होली लोक गीत: होली के इन लोकगीतों से भरिए जीवन में नए रंग

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होली लोक गीत

होली रंगों का त्यौहार है। होली संकेत है सर्दी के मौसम की विदाई का और गर्मी की ऋतु के आगमन का। होली का त्यौहार मौज मस्ती, ढोल ताशे और मेल-जॉल का त्यौहार है। होली के दिन लोग मस्ती में एक दूसरे पर रंग लगाते हैं और मौज में  झूमते हुए ठंडाई पीते हैं और गुजिया और नमकीन का स्वाद लेते हैं। ऐसे में होली के दौरान गाए जाने वाले लोकगीत इस मस्ती भरे त्यौहार में और भी उत्साह भर देते हैं। यहाँ होली के कुछ प्रचलित होली लोक गीत दिए जा रहे हैं जो आपके होली के उत्सव में उत्साह के कुछ विशेष रंग भर देंगे।

लोकगीत क्या होते हैं?

लोकगीत Holi Hindi Songs लोक समाज के गीत होते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी मुख से मुख तक, बिना किसी लिखित रूप के, ज़ुबानी तरीके से एक दूसरे तक पह्नुंचते रहते हैं। इन गीतों में लोक जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे सामजिक रीति रिवाज, जन्म और मृत्यु, धार्मिक विश्वास, प्रकृति का वर्णन और इतिहास आदि का वर्णन देखने को मिलता है।

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होली लोकगीतों में क्या होता है?

होली लोक गीत (Holi Hindi Songs) होली के त्यौहार से जुड़े गीत होते हैं। इन गीतों में होली के त्यौहार से जुड़े विभिन्न पहलुओं का वर्णन होता है। इन गीतों में होली खेलने का उत्साह, रंगों का खेल, प्रेम, मस्ती सामजिक सौहार्द आदि विषयों को आधार बनाकर गीत गाए जाते हैं। होली के लोकगीत Holi Hindi Songs होली के त्यौहार का महत्वपूर्ण अंग हैं। ये लोकगीत होली के त्यौहार के उत्साह और उमंग को बढ़ाते हैं और लोगों को एकजुट करते हैं।

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होली के लोकगीत 

यहाँ होली के कुछ प्रचलित लोकगीत दिए जा रहे हैं-

होली के ब्रज में गाए जाने वाले लोकगीत 

आज बृज में होली रे रसिया:
आज बृज में होली रे रसिया,
आज बृज में होली रे रसिया,
हुरिया रसिया डरपत न करिया,
मोरी पिया तो रंग लगाई देंगे।
आज बृज में होली रे रसिया,
आज बृज में होली रे रसिया,
बनवारी रसिया डरपत न करिया,
मोरी पिया तो रंग लगाई देंगे।
आज बृज में होली रे रसिया,
आज बृज में होली रे रसिया,
श्याम रसिया डरपत न करिया,
मोरी पिया तो रंग लगाई देंगे।

केसरिया बालम आवो

केसरिया बालम आवो,
होरी खेलन आवो,
आज रंगों की बहार,
होली का त्योहार।
आज होली खेलन आवो,
रंगों की फुहार,
खुशियां मनाने आवो,
होली का त्योहार।

मोरी छैया छैया

मोरी छैया छैया,
छैया छैया छैया,
होली खेलन आवो,
मेरे संग खेलो नंदलाला।
मोरी छैया छैया,
छैया छैया छैया,
रंगों की फुहार,
खेलो संग प्यारी राधा।

सुनो जी ब्रजवासी

सुनो जी ब्रजवासी,
होली आई रे,
आओ रंगों में डूबो,
खुशियां मनाओ रे।
होली आई रे,
होली आई रे,
रंगों की फुहार,
खुशियां मनाओ रे।

हमें तो रंग दे

हमें तो रंग दे,
गोपाल कृष्ण मुरारी,
होली के रंगों से,
भर दे जीवन हमारा।
हमें तो रंग दे,
हमें तो रंग दे,
रंगों की फुहार,
खुशियां मनाओ रे।

राजस्थानी होली लोकगीत 

राजस्थानी होली लोकगीत नीचे दिए गए हैं-

होली लोक गीत

फागण आया रे

फागण आया रे, रंगों की बहार,
आओ मिल खेलें होली, होली की है धूमार।
फागण आया रे,
ढोलक बजाई,
बनवारी संग खेले,
होली की है धूमार।
फागण आया रे,
गोपियाँ गायें,
रंगों की फुहार,
होली की है धूमार।

डोला रे डोला

डोला रे डोला, डोला रे डोला,
फागण आया रे, होली खेलन आवो।
डोला रे डोला, डोला रे डोला,
रंगों की फुहार, खुशियां मनाओ।
डोला रे डोला, डोला रे डोला,
होली आई रे, रंगों में डूबो।

रंगो में डूबे

रंगों में डूबे,
खुशियां मनाओ,
होली आई रे,
उत्साह से गाओ।
रंगों में डूबे,
डांस करो,
होली का त्योहार,
मनाओ बड़े प्यार से।

होली खेलै नंदलाला

होली खेलै नंदलाला,
गोपियों संग रंगों में डूबे।
होली खेलै नंदलाला,
ढोलक बजाई,
फागण की धूम मचाई।
होली खेलै नंदलाला,
रंगों की फुहार,
खुशियां मनाओ यार।

रंगों की बहार

रंगों की बहार,
होली का त्योहार,
आओ मिल खेलें होली,
उत्साह से यार।
रंगों की बहार,
डांस करो,
होली का त्योहार,
मनाओ बड़े प्यार से।

