Holi kyu Manate Hai 2024 : कैसे पड़ा होलिकोत्सव नाम, इसके पीछे है रोचक कहानी

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Holi kyu Manate Hai

Holi kyu manate hai 2024: होली का त्योहार हिंदू धर्म के पवित्र और मुख्य त्योहारों में से एक है। होली हम सब मनाते हैं। होली का त्योहार रंगों का त्योहार है जो वसंत ऋतु में मनाया जाता है। होली का त्योहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने-अपने गाँवों, मुहल्लों में उपलों, लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं। फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज (गेहूँ, जौ आदि) की बालियों को भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं। दहन का अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं।

इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े, बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं। सड़कों पर मस्त युवकों की टोलियाँ गाती-बजाती निकलती हैं। एक-दूसरे को मिठाइयाँ खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं। Holi kyu manate hai इसकी पूरी जानकारी नीचे दी गई है यह बहुत आकर्षक और सीख देने वाली कहानी है आइए देखते हैं।

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होली क्यों मनाई जाती है ? – Holi kyu manate hai

होली एक ऐसा पवित्र त्योहार है, जिसमें छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, जाति-पाँति आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को गले लगा लेता है। लोग पुरानी से पुरानी शत्रुता भी होली के दिन भुला देते हैं। परंतु यह सब मनाने के बाद भी कई लोग Holi kyu manate hai यह नहीं जानते होली क्यों मनाई गई होली मनाए जाने का कारण कई लोगों को पता नहीं है इसलिए कई लोगों का प्रश्न होता है कि Holi kyu manate hai जानते हैं यहां।

होली कब है ?

holi kyon manae jaati hai होली ज़्यादातर मार्च के महीनें में देखने को मिलती है लेकिन तिथि बदलती रहती है। आइए जानते है आने वाले सालों में कौनसी तिथि पर आएगा होली का पर्व।

वर्ष तिथि
होली 2022 19 मार्च 2022
होली 2023 08 मार्च 2023
होली 2024 25 मार्च 2024
होली 2025 14 मार्च 2025
होली 2026 03 मार्च 2026

होली मनाए जाने के पीछे कहानी

वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एव भाव से जुड़ी है इन्हें जानने के लिए Holi kyu manate hai के ब्लॉग को पढ़ना जारी रखें।

हिरण्यकश्यप और प्रहलाद की अत्यधिक प्रचलित कहानी

holi kyon manae jaati hai के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी तथा अत्यंत बलशाली असुर राजा था। अपनी शक्ति के मद में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। जो अपने को ही भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करती थी, पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था।

Courtesy: Patrika

उसने अपने पिता की बात न मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही खुदको लीन रखा। पिता के क्रोध की सीमा न रही। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए, पर ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल न हो सका।

हिरण्यकश्यप की एक बहन थी, जिसका नाम था, होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठाकर आग लगा दी गई, पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रहलाद तो बच गया, पर होलिका जल गई। इसी घटना की याद में हर साल रात को होलिका जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। 

भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी

होली को लेकर अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोपियों को बचाया था तब से होली का प्रचलन हुआ।

COURTESY: POPSUGAR

वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और ग्वाले- गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व प्रसिद्ध मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ। हिंदू धर्म में एक ही त्योहार के मनाए जाने के पीछे कई कहानियां है परंतु Holi kyu manate hai? इसके पीछे जुड़ी श्री कृष्ण की कहानी को बहुत कम लोग जानते हैं।

हिंदू मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण ने रंगों के माध्यम से रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। सूरदास नंददास आदि कृष्ण भक्त कवियों ने श्री कृष्ण और राधा के होली खेलने का बड़ा ही मनोहारी वर्णन उनके पदों में किया है। आज भी वृंदावन की कुंज गलियों में जब सुनहरी पिचकारी उसे रंग बिरंगे फव्वारे छूटते हैं तथा अबीर गुलाल बिखरता है तो स्वयं देवता भी भारत भूमि में जन्म लेना चाहने लगते हैं देश विदेश से अनेक लोग वृंदावन की होली देखने आते हैं।

परंतु होली के विषय में सबसे प्रसिद्ध कथा प्रह्लाद और अत्याचारी हिरण्यकश्यप की है। Holi kyu manate hai यह जानना हमारे लिए ज़रूरी है यह हमें जानकारी के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं और हिंदू धर्म पर आधारित कथाओं को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी करता है।

