Bhagwati Charan Verma Ka Jivan Parichay: भगवती चरण वर्मा ‘प्रेमचंदोत्तर युग’ के महान रचनाकार माने जाते हैं। उन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया है। वहीं, जिस उपन्यास से उन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली उसका नाम ‘चित्रलेखा’ (Chitralekha) है, यह हिंदी साहित्य की कालजयी रचना मानी जाती हैं। बता दें कि इस उपन्यास पर दो बार फिल्म भी बन चुकी है। इसके साथ ही उन्हें ‘भूले बिसरे चित्र’ उपन्यास के लिए वर्ष 1961 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार द्वारा उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने के लिए उन्हें “पद्म भूषण” पुरस्कार से नवाजा गया था। वे राज्यसभा के मानद सदस्य भी रह चुके हैं।
बता दें कि भगवती चरण वर्मा की कई रचनाएँ जिनमें ‘चित्रलेखा’, ‘भूले बिसरे चित्र’, टेढ़े-मेढ़े रास्ते (उपन्यास) ‘अतीत के गर्भ में’ (संस्मरण), ‘दो रातें’, ‘रेल में’, ‘इंस्टालमेंट’ व ‘आवारे’ (कहानी) आदि को बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी भगवती चरण वर्मा का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब हम छायावादी कवि व प्रेमचंदोत्तर युग के विख्यात उपन्यासकार भगवती चरण वर्मा का जीवन परिचय (Bhagwati Charan Verma Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | भगवती चरण वर्मा (Bhagwati Charan Verma) |
जन्म | 30 अगस्त, 1903 |
जन्म स्थान | शफीपुर गाँव, उन्नाव जिला, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | देवीचरण वर्मा |
शिक्षा | बी.ए एल.एल.बी (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) |
पेशा | साहित्यकार, संपादन |
भाषा | हिंदी |
साहित्य काल | आधुनिक काल (प्रेमचंदोत्तर युग) |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, निबंध, नाटक, संस्मरण, आलोचना आदि। |
पुरस्कार एवं सम्मान | “साहित्य अकादमी पुरस्कार”, “पद्म भूषण” |
निधन | 05 अक्टूबर 1981 |
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उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ जन्म – Bhagwati Charan Verma Ka Jivan Parichay
प्रतिष्ठित साहित्यकार भगवती चरण वर्मा का जन्म 30 अगस्त, 1903 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में शफीपुर नामक गाँव में एक जमींदार परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘देवीचरण वर्मा’ (Devi Charan Verma) था जो कि पेशे से वकील थे। बताया जाता है कि उनके जन्म के कुछ वर्ष बाद प्लेग की प्राण घातक महामारी के कारण उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और इसका प्रभाव उनकी शिक्षा-दीक्षा पर भी पड़ा।
हिंदी विषय में हुए फेल
भगवती चरण वर्मा की प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही हुई थी। बताया जाता है कि वे सातवीं कक्षा में हिंदी विषय में फेल हो गए थे। इसके बाद उनके अध्यापक ने उन्हें हिंदी साहित्य की कुछ तत्कालीन पत्रिकाएं पढ़ने के लिए दी जिससे उनके मन में साहित्य के प्रति रूचि बढ़ गई। इसका असर ये हुआ कि वे कक्षा आठवीं तक आते-आते कविताएं लिखने लगे थे जो तत्कालीन पत्रिका ‘प्रताप’ और ‘शारदा’ में प्रकाशित होती थी। इसके बाद वे उच्च अध्ययन के लिए इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) गए और ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ से बी.ए और एलएलबी की डिग्री हासिल की।