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पहाड़ी प्रसिद्द होली लोक गीत 

पहाड़ी प्रसिद्द होली लोक गीत नीचे दिए गए हैं-

1. झलकत ललित त्रिभंग मधुर श्री रंग, जब धरी रे मुरलिया। फाग मची, डफ झांझ झमक गये, बाजत बीन मृदंग। ‘चारु’ कदम तर शोभित नटवर, वारौ कोटी अनंग।।
झलकत ललित त्रिभंग मधुर श्री रंग, जब धरी रे मुरलिया। फाग मची, डफ झांझ झमक गये, बाजत बीन मृदंग। ‘चारु’ कदम तर शोभित नटवर, वारौ कोटी अनंग।।

2. आज राधे रानी चली, चली ब्रज नगरी, ब्रज मण्डल में धूम मची है। वषन आभूषण सजे सब अंग-अंग पर, मानो शरद ऋतु चन्द्र चली (री)
बहार अब कैसे जोवना बचाओगी गोरी, फागुन मस्त महीने की होरी। बरज रही बर जो नहीं माने, संय्या मांगे जोबना उमरिया की थोरी।

3. अब तो रहूंगी अनबोली, कैसी खेलाई होरी।
रंग की गगर मोपे सारी ही डारी, भीज गई तन चोली।
सगरो जोवन मोरा झलकन लागो, लाज गई अनमोली।।

4. अचरा पकड़ रस लीनो, 
होरी के दिनन में रंग को छयल मोरा।   
अबीर गुलाल मलुंगी वदन में, केशर रंग बरसाऊँ।

5. कहत निषाद सुनो रघुनन्दन,
नाथ न लूं तुमसे उतराई।
नदी और नाव के हम हैं खिवैय्या,
भव सागर के तुम हो तरैय्या।।

    आदिवासी होली लोक गीत

    आदिवासी होली लोक गीत नीचे दिए गए हैं-

    होली लोक गीत
    1. जागो रे होली आई,
    रंग बिखेरे धरती पर।
    धुंआ उठे बादलों में,
    बाजे ढोल और मृदंग।
    खुशियाँ लाए हर घर में,
    गाते हैं गाने आदिवासी।
    होली के रंग सारे,
    आये हम सबको भरी।
    पिचकारी की धार से,
    लगे रंगों की बौछार।
    खुशियों का मेला है ये,
    हर दिल में होता प्यार।
    होली का त्योहार लाए,
    खुशियों की बहार।
    आदिवासी गाते हैं हरपल,
    होली की ये पुकार।
    बाबा जी के घर आए,
    रंगों से लाल लिपियारी।
    होली का मस्ती ले आए,
    सभी के मन को भाए।
    आदिवासी होली गीत गाएं,
    खुशियों की धूम मचाएं।
    होली का रंग चढ़े आदिवासी,
    मिलकर सबको भाएं।
    
    2. सोना रे होली आई,
    धुंध उठाये अमवा के वन।
    मोर परियों के संग,
    रंगों की बौछार छाई।
    बाबा जी की धरती पर,
    आयी है होली की मेला।
    आदिवासी नाचे जश्न मनाए,
    रंग बिखेरे खुशियों का वेला।
    
    3. होली के रंग में,
    जीवन का सार बसे।
    खुशियों की नई बहार,
    सबको मिले प्यार वार।
    मिलकर गाएं गीत हम,
    हर दिल को चैन मिले।
    होली के इस पर्व में,
    सबको खुशियाँ बहुत मिले।
    रंग रंगीली होली खेले,
    सबको आनंद मिले।
    आदिवासी लोकगीतों के संग,
    हर घर में हो रंगीन मेले।
    सोना रे होली आई,
    धुंध उठाये अमवा के वन।
    मोर परियों के संग,
    रंगों की बौछार छाई।
    
    4. चलो चलो होली के मैदान,
    रंग बरसे हर जगह।
    बाजे ढोल और ताशे,
    नाचे आदिवासी नाचन।
    घूमें फिरें रंगों की धार,
    हर कोण में बनी है बहार।
    आओ मिलकर होली मनाएं,
    खुशियों के संग जश्न मनाएं।
    रंगों की बरसात में खो जाएं,
    मस्ती में हम सभी डूब जाएं।
    होली का ये त्योहार आया है,
    खुशियों का संग लाया है।
    होली आई रे साथ लाये खुशियाँ,
    आदिवासी गाओं में बजे ढोलकियाँ।
    रंगों की बरसात में मस्ती उड़ाएं,
    दिलों को भरकर प्यार हम बिखराएं।
    पर्व की ये रंगीनी, होली का त्योहार,
    आदिवासी गीतों में छुपी है खुशियों की बहार।
    गाओ, नाचो, रंग बरसाओ साथ में,
    होली का ये मौसम हम सबको मदहोश करें।

    FAQs 

    ब्रज में कौनसा लोकगीत गाया जाता है?

    ब्रज क्षेत्र के प्रमुख लोक गीतों की बात करें, तो झूला, होरी, फाग, लंगुरिया और रसिया ब्रज क्षेत्र के प्रमुख लोक गीत हैं।

    लोकगीत कौन सी भाषा है?

    लोकगीत में स्थानीय लोगों की आम बोलचाल की भाषा होती है।

    राजस्थान के लोकगीत का क्या नाम है?

    राजस्थान के प्रमुख लोकगीतों में काजलियों, कागा, गोरबंद, कांगसिया, हिचकी, कुरजा, इंडोनी, लूर आदि आते हैं।

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    आशा है कि आपको होली लोक गीत की जानकारी मिली होगी जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का काम करेगी। इसी प्रकार के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स पर ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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