Rabindranath Tagore Poems in Hindi : पढ़िए रवीन्द्रनाथ टैगोर की वो रचनाएं, जो आपको साहित्य के अलौकिक दर्शन करवाएंगी

1 minute read
Rabindranath Tagore Poems in Hindi

कविताएं संसार को साहस से परिचित कराती हैं, सही अर्थों में देखा जाए तो कविताएं ही मानव को समाज की कुरीतियों और अन्याय के विरुद्ध लड़ना सिखाती हैं। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों का उद्देश्य अधिकाधिक ज्ञान अर्जित करने का होता है, इसी ज्ञान की कड़ी में विद्यार्थियों को कविताओं की महत्वता को भी समझ लेना चाहिए। कविताओं के माध्यम से समाज की चेतना को जागृत करने वाले कवि “रवीन्द्रनाथ टैगोर” की लेखनी ने सदा ही समाज के हर वर्ग को प्रेरित करने का काम किया है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही भारत के राष्ट्रगान की रचना कर के भारत को एकता के सूत्र में बांध कर रखा। Rabindranath Tagore Poems in Hindi (रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताएं) विद्यार्थियों को प्रेरणा से भर देंगी, जिसके बाद उनके जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा।

कौन थे रवीन्द्रनाथ टैगोर?

Rabindranath Tagore Poems in Hindi (रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताएं) पढ़ने सेे पहले आपको रवीन्द्रनाथ टैगोर जी का जीवन परिचय पढ़ लेना चाहिए। भारतीय साहित्य की अप्रतीम अनमोल मणियों में से एक बहुमूल्य मणि रवीन्द्रनाथ टैगोर भी हैं, जिनकी लेखनी आज के आधुनिक दौर में भी प्रासंगिक हैं। अपनी महान लेखनी और रचनाओं के आधार पर उन्होंने समाज को सशक्त करने का प्रयास किया।

7 मई, 1861 को रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था। देवेन्द्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के घर जन्मे रवीन्द्रनाथ टैगोर को बाल्य काल में प्रेम पूर्वक ‘रबी’ नाम से पुकारा जाता था। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर ही प्राप्त की, रवीन्द्रनाथ टैगोर की लिखने की कला को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें सदैव प्रोत्साहित किया।

जिसके बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1878 में ईश्वरचंद्र विद्यासागर के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया। उन्होंने कॉलेज में अंग्रेजी, संस्कृत, इतिहास, भूगोल और गणित का अध्ययन किया। उन्होंने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कई कविताएँ और नाटक लिखे। इसी के चलते वर्ष 1880 में, रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और अपना जीवन साहित्य और संगीत के लिए समर्पित कर दिया।

रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाओं में “गीतांजलि”, “चित्रा”, “गोरा”, “नैवेद्य”, “सप्तक”, “गीताली”, “फूलों की कविताएँ”, “नये पत्ते”, “राग-कल्पना” और “संगीत-रंग” आदि सुप्रसिद्ध हैं। साहित्य के लिए उनके अहम योगदान को देखते हुए उन्हें, भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1951 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। जीवन भर मानवता, प्रेम, शांति और स्वतंत्रता के लिए काम करने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर का निधन 7 अगस्त, 1941 को कोलकाता में हुआ था।

प्रार्थना

Rabindranath Tagore Poems in Hindi (रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताएं) आपकी जीवनशैली में साकारत्मक बदलाव कर सकती हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की प्रसिद्ध रचनाओं में से एक “प्रार्थना” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

चित्त जहाँ भय शून्य, शीश जहाँ उच्च है 
ज्ञान जहाँ मुक्त है, जहाँ गृह-प्राचीरों ने 
वसुधा को आठों पहर अपने आँगन में 
छोटे-छोटे टुकड़े बनाकर बंदी नहीं किया है 

जहाँ वाक्य उच्छ्वसित होकर हृदय के झरने से फूटता 
जहाँ अबाध स्रोत अजस्र सहस्रविधि चरितार्थता में 
देश-देश दिशा-दिशा में प्रवाहित होता है 
जहाँ तुच्छ आचार का फैला हुआ मरुस्थल 

विचार के स्रोत पथ को सोखकर
पौरुष को विकीर्ण नहीं करता 
सर्व कर्म चिंता और आनंदों के नेता 
जहाँ तुम विराज रहे हो 
हे पिता अपने हाथ से निर्दय आघात करके 
भारत को उसी स्वर्ण में जागृत करो।

-रवीन्द्रनाथ टैगोर

प्रेम का स्पर्श

Rabindranath Tagore Poems in Hindi (रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताएं) आपकी सोच का विस्तार कर सकती हैं, रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना “प्रेम का स्पर्श” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

हे भुवन, 
मैंने जब तक 
तुम्हें प्यार नहीं किया था 
तब तक तुम्हारा प्रकाश 
खोज-खोजकर (भी) अपना सारा धन नहीं पा सका था! 

