होली का त्यौहार हमें हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। जिसमें श्री हरी विष्णु के भक्त प्रहलाद ने अपनी भक्ति के माध्यम से अपने पिता हिरण्यकश्यप और होलिका के अहंकार और क्रूरता पर विजय हासिल कर ली थी। तभी से होली का ये पावन त्यौहार भारतीय संस्कृति में अपनी अहम स्थान रखता है।
रंगों का त्यौहार होली आज केवल भारत में ही बल्कि विश्व के प्रमुख देशों में भी मनाया जाता हैं। होली भारत का धार्मिक, पारंपरिक और सांस्कृतिक त्यौहार है जिसे हर साल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। होली के दिन हर जगह जश्न का माहौल होता है, रंगों का ये त्यौहार इस बार 8 मार्च को है। होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें आपसी प्रेम, एकजुटता, सद्भावना का संदेश दिया जाता है। होली का त्यौहार सभी को आपस के गिले शिकवे मिटाकर एकता का अहम संदेश देता है, जिससे दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग व गुलाल लगाते हैं और एक दूसरे को होली की बधाई देते हैं। यह त्यौहार आपसी भाईचारे और एकता का प्रतीक है।
होली का त्यौहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने-अपने गाँवों, मुहल्लों में उपलों, लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं। फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी “होलिका” में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज (गेहूँ, जौ आदि) की बालें भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं। दहन का अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे “धुलैंडी” भी कहते हैं। लेकिन क्या आप जानते है होली के त्यौहार को मनाने के पीछे की पौराणिक कहानी? आइये जानते है होली के त्यौहार की कहानी।
प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक बहुत बड़ा बलशाली असुर राजा था। जिसने अपनी कठोर तपस्या के कारण बहुत से वरदान प्राप्त कर लिए थे। वह अपनी शक्ति के मद में चूर होकर वह स्वयं को ही भगवान मानने लगा था। उस अपने राज्य की प्रजा को ये आदेश दिया था कि अब सब लोग भगवान विष्णु की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, प्रजा भी राजा हिरण्यकश्यप के भय से भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करने लगी, पर उसका बेटा ‘प्रहलाद’ भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात न मानी और उसने ईश्वर की भक्ति में ही खुद को लीन रखा। इससे पिता के क्रोध की सीमा न रही। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए, पर ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल न हो सका।
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उसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए एक नई योजना बनाई जिसमें उसका साथ उसकी छोटी बहन ‘होलिका’ ने दिया। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठाकर लकड़ी के बड़े से टीले पर बैठाकर आग लगा दी गई। परन्तु ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है, प्रहलाद निरंतर भगवान विष्णु की आराधना करने लगा और भगवान ने भी उसकी रक्षा की। होलिका उस आग में जलकर भस्म हो गई लेकिन प्रहलाद को कोई आंच न आई। प्रहलाद उस तेज अग्नि के ज्वाला से जीवित बाहर आ गया जिससे सारी प्रजा में खुशी की लहर आ गई। सारी प्रजा भी भक्त प्रहलाद के साथ मिलकर भगवान विष्णु की आराधना करने लगें। इसी घटना की याद में हर साल रात को होलिका जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हैं।
आज होली विश्व प्रमुख त्योहारों में से एक है। जिसे भारत के अलावा सयुंक्त राज्य अमेरिका, कनाड़ा, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड और यूनाइटेड किंगडम जैसे बड़े देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारत के कई राज्यों में वसंत ऋतु के आगमन होते ही होली के त्यौहार की शुरुआत हो जाती हैं। होली आने से पहले ही घरों में भी गुझिया, मट्टी, चाट पापड़ी और कई तरह के पकवान बनाने की तैयारी शुरू हो जाती हैं। बच्चों में भी होली के त्यौहार का उत्साह देखने को मिलता है, इस दिन वह भी बाजार से कई तरह के रंग, गुलाल और पिचकारी खरीदकर एक दूसरे के साथ खेलते है।
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भारत में होली के लिए एक अलग ही आकर्षण देखने को मिलता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक होने के साथ-साथ प्रेम व एकजुटता का संदेश भी हम सभी को देता हैं। इस दिन सभी लोग अपने प्रियजनों, सगे-सम्बन्धियों, दोस्तों और कलीग्स को संदेश भेजकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं। सड़कों पर मस्त युवकों की टोलियाँ गाती-बजाती निकलती हैं। एक-दूसरे को मिठाइयाँ खिलाते हुए अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।
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