Kargil Vijay Diwas 2023 : कारगिल विजय दिवस भारतीय सेना की शौर्य गाथा

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Kargil Vijay Diwas

भारत की स्वतंत्रता के समय कभी न मिटने वाला एक घाव हर भारतवासी को मिला, जो कि मजहब के नाम पर बटवारे के रूप में मिला था। तभी से भारत और पाकिस्तान के बीच चार युद्ध वर्ष 1948, 1965, 1971 और 1999 में हुए हैं, जिनके परिणाम हमेशा भारत के पक्ष में रहे हैं। आज आपको इन्हीं चार युद्धों में से एक वर्ष 1999 में होने वाले कारगिल युद्ध के बारे में मिलेगा। Kargil Vijay Diwas (कारगिल विजय दिवस) उन महान वीर बलिदानियों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने का दिन होता है।

Kargil Vijay Diwas क्या है?

Kargil Vijay Diwas भारतीय सेना के अदम्य साहस, मातृभूमि के प्रति उनके प्रेम और बलिदान हुए सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का वह दिन है, जिस दिन माँ भारती के सूरवीरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भी भारत राष्ट्र की अखंडता, अस्मिता और स्वतंत्रता की रक्षा की। इस दिन शहीदों की गौरवगाथाएं गा कर या सुना कर आने वाली पीढ़ी में राष्ट्रवाद का बीज बोया जाता है।

कारगिल विजय दिवस क्यों मनाया जाता है?

Kargil Vijay Diwas को सैनिकों के बलिदानों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने, अदम्य साहस की गाथाओं को सम्मानित करने तथा उनकी वीर गाथाओं से युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। इस दिन अनेकों देशभक्तों ने केवल इस लिए अपना बलिदान दिया तांकि हम और आप स्वतंत्र रहे, हमारे विचार और भारत राष्ट्र स्वतंत्र रहे। आज की पीढ़ी की भी जिम्मेदारी बनती है कि उनकी बलिदानों को उचित सम्मान मिले।

कारगिल विजय दिवस का इतिहास

Kargil Vijay Diwas का इतिहास बेहद प्रभावशाली है, जो वर्तमान में हमें सीख देकर हमारे भविष्य को सुरक्षित रखता है। कारगिल विजय दिवस के इतिहास को आप निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझ सकते हैं-

  • यह युद्ध एलओसी के भारतीय हिस्से में, जो कि कश्मीर में दोनों देशों के बीच वास्तविक सीमा के रूप में कार्य करता है, वहां कश्मीरी आतंकवादियों के वेश में पाकिस्तानी बलों की घुसपैठ के कारण हुआ थी।
  • वर्ष 1971 से चली आ रही लगातार की सैन्य कार्यवाही और कश्मीर के मुद्दे को ध्यान में रखकर भारत और पाक ने फरवरी 1999 में लाहौर में एक संधि पर साइन किया, जिसके करते ही पाकिस्तान ने अपना नापाक चेहरा दिखाया और पाकिस्तान, भारत में घुसपैठ की गतिविधियों को बढ़ावा देने लगा।
  • 3 मई, 1999 को पाकिस्तान के लगभग 5000 सैनिकों ने कारगिल की ऊँची चट्टानों पर कब्ज़ा कर लिया। जिसका जवाब देते हुए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय का शंखनाद किया।
  • प्रारंभ में, पाकिस्तान ने इस लड़ाई के लिए स्वतंत्र कश्मीरी आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि, सच ज्यादा दिन तक छुप नहीं सका और पीड़ितों द्वारा छोड़े गए दस्तावेजों के सामने आने के बाद, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री और सेना प्रमुख द्वारा स्वीकारोक्ति से जनरल अशरफ रशीद के नेतृत्व में पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों की भागीदारी का पता चला।
  • इसके बाद भारतीय वायु सेना की सहायता से भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा (LOC) के भारतीय हिस्से के अधिकांश स्थानों पर पुनः कब्ज़ा करना शुरू किया।
  • कैप्टन विक्रम बत्तरा जैसे अनेकों शूरवीरों ने अपना बलिदान देकर भारत की स्वंत्रता की रक्षा की और ऑपरेशन विजय में सफलता पाई गई।