होली मनाए जाने के पीछे का भाव

COURTESY: BRITANNICA

होली के दिन लोग एक दूसरे से मिलने जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है। इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगा लेते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, स्त्री-पुरुष, बालक-वृद्ध के बीच की सभी दीवारें टूट जाती है मनुष्य केवल मनुष्य रह जाता है। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं। होली मनाए जाने की पीछे का भाव यह है  कि लोग एक-दूसरे से शत्रुता को भूल जाए और फिर से रिश्तों की शुरुआत करें होली का त्योहार आपसी मतभेद और बैर को दूर करने का त्योहार है। Holi kyu manate hai ये जान्ने के साथ साथ देश विदेश सभी जगह होली का क्या प्रभाव है और सभी लोग होली कैसे मनाते है ये जानना भी आवश्यक है। पढ़ना जारी रखें।

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होली के अलग-अलग रूप

holi kyon manae jaati hai में जानेगे कि विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है तो आइए Holi kyu manate hai के इस ब्लॉग में देखते हैं अलग-अलग होली कैसे मनाई जाती है।

वृंदावन और मथुरा में होली

COURTESY: NEWSTV18

उत्तर प्रदेश के ये मंदिर शहर होली मनाने के लिए जगह-जगह हैं। होली के अनूठे उत्सव का अनुभव करने के लिए हर साल मार्च के महीने में दुनिया भर के लोग इन दो शहरों में जाते हैं। मथुरा में, होली का उत्सव एक भव्य प्रसंग है क्योंकि यह भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है। मंदिरों को सजाया जाता है और घाटों के चारों ओर संगीतमय जुलूस निकाले जाते हैं। लोग मजेदार रस्मों में भाग लेते हैं जैसे लठामार होली, फूलों वाली होली और लोकप्रिय रंगवाली होली। वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर होली उत्सव के लिए आकर्षण का केंद्र है जहाँ लोग फूलों का उपयोग कर होली खेलते हैं! ये उत्सव एक सप्ताह से अधिक समय तक चलते हैं।

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पंजाब में होली

courtesy: adotrip

पंजाब में होला मोहल्ला नामक एक त्योहार है जो हिंदू त्योहार होली के साथ मेल खाता है। यह तीन दिवसीय त्योहार है जहां सिख अपनी सैन्य शैली और साहस का प्रदर्शन करके त्योहार मनाते हैं। इसमें घुड़सवारी, रंगों के साथ खेलना, भांगड़ा, संगीत बजाना और कविता पाठ करना जैसे कई मज़ेदार समारोह शामिल हैं।

राजस्थान में होली

Holi Kyu Manate hai
Braj Holi in Rajasthan
Courtesy: TourMyIndia

हिंदू राजघरानों का घर। यह राज्य जानता है कि होली कैसे मनाई जाती है। होली के लिए सबसे अच्छे शहर अजमेर, उदयपुर, पुष्कर, बीकानेर और जयपुर हैं। उत्सव की शुरुआत होलिका के पुतलों को जलाने और होली की पूर्व संध्या पर अलाव जलाने से होती है, अगले दिन लोगों को लोक संगीत का आनंद लेते हुए देखा जा सकता है। राजस्थान में माली होली जैसी विविधताएँ भी हैं जहाँ पुरुष महिलाओं पर रंग फेंकते हैं जबकि महिलाएँ कपड़े या डंडे के टुकड़ों से प्रतिशोध लेती हैं। 

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केरल में होली

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courtesy: bookmyflowers

इसका नाम मंजुल कुली है और कुछ मंदिरों में कोंकणी समुदायों, कुडुम्बी और गौड़ सारावत ब्राह्मणों द्वारा मनाया जाता है। अनुष्ठानों में होली की पूर्व संध्या पर अलाव जलाना या देवी दुर्गा को अर्पित करने के लिए मिट्टी से मगरमच्छ का निर्माण करना और बुराई पर लड़ाई शामिल है। अगले दिन इन समुदायों के सभी सदस्य रंगों से खेलते हैं और नृत्य करते हैं।

