Bhagat Singh Poems in Hindi के माध्यम से युवाओं को शहीद भगत सिंह पर कविताएं पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। भगत सिंह पर कविताएं युवाओं के अंतर्मन में राष्ट्रवाद का बीज बोने का कार्य करेंगी। शहीदों पर कविताएं ही राष्ट्र के युवाओं को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाती हैं। भगत सिंह पर कविताएं पढ़कर आपको शहीद भगत सिंह के राष्ट्रप्रेम और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के बारे में बताएंगी।
कविताएं समाज का आईना होती हैं, कविताओं को ही समाज की प्रेरणा माना जाता है। जब-जब मातृभूमि, संस्कृति और माटी पर संकट का समय आता है, या जब-जब सभ्य समाज कहीं नींद गहरी सो जाता है। तब-तब कविताएं समाज की सोई चेतना को जगाती हैं। शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह जी का जीवन और उन पर लिखी कविताएं, आज तक भारत के युवाओं को प्रेरित कर रहीं हैं। Bhagat Singh Poems in Hindi के माध्यम से आप शहीद भगत सिंह पर कविताएं पढ़ पाएंगे, जिसके लिए आपको ब्लॉग को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
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भगत सिंह का संक्षिप्त जीवन परिचय
Bhagat Singh Poems in Hindi को पढ़ने से पहले आपको शहीद भगत सिंह का संक्षिप्त जीवन परिचय अवश्य पढ़ लेना चाहिए। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में क्रांति की मशाल लेकर युवाओं को आज़ादी के लिए प्रेरित करने वाले एक महान क्रांतिकारी शहीद-ए-आज़म भगत सिंह भी थे। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को वर्तमान के पाकिस्तान में लायलपुर ज़िले के बंगा में हुआ था। उनका पैतृक गांव भारत के पंजाब राज्य के खट्कड़ कलां में है। भगत सिंह को क्रांतिकारी संस्कार बचपन से ही अपने परिवार से मिले थे। उनकी माता का नाम विद्यावती था। भगत सिंह का परिवार एक आर्य-समाजी सिख परिवार था। उनके जन्म के समय उनके पिता किशन सिंह, चाचा अजित और स्वरण सिंह जेल में थे। जिन्हें 1906 में लागू हुए औपनिवेशीकरण विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करने के जुल्म में जेल में डाल दिया गया था।
भगत सिंह एक अच्छे वक्ता, पाठक व लेखक भी थे। उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखा व संपादन भी किया। उनकी मुख्य रचनाएं, ‘एक शहीद की जेल नोटबुक (संपादन: भूपेंद्र हूजा), सरदार भगत सिंह : पत्र और दस्तावेज (संकलन : वीरेंद्र संधू), भगत सिंह के संपूर्ण दस्तावेज (संपादक: चमन लाल) आदि थी। मात्र 23 वर्ष की आयु में सरदार भगत सिंह आज़ादी के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए थे।
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Bhagat Singh Poems in Hindi
Bhagat Singh Poems in Hindi के माध्यम से आप शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह पर कविताएं पढ़ पाएंगे, जिनको पढ़ने के बाद आप में देशभक्ति की भावना जागृत होगी। नीचे दी गयी कविताएं आपको भगत सिंह जी के जीवन और स्वतंत्रता के लिए, उनके द्वारा हुए संघर्षों के बारे में जान पाएंगे।
क्रांतिगीत
Bhagat Singh Poems in Hindi के माध्यम से आप भगत सिंह जी के चरित्र को जान सकते हैं, जिसमें उन पर लिखी कविता “क्रांतिगीत ” है। यह एक ऐसी कविता है, जिसने क्रांति का मंगल गान किया।
तू जी रहा है तो ज़िंदा हो क्या ज़िंदगी गुज़ारना…
आवाज़ उठा
विरोध कर
झुका नहीं
उठा दे सर,
वो बोल जो सही है
ज़ुबाँ तेरी है
किराये की नहीं है
कटा दे सर
झुकाना मत
ये कर्त्तव्य-बोध
भुलाना मत,
यही ध्येय
यही शपथ
न शीश हो
माँ का नत,
मृत्यु को सर पे बाँध ले
अंतिम चरण भी लांघ ले
अनुभूत होगा प्राप्ति-सुख
जो है वो सब ही वार ले,
मौत हो तो चूमना
गले लगा के झूमना
न पीड़ा हो, न शोक हो
जो हो तो जयघोष हो.