उस समय तक 
समूचा आकाश 
हाथ में अपना दीप लिए हर सूनेपन में बाट जोह रहा था। 
मेरा प्रेम गान गाता हुआ आया, 
(फिर न जाने) क्या कानाफूसी हुई, 
उसने डाल दी तुम्हारे गले में 
अपने गले की माला! 

मुग्ध नयनों से हँसकर 
उसने तुम्हें 
चुपचाप कुछ दे दिया, 
(ऐसा-कुछ) जो तुम्हारे गोपन हृदय-पट पर 
चिरकाल तक बना रहेगा, तारा-हार में पिरोया हुआ!

-रवीन्द्रनाथ टैगोर

धूलि-मंदिर

Rabindranath Tagore Poems in Hindi आपकी जीवनशैली में साकारत्मक बदलाव कर सकती हैं, रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं की श्रेणी में से एक रचना “धूलि-मंदिर” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

भजन-पूजन साधना-आराधना, सब-कुछ पड़ा रहे 
अरे, देवालय का द्वार बंद किए क्यों पड़ा है! 
अँधेरे में छिपकर अपने-आप 
चुपचाप तू किसे पूजता है? 
आँख खोलकर ध्यान से देख तो सही-देवता घर में नहीं हैं। 

देवता तो वहाँ गए हैं, जहाँ माटी गोड़कर खेतिहर खेती करते हैं-
पत्थर काटकर राह बना रहे हैं, बारहों महीने खट रहे हैं। 
क्या धूप, क्या वर्षा, हर हालत में सबके साथ हैं 
उनके दोनों हाथों में धूल लगी हुई है 

अरे, तू भी उन्हीं के समान स्वच्छ कपड़े बदलकर धूल पर जा। 
मुक्ति? मुक्ति कहाँ पाएगा भला, मुक्ति है कहाँ? 
स्वयं प्रभु ही तो सृष्टि के बंधन में सबके निकट बँधे हुए हैं। 

अरे, छोड़ो भी यह ध्यान, रहने भी दो फूलों की डलिया 
कपड़े फट जाने दो, धूल-बालू लगे 
कर्मयोग में उनसे कंधा मिलाकर पसीना बहने दो।

-रवीन्द्रनाथ टैगोर

समालोचक

Rabindranath Tagore Poems in Hindi के माध्यम से आपको कवि के शब्दों से साहस मिलेगा, रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना “समालोचक” भी है। यह कुछ इस प्रकार है:

पिताजी क्या तो स्वयं किताबें लिखते हैं! 
खाक़ समझ नहीं आता, क्या जो लिखते हैं। 
उस रोज़ मुझे पढ़कर सुना रहे थे, 
समझा था? सच-सच बता मुझे। 
ऐसे लिखने का 
फिर तू ही बता, क्या होगा भला। 
तेरे मुँह से जैसी बातें सुना करता हूँ 
वैसी क्यों नहीं लिखते वे? 
दादीजी ने उनको क्या कभी 
राजा की कोई कहानी नहीं सुनाई? 
वे सब बात 
वे भुला बैठे शायद! 
नहाने में देर हुई देख 
तुम उन्हें पुकारती ही रह जाती हो— 
खाना लिए बैठी रहती हो तुम 
उन्हें इसकी सुध ही नहीं रहती। 
सब समय 
लिखना और लिखने का खेल। 
उनके कमरे में मैं कहीं खेलने गया 
कि तुम मुझे नटखट कहने लगती हो। 
शोर करता हूँ तो डाँट बताती हो— 
“देखता नहीं, तेरे बाबूजी कमरे में लिख रहे हैं।” 
बता तो, सच बता 
लिखने से होता क्या है आख़िर।

-रवीन्द्रनाथ टैगोर

खो जाना

Rabindranath Tagore Poems in Hindi के माध्यम से आपको कवि की कल्पना से जन्मे भाव का अनुमान लगेगा, रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की महान रचनाओं में से एक रचना “खो जाना” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

छोटी-सी मेरी बिटिया 
सखियों की पुकार सुनकर 
सीढ़ी के रास्ते निचले तल्ले की ओर उतर रही थी 
अँधेरे में, डरती-डरती, रुक-रुककर। 