होली सेलिब्रेशन अब्रॉड

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courtesy: thinkright.me

हजारों विदेशी होली मनाने के लिए भारत आते हैं, लेकिन कई भारतीय दुनियां के कई कोनों में रहते हैं और वहीं रहकर होली मनाते हैं। यह त्योहार नेपाल, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अधिक जैसे देशों में लोकप्रिय है।

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होली की परंपराएँ

वैदिक काल में इस पर्व को नवात्रैष्टि यज्ञ कहा जाता था। उस समय खेत में आधे पक्के अनाज को यज्ञ में दान किया जाता था। अन्न को होला कहते हैं, इसी से इसका नाम होलिकोत्सव पड़ा। भारतीय महीनो के अनुसार इसके बाद चैत्र महीने का आरंभ होता है। अतः यह पर्व नवसंवत का आरंभ तथा वसंतागमन का प्रतीक भी है।

एक अन्य कथा के अनुसार त्रेतायुग की शुरुआत में भगवन विष्णु जी ने धूलि का वंदन किया था। इसलिए होली के इस त्यौहार को धुलेंडी के नाम से भी मनाया जाता है। धुलेंडी होली के अगले दिन मनाया जाता है जिसमें लोग एक दूसरे पर धुल और कीचड़ लगाते हैं और इसे धूल स्नान कहा जाता है।

होली पर कुछ कविताएं

रंगों के त्यौहार में सभी रंगो की है भरमार , ढेर सारी खुशियों से भरा आपका संसार , यही दुआ है भगवान से हमारी हर बार, होली मुबारक हो मेरे यार!

प्यार के रंगों से भरो पिचकारी,  स्नेह के रंगों से रंग दो दुनिया सारी!  यह रंग ना जाने ना कोई जात न बोली , सबको हो मुबारक ये हैप्पी होली!

आज के समय में होली का महत्व

बदलते युग के साथ त्योहारों को मनाने का तरीका और लोगों की नज़र में उसकी महत्वता भी बदलती जा रही है। विश्व भर में युवाओं का क्रेज़ और इंट्रस्ट टेक्नोलॉजी और पार्टी की तरफ ज़्यादा रहता है जिसके कारण वे हर त्यौहार को सलीके से मनाने की जगह उसे पार्टी सेलिब्रेशन के दिन की तरह मनाता है। जैसे पहले ज़्यादातर परिवार सिर्फ गुलाल और फूलों का प्रयोग कर इस त्यौहार को मनाया करते थे लेकिन आज इस प्रक्रिया को अभद्र आकार दे दिया गया है।

अब गुलाल और फूलों की जगह केमिकल वाले रंगो और गुब्बारों ने ले ली है। अब लोग अपने घरों में मिठाईयां न बना कर त्यौहार पर बाज़ार की मिठाईयों का सेवन करते हैं। हालाकि कुछ घरों में आज भी होली पुराने रिवाज़ों और रस्मों के साथ मनाई जाती है लेकिन उनकी संख्या काफी कम है। ये सभी प्रक्रिया आज के समय में होली की महत्वता को दर्शाती है।

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FAQ

होली हम कैसे मनाते हैं?

पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है।

होली कब और क्यों मनाया जाता है?

होली, जिसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है, फाल्गुन (मार्च) के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली मनाने के लिए तेज संगीत, ड्रम आदि के बीच विभिन्न रंगों और पानी को एक दूसरे पर फेंका जाता है। भारत में कई अन्य त्योहारों की तरह, होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली के त्यौहार पर क्या क्या किया जाता है कोई पांच बातें लिखिए?

सभी लोग सारे गिले शिकवे को भूल कर एक दूसरे को रंग – गुलाल लगाते हैं। फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं और घरों में तरह तरह के पकवान बनाये जाते हैं। होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।

होली पर निबंध कैसे लिखा जाता है?

होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं।

होली कितने देशों में मनाई जाती है

विदेशों में होली पाकिस्तान, बंगलादेश, श्री लंका और मरिशस में भारतीय परंपरा के अनुरूप ही होली मनाई जाती है। प्रवासी भारतीय जहाँ-जहाँ जाकर बसे हैं वहाँ वहाँ होली की परंपरा पाई जाती है। कैरिबियाई देशों में बड़े धूमधाम और मौज-मस्ती के साथ होली का त्यौहार मनाया जाता है।

आशा है कि आपको होली क्यों मनाते है? (Holi kyu manate hai) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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