सन मंडेला’ के हाथों “ज्ञानपीठ पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें वर्ष 2006 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान “पद्म विभूषण” से भी नवाजा जा चुका हैं।
बता दें कि महाश्वेता देवी की की रचनाओं को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में अंग्रेजी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी महाश्वेता देवी का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम सुविख्यात लेखिका महाश्वेता देवी का जीवन परिचय (Mahasweta Devi Biography In Hindi) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | महाश्वेता देवी (Mahasweta Devi) |
जन्म | 14 जनवरी, 1926 |
जन्म स्थान | ढाका, बांग्लादेश |
शिक्षा | एम.ए. (अंग्रेज़ी साहित्य) कलकत्ता विश्वविद्यालय |
पिता का नाम | मनीष घटक |
माता का नाम | धारीत्री देवी |
पति का नाम | बिजन भट्टाचार्य |
विधाएँ | कविता, उपन्यास, कहानी, विमर्श |
भाषा | बांग्ला, अंगेजी |
पुरस्कार एवं सम्मान | साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म विभूषण व रेमन मैग्सेसे पुरस्कार |
निधन | 28 जुलाई, 2016 कोलकाता |
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अविभाजित भारत के ढाका में हुआ था जन्म – Mahasweta Devi Biography In Hindi
बांग्ला की सुविख्यात लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी (Mahasweta Devi) का जन्म 14 जनवरी, 1926 को अविभाजित भारत के ढाका (वर्तमान बांग्लादेश की राजधानी) में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘मनीष घटक’ था जो पेशे से प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार थे। जबकि उनकी माता ‘धारित्री देवी’ एक लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। वहीं देश के विभाजन के बाद उनका परिवार कोलकाता आकर बस गया।
अंग्रेजी में किया एम.ए
महाश्वेता देवी ने ‘विश्वभारती विश्वविद्यालय’, शांतिनिकेतन से अंग्रेजी विषय में बीए (ऑनर्स) पास करने के बाद ‘कलकत्ता विश्वविद्यालय’ से अंग्रेजी में एम.ए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने शिक्षिका और पत्रकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। फिर उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की लेक्चरार के रूप में नौकरी मिल गई। वर्ष 1984 में यहाँ से सेवानिवृत होने के बाद वे पूर्ण रूप से साहित्य सृजन और सामाजिक कार्यों में जुट गई। उनका विवाह बांग्ला के प्रसिद्ध नाट्य कलाकार ‘बिजन भट्टाचार्य’ के साथ हुआ था। बता दें कि बिजन भट्टाचार्य ‘इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन’ (इप्टा) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे
साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण
बताया जाता है कि स्कूली शिक्षा के दौरान ही महाश्वेता देवी का साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। शुरुआत में वे कविता लिखा करती थी लेकिन बाद में उन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं में भी अपनी लेखनी चलाई। उनका पहला उपन्यास ‘नाती’ वर्ष 1957 में प्रकाशित हुआ था। अब तक उनके कई उपन्यास और दर्जनों कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। वहीं ‘जंगल के दावेदार’ उपन्यास के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। क्या आप जानते हैं कि उनकी कई रचनाओं पर फिल्म भी बन चुकी हैं, जिनमें वर्ष 1968 में ‘संघर्ष’, वर्ष 1993 में ‘रुदाली’, वर्ष 1998 में ‘हजार चौरासी की माँ’ और वर्ष 2006 में आयी ‘माटी’ प्रमुख हैं।
महाश्वेता देवी की साहित्यिक रचनाएँ – Mahasweta Devi Books in Hindi
महाश्वेता देवी ने साहित्य की कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। वहीं उनकी रचनाओं का आधुनिक भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ हैं। यहाँ महाश्वेता देवी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं –
हिंदी में अनूदित उपन्यास
- चोट्टि मुण्डा और उसका तीर
- जंगल के दावेदार – (बिरसा मुंडा की गाथा)
- अग्निगर्भ – (नक्सलबाड़ी आदिवासी विद्रोह की पृष्ठभूमि पर आधारित उपन्यास)
- अक्लांत कौरव
- 1084वें की माँ
- श्री श्रीगणेश महिमा
- बनिया-बहू
- नटी
- अमृत संचय
- जली थी अग्निशिखा
- भटकाव
- नीलछवि
- टेरोडैक्टिल
- दौलति
- ग्राम बांग्ला
- शाल-गिरह की पुकार पर
- भूख
- झाँसी की रानी
- आंधारमानिक
- उन्तीसवीं धारा का आरोपी
- मातृछवि
- सच-झूठ
- कवि वन्द्यघटी गाईं का जीवन और मृत्यु
कहानी-संग्रह
- पचास कहानियाँ
- कृष्ण द्वादशी
- घहराती घटाएँ
- ईंट के ऊपर ईंट
- मूर्ति
विमर्श
- भारत में बँधुआ मजदूर
पुरस्कार एवं सम्मान
महाश्वेता देवी (Mahasweta Devi Biography In Hindi) को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- साहित्य अकादमी पुरस्कार – वर्ष 1979
- पद्म श्री – वर्ष 1986
- ज्ञानपीठ पुरस्कार – वर्ष 1996 में साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति और महान नेता ‘नेल्सन मंडेला’ के हाथों सम्मानित
- रेमन मैग्सेसे पुरस्कार – वर्ष 1997
- पद्म विभूषण – वर्ष 2006
कोलकाता में हुआ निधन
महाश्वेता देवी ने दशकों तक साहित्य के क्षेत्र में अनुपम कृतियों का सृजन किया था। इसके साथ ही वह एक जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं। किंतु वृद्धावस्था के कारण 90 वर्ष की आयु में 28 जुलाई, 2016 को उनका कोलकाता में निधन हो गया। 28 जुलाई को उनकी 8वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। वहीं साहित्य और समाज सेवा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ सुविख्यात लेखिका महाश्वेता देवी का जीवन परिचय (Mahasweta Devi Biography In Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं –
FAQs
उनका जन्म 14 जनवरी, 1926 को अविभाजित भारत के ढाका (वर्तमान बांग्लादेश की राजधानी) में हुआ था।
उनके पिता का नाम मनीष घटक जबकि माता का नाम धरित्री देवी था।
‘झाँसी की रानी’ उपन्यास का प्रकाशन वर्ष 1956 में हुआ था।
भारत के विभाजन के बाद महाश्वेता देवी का परिवार कोलकाता आकर बस गया था।
वर्ष 1997 में उन्हें ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
उनके पिता बांग्ला भाषा के लेखक थे।
90 वर्ष की आयु में 28 जुलाई, 2016 को उनका निधन हो गया था।
आशा है कि आपको सुविख्यात लेखिका महाश्वेता देवी का जीवन परिचय (Mahasweta Devi Biography In Hindi) पर यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।