कारगिल युद्ध में घटने वाली महत्वपूर्ण घटनाएं

कारगिल विजय दिवस के इस ब्लॉग में आप कारगिल युद्ध में घटने वाली घटनाओं के बारे में गहराई से जान पाएंगे, जो कि निम्नलिखित है-

  • 25 मई 1999 : भारतीय सेना ने स्वीकार किया कि 600-800 घुसपैठियों ने एलओसी पार किया है और कारगिल में और उसके आसपास उन्‍होंने अपना ठिकाना बना लिया है। इसके बाद भारतीय सेना के और जवानों को कश्मीर रवाना किया गया।
  • 26 मई 1999 : भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए घुसपैठियों के ठिकानों पर हमले किए। इसमें भारतीय वायुसेना के विमानों की भी मदद ली गई।
  • 27 मई 1999 : फ्लाइट लेफ्टिनेंट के। नचिकेता का विमान मिग-27 आग की लपटों में घिर गया। वह पाकिस्‍तान के नियंत्रण वाले इलाके में जा पहुंचे, जहां उन्‍हें युद्धबंदी बना लिया गया। इसी दौरान एक अन्‍य मिग-21 विमान को मार गिराया गया, जिसे स्‍क्‍वाड्रनन लीडर अजय आहूजा उड़ा रहे थे। इसमें वह शहीद हो गए।
  • 31 मई 1999 : तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ ‘युद्ध जैसी स्थिति’ का ऐलान किया।
  • जून 1999 : तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने घुसपैठियों को पाकिस्तान वापस भेजने के लिए ‘सुरक्षित मार्ग’ की पेशकश की, जिस पर विवाद भी पैदा हुआ। इस बीच पाकिस्तान ने हमलों को तेज कर दिया। भारत-पाकिस्‍तान के बढ़ते तनाव के बीच फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों ने पाकिस्‍तान को नियंत्रण रेखा के उल्‍लंघन के लिए जिम्‍मेदार ठहराया।
  • 3 जून 1999 : पाकिस्तान ने फ्लाइट लेफ्टिनेंट के नचिकेता को ‘सद्भावना’ के तौर पर भारत को सौंप दिया।
  • 10 जून 1999 : पाकिस्तान ने जाट रेजिमेंट के छह सैनिकों के क्षत-विक्षत शव भारत को भेजे।
  • 13 जून 1999 : भारत ने दौरान बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए सामरिक रूप से महत्‍वपूर्ण तोलोलिंग चोटी को फिर से अपने कब्‍जे में ले लिया। 
  • 15 जून 1999 : अमेरिका के तत्‍कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से टेलीफोन पर बातचीत कर अपने सैनिकों को कारगिल से बाहर निकालने के लिए कहा।
  • 23-27 जून 1999 : अमेरिकी जनरल जिन्‍नी ने इस्लामाबाद का दौरा किया, जिसमें नवाज शरीफ से फिर पीछे हटने के लिए कहा गया।
  • 4 जुलाई 1999 : भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया। इस बीच बिल क्लिंटन वाशिंगटन डीसी में नवाज शरीफ से मिले और उन पर सेना को वापस बुलाने के लिए दबाव बनाया।
  • 11 जुलाई 1999 : पाकिस्तानी सैनिक पीछे हटने लगे। भारत ने बटालिक में प्रमुख चोटियों पर कब्जा किया।
  • 12 जुलाई 1999 : नवाज शरीफ ने टेलीविजन के जरिये देश को संबोधित करते हुए सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा की और वाजपेयी के साथ वार्ता का प्रस्ताव रखा।
  • 14 जुलाई 1999 : वाजपेयी ने ‘ऑपरेशन विजय’ को सफल घोषित किया। सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए शर्त रखी।
  • 26 जुलाई 1999 : कारगिल युद्ध आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया है। इस खास दिन को भारत में कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कारगिल विजय दिवस पर आधारित कोट्स