विस्तृत रहा कार्यक्षेत्र
भगवती चरण वर्मा शिक्षा के उपरांत जीविकोपार्जन के लिए वकालत करने लगे थे किंतु यह काम अधिक समय तक नहीं चल सका। इसके बाद वे साहित्यिक रचनाएँ करने लगे और उनके दूसरे उपन्यास ‘चित्रलेखा’ ने उन्हें बहुत कम समय में लोकप्रिय बना दिया। फिर जीवन के अगले कुछ वर्षों में उन्होंने ‘आकाशवाणी’ के कई केंद्रों व फिल्म कॉर्पोरेशन, कलकत्ता में कार्य किया।
इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक ‘विचार’ नामक साप्ताहिक पत्रिका का संपादन व प्रकाशन किया। बाद में वे फिल्मों में कथालेखन व दैनिक ‘नवजीवन’ का संपादन करने लगे। लेकिन इसके बाद उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन साहित्य साधना के लिए समर्पित कर दिया।
भगवती चरण वर्मा की रचनाएँ -Bhagwati Charan Verma Ki Rachnaye
भगवती चरण वर्मा ने हिंदी साहित्य की गद्य और पद्य विधाओं में अनुपम रचनाओं का सृजन किया हैं। बता दें कि उनके उपन्यास ‘चित्रलेखा’ व ‘भूले बिसरे चित्र’ को कालजयी रचना का दर्जा प्राप्त है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि उन्होंने अपने प्रथम उपन्यास ‘पतन’ की रचना कॉलेज के दिनों में की थी ये उपन्यास ‘गंगा पुस्तक माला’ के अंतर्गत प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास को वे अपनी अपरिपक्व रचना मानते थे।
यहाँ भगवती चरण वर्मा का जीवन परिचय (Bhagwati Charan Verma Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
उपन्यास
- पतन
- चित्रलेखा
- तीन वर्ष
- टेढ़े-मेढ़े रास्ते
- अपने खिलौने
- भूले-बिसरे चित्र
- वह फिर नहीं आई
- सामर्थ्य और सीमा
- थके पाँव
- रेखा
- सीधी सच्ची बातें
- युवराज चूण्डा
- सबहिं नचावत राम गोसाई
- प्रश्न और मरीचिका
- धुपल्ल
- चाणक्य
- क्या निराश हुआ जाए
कहानी-संग्रह
- मोर्चाबंदी
कविता-संग्रह
- मधुकण
- प्रेम-संगीत
- मानव
नाटक
- वसीहत
- रुपया तुम्हें खा गया
- सबसे बड़ा आदमी
संस्मरण
- अतीत के गर्त से
साहित्यालोचन
- साहित्य के सिद्धांत तथा रूप
नई दिल्ली में हुआ निधन
भगवती चरण वर्मा ने साहित्य जगत में लगभग 50 वर्षों से अधिक लेखन कार्य किया था। किंतु 05 अक्टूबर 1981 को 78 वर्ष की आयु में उनका नई दिल्ली में निधन हो गया। लेकिन आज भी वे साहित्य जगत में अपनी लोकप्रिय रचनाओं के लिए जाने जाते हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ विख्यात उपन्यासकार भगवती चरण वर्मा का जीवन परिचय (Bhagwati Charan Verma Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म 30 अगस्त, 1903 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में शफीपुर नामक गाँव में हुआ था।
उनका प्रथम उपन्यास का नाम ‘पतन’ था जिसका प्रकाशन वर्ष 1928 में हुआ था।
‘चित्रलेखा’ उपन्यास के लेखक भगवती चरण वर्मा हैं।
उनके पिता का नाम ‘देवीचरण वर्मा’ था।
उनका निधन 05 अक्टूबर 1981को 78 वर्ष की आयु में हुआ था।
चित्रलेखा, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, भूले-बिसरे चित्र और सामर्थ्य और सीमा, भगवती चरण वर्मा के कुछ लोकप्रिय उपन्यास है।
सबसे बड़ा आदमी, भगवती चरण वर्मा का लोकप्रिय नाटक है।
वे आधुनिक काल में ‘प्रेमचंदोत्तर युग’ के महान रचनाकार माने जाते हैं।
आशा है कि आपको विख्यात उपन्यासकार भगवती चरण वर्मा का जीवन परिचय (Bhagwati Charan Verma Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।