हाथ में था दीया, 
आँचल से ओट करके सावधानी से चल रही थी! 
मैं था छत के ऊपर 
तारा-खचित चैत मास की रात में। 

अचानक बिटिया की रुलाई सुनकर, उठकर 
देखने गया दौड़कर। 
सीढ़ी से जाते-जाते 
हवा से उसका दीया बुझ गया था। 

पूछा उससे, “क्या हुआ बामी?” 
नीचे से रोकर उसने कहा, “मैं खो गई हूँ।” 
ताराओं से भरी चैत मास की रात में 
छत पर लौटकर 
मन में आया आकाश की ओर देखकर, 
मेरी बामी के समान और कोई एक लड़की मानो 

नीलाम्बर के आँचल से ढँककर 
दीपशिखा को बचाती हुई अकेली चली जा रही है धीरे-धीरे। 
अगर बुझ जाता वह प्रकाश, 
अगर अचानक रुक जाती वह, 
(तो) सारा आकाश रो उठता, “मैं खो गया हूँ।”

-रवीन्द्रनाथ टैगोर

रूप-नारान के तट पर

Rabindranath Tagore Poems in Hindi के माध्यम से आपको साहित्य का सौंदर्य देखने को मिलेगी, रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की महान रचनाओं में से एक रचना “रूप-नारान के तट पर” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

रूप-नारान के तट पर 
जाग उठा मैं। 
जाना, यह जगत् 
सपना नहीं है। 

लहू के अक्षरों में लिखा 
अपना रूप देखा; 
प्रत्येक आघात 
प्रत्येक वेदना में 
अपने को पहचाना। 

सत्य कठिन है 
कठिन को मैंने प्यार किया
वह कभी छलता नहीं।
मरने तक के दुःख का तप है यह जीवन
सत्य के दारुण मूल्य को पाने के लिए
मृत्यु में सारा ऋण चुका देना।

-रवीन्द्रनाथ टैगोर

लुका-छिपी

Rabindranath Tagore Poems in Hindi के माध्यम से आपको कवि की कल्पना से जन्मे भाव का अनुभव करने का अवसर मिलेगा, रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की महान रचनाओं में से एक रचना “लुका-छिपी” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

यदि मैं शरारत करूँ 
फूल बनकर चम्पा के वृक्ष पर जा खिलूँ 
किसी भोर बेला में डाली पर हिलने-डुलने लगूँ 
तब तो माँ तुम मुझसे हार जाओगी 
माँ तब क्या तुम मुझे पहचान सकोगी 
तुम पुकारोगी मुन्ना कहाँ गया रे 
और मैं चुपचाप केवल हँसूँगा 
जब तुम किसी काम में लगी रहोगी 
तब मैं आँखें खोले हुए सब-कुछ देखूँगा 

स्नान करके तुम चम्पा के नीचे से 
निकलोगी पीठ पर केश फैलाए हुए 
वहाँ से पूजा-घर में जाओगी 
तब तुम्हें दूर से फूल की सुगंध आएगी 

किंतु तुम समझ नहीं पाओगी 
कि सुगंध तुम्हारे मुन्ना के शरीर से आ रही है 
सबको खिला-पिलाकर दुपहर में 
तुम महाभारत लेकर बैठोगी 

कमरे की खिड़की से वृक्ष की छाया 
तुम्हारी पीठ और गोद में पड़ेगी 
मैं तुम्हारी पुस्तक पर आ झुलाऊँगा 
अपनी नन्ही-सी छाया 
क्या तुम समझ सकोगी 
तुम्हारी आँखों में मुन्ना की छाया तैर रही है 
साँझ को दिया जलाकर 

जब तुम गाय की सार में जाओगी 
तब मैं फूल का यह खेल समाप्त करके 
टप से धरती पर टपक पडूँगा 
और फिर से तुम्हारा मुन्ना बन जाऊँगा 
तुम्हारे पास आकर कहूँगा कहानी सुनाओ 
तुम पूछोगी तू कहाँ गया था रे नटखट 
मैं कहूँगा सो मैं नहीं बताऊँगा।

-रवीन्द्रनाथ टैगोर

आशा है कि Rabindranath Tagore Poems in Hindi (रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताएं) के माध्यम से आप रवीन्द्रनाथ टैगोर की सुप्रसिद्ध रचनाओं को पढ़ पाएं होंगे, जो कि आपको सदा प्रेरित करती रहेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा, इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

प्रातिक्रिया दे

Required fields are marked *

*

*