जयघोष हो मातृभूमि का
उद्घोष हो मातृभूमि का!
तू जी रहा है तो ज़िंदा हो क्या ज़िंदगी गुजारना।
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जलियांवाला बाग
Bhagat Singh Poems in Hindi के माध्यम से आप भगत सिंह जी को क्रांति से भर देने वाले एक हादसे जलियांवाला बाग हत्याकांड पर आधारित है। डॉ सुधीर आज़ाद द्वारा रचित कविता “जलियांवाला बाग” के माध्यम से आप जलियांवाला बाग हत्याकांड के इतिहास को जान सकते हैं।
एक गोली पिता का सीना फाड़ गयी,
अंगुली थामे बच्चे का बचपन मार गयी
नन्हीं श्वासों के गालों पर चांटा मारा, रुला दिया,
एक गोली ने बच्चे से माँ का दामन छुड़ा दिया
कई गोलियाँ साथ वहाँ उसका देने लगीं जमकर,
एक गोली से वृद्धा की साँसें जहाँ लड़ रहीं थीं डटकर
अकेला दीया एक अँधेरे घर तब लील गयी
एक गोली जब इकलौते बेटे का मस्तक चीर गयी
एक गर्भवती की कोख उसकी साँसों के साथ उजड़ गयी,
एक गोली जो पेट में घुसी और वहीँ पर धँस गयी
झुकी कमर थी पर मस्तक गर्व से तना गयी,
एक गोली बूढ़े बाबा को निशाना बना गयी
एक गोली लगी तुतलाते बच्चे की बोली को,
फिर भी किन्तु शर्म न आई अंग्रेजी टोली को.
हों बाल-वृद्ध, माता-बहन या जवान हो,
हर गोली लग रही थी वहाँ हिन्दुस्तान को
–डॉ सुधीर आज़ाद
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महाप्रयाण
Bhagat Singh Poems in Hindi के माध्यम से आप भगत सिंह के बलिदान पर रचित कविता “महाप्रयाण” को पढ़ सकते हैं, जिसका उद्देश्य आप तक शहीद-ए-आज़म भगत सिंह जी के बलिदान की गाथा सुनाना है।
मुमूर्षा की मेरी अभिलाषा चिरसीम
हमारा ध्येयसिद्ध
और संघर्ष अमर कर देगी
‘एक क्रन्तिकारी का मिलन है
दूजे से,
बस चलता हूँ.’
कहकर किताब लेनिन की रखकर,
फांसी के फंदे की ओर बढ़ा फिर मतवाला
“अब मैं देख रहा हूँ,
अपने ईश्वर को
उसके दर्शनीय रूप में,
फाँसी के तख़्ते पर
फाँसी के तख़्ते पर कुछ यूँ चढ़ा,
जैसे घोड़ी चढ़े कोई दूल्हा.
उन्मुक्त-भाव, ऊँचा मस्तक
तनी ग्रीवा,
आत्मीय हंसी.
पहली बार देख रहा था विश्व.
आह !!!
महासौंदर्य यह,
आनंद असीम
मृत्यु क्या इतनी सुन्दर,
ऐसी भी मोहक होती है?
क्या इतना सुख भी देती है यह ,
क्या इतनी सार्थक भी होती है?