कारगिल विजय दिवस पर आधारित कोट्स निम्नलिखित हैं-

“जिस माटी में आपका जन्म हुआ, उस माटी को सुरक्षित और स्वतंत्र रखना आपकी ही जिम्मेदारी है।”

Kargil Vijay Diwas

“बलिदान ही जीवन की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।”

Kargil Vijay Diwas

“जिन आँखों में अपने लक्ष्य को देखने की चमक होती है,  उन आँखों को अंधेरों में डर नहीं लगा करता।”

Kargil Vijay Diwas

“समय आपके हर निर्णय को अपने माथे पर धारण करता है, मायने ये रखता है कि आपके निर्णय राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना से प्रेरित है अथवा नहीं।“

Kargil Vijay Diwas

“हर किसी के सौभाग्य में देश के लिए बलिदान देना नहीं लिखा होता, सबके कर्म यहाँ अमरता का अमृत नहीं पी पाते हैं।”

Kargil Vijay Diwas

“एक सैनिक सा संघर्ष यदि हर मानव अपना ले, तो राष्ट्र की उन्नति में कोई बाधा नहीं आ सकती है।”

Kargil Vijay Diwas

“लोहा यूँ ही हथियार नहीं बन जाता है, उसे संघर्षों की भट्टी में नित तपना पड़ता है।”

कारगिल विजय दिवस

कारगिल विजय दिवस से सीखने वाली बातें

कारगिल विजय दिवस पर आधारित इस ब्लॉग में आप कारगिल विजय दिवस से अनेकों बातें सीख सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • कारगिल विजय दिवस से आप सीख सकते हैं कि जीवन में चाहे कितनी भी विषम परिस्थितयां क्यों न आए, हमें हौसला नहीं छोड़ना चाहिए।
  • देश से बड़ी कोई पहचान नहीं होती, यदि मातृभूमि के लिए बलिदान भी करना पड़े तो भी हिचकिचाना नहीं चाहिए, क्योंकि यह हमारा कर्तव्य होता है।
  • आप जिस राष्ट्र में रहते हैं, उसकी रक्षा करना आपका उत्तरदायित्व होना चाहिए। इसके लिए आप अपनी जिम्मेदारियों से विमुख नहीं हो सकते हैं।
  • जीवन में अँधेरी रात के बाद एक नया सूरज उगता है, जो हर अन्याय का अंत कर देता है।
  • जब तक आप जीवन में सफल न हो जाए अपने लक्ष्य को भूले नहीं, धैर्य रखकर जीवन के फैसले लेना सीखें।

FAQs

कारगिल युद्ध किस वर्ष लड़ा गया?

कारगिल युद्ध किस वर्ष 1999 में लड़ा गया था।

कारगिल युद्ध किन दो देशों के बीच लड़ा गया?

कारगिल युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच में बीच लड़ा गया था।

कारगिल युद्ध को क्या नाम दिया गया?

कारगिल युद्ध को ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया।

कारगिल में क्या हुआ था?

कारगिल में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर भारत-पाक के बीच यह युद्ध तकरीबन दो माह तक चला, जिसमें भारत की ओर से लगभग 527 वीर सैनिकों ने देश के लिए बलिदान दिया था। पाकिस्तान के लगभग 1000 से 1200 सैनिकों ने इस युद्ध में अपने प्राण गवाए थे।

कारगिल युद्ध कितना चला था?

कारगिल युद्ध लगभग 66 दिनों तक चला था। 66 दिन के भीषण युद्ध के बाद पाकिस्तान की सेना ने, भारत की सेना के सामने अपने घुटने टेक दिए थे।

आशा करते हैं कि आपको इस ब्लाॅग में कारगिल युद्ध कब हुआ था, के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। कारगिल दिवस से संबंधित अन्य ब्लाॅग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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