–डॉ सुधीर आज़ाद
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हंसते हंसते फांसी को गले लगाया
Bhagat Singh Poems in Hindi के माध्यम से आप भगत सिंह पर रचित कविता “हंसते हंसते फांसी को गले लगाया” को पढ़ सकते हैं, जो आपके सामने वो मंज़र प्रस्तुत करेगी, जिसमें आज़ादी के मतवालों ने आज़ादी के लिए हंसकर फांसी का फंदा चूमा था।
मोमबत्तियां बुझ गयी
चिराग तले अँधेरा छाया था
फांसी के फंदे पर जब
तीनों वीरों को झुलाया था
सुखदेव,भगत सिंह,राजगुरु के
मन को कुछ और न भाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
तीनों के साथ आज
एक बड़ा सा काफिला था
भारतवर्ष में लगा जैसे
मेला कोई रंगीला था
लेकर जन्म इस पावन धरा पर
उन्होंने अपना फर्ज निभाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
मौत का उनको डर न था
सीने में जोश जोशीला था
परवाह नहीं थी अपने प्राण की
बसंती रंग का पहना चोला था,
छोड़ मोह माया इस जग की
अपनों को भी भुलाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
इंकलाब का नारा लिए
विदा लेने की ठानी थी
लटक गए फांसी पर किन्तु
मुख से उफ्फ तक न निकाली थी,
देश भक्ति को देख तुम्हारी
सबने अश्रुधार बहाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
तुम छोड़ गए इस दुनिया को
दिखाकर आजादी का सपना
सपना हुआ था सच लेकिन
हमने खो दिया बहुत कुछ अपना,
गोरों ने अपनी संस्कृति को
हमारे सभ्याचार में बसाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
टुकड़े टुकड़े कर गोरों ने
भारत माँ का सीना चीरा था
एकसूत्र करने का हम पर
बहुत ही बड़ा बीड़ा था,
हिन्दू मुस्लिम के झगड़ों ने
इंसानियत के रिश्ते को भरमाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
आज़ादी के बाद तो देखो
कैसे यह लगी बीमारी थी
हिन्दू मुस्लिम के चक्कर में
लड़ना सबकी लाचारी थी,
कुछ को हिंदुस्तान मिला
तो कुछ ने पाकिस्तान बनाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
जातिवाद का खेल में
बंट गया समाज भी अपना
ये तो वो न था
जो देखा था तुमने सपना,
सत्ता का खेल निराला आया
परिवार वाद भी उसमे गहरा छाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
गाँधी नेहरू और जिन्ना ने फिर
राजनितिक माहौल बनाया था
देश की सत्ता की खातिर
अखंडता को दांव पर लगाया था,
बस अपनी बात मनवाने को
देश को टुकड़ों में बंटवाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
सरहद के उस बंटवारे का
आज तलक असर दिखता है
भारत पाक की सीमाओं पर
सिपाही मौत से लड़ता है,
तुमने जो सोचा था वैसा
कोई ये देश बना न पाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
इक वक़्त के खाने के लिए
कोई गरीब दिन-रात तरसता है
कुछ ने रेशम की पोशाक वालों का
गुस्सा मजलूमों पर बरसता है,
कहीं जात-पात का शोर
तो कहीं आरक्षण ने सबको लड़ाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
जैसा न तुमने सोचा था
वैसी है अपनी आज़ादी
देश के लोग ही कर रहे हैं
आज इस देश की बर्बादी,
जब-जब सोचा तुम्हारे बारे में
मुझको तो रोना आया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।
– हरीश चमोली, टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड)
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शहीद-ए-आज़म भगत सिंह पर लिखी प्रसिद्ध शायरी
Bhagat Singh Poems in Hindi के माध्यम से आप शहीद-ए-आज़म भगत सिंह पर कविताएं पढ़ पाए होंगे। भगत सिंह पर कविताएं पढ़ने के बाद आप भगत सिंह पर शायरी भी पढ़ सकते हैं, जिनका मकसद नई पीढ़ी को प्रेरित करना है।
हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली
ये मुश्ते खाक है, फानी रहे न रहे
–भगत सिंह
उसे यह फ़िक्र है हर दम नई तर्ज़े जफ़ा क्या है
हमें यह शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है
-कुँवर प्रतापचन्द्र ‘आज़ाद’
दहर से क्यों ख़फ़ा रहें, चर्ख़ का क्यों गिला करें,
सारा जहाँ अदू सही, आओ मुक़ाबला करें
-बृजनारायण ‘चकबस्त’
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