मदर टेरेसा, सरोजिनी नायडू या फिर कल्पना चावला…ये वो कुछ नाम हैं भारतीय महिलाओं की पहचान और प्रेरणा बन चुके हैं। सुधा मूर्ति भी ऐसा ही एक नाम हैं। जो हमेशा ही सामाजिक बदलाव और दूसरों के लिए प्रेरणा का माध्यम रही हैं। सुधा ने भारतीय समाज पर अच्छा प्रभाव डालने के लिए कई बेहतरीन काम किए हैं। वो गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए काम करती हैं, लेखक हैं और देश की बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के पीछे भी उनका का हाथ रहा है। भारतीय परिधान में सजी, जनसेवा के काम करती सुधा को वैश्विक तौर पर पहचान मिल रही है। देश की पहली महिला इंजीनियर होने से लेकर इंफोसिस जैसी कंपनी की स्थापना करने तक उनकी बदलाव लाने की इच्छा और शिक्षा ने बड़ी भूमिका निभाई है। सुधा मूर्ति की शिक्षा और उपलब्धियों पर एक नजर डालते है।
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सुधा मूर्ति का शुरुआती जीवन
19 अगस्त, 1950 को सुधा मूर्ति का जन्म कर्नाटक के शेगांव के ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता डॉ. आर एच कुलकर्णी एक सर्जन थे और उनकी मां विमला कुलकर्णी ने बचपन से ही सुधा और उनके तीन भाई-बहनों को सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। शिक्षित माहौल होने के चलते उनके परिवार ने उन्हें शुरू से ही कुछ अनोखा करने की दिशा दिखाई। सुधा के भाई श्रीनिवास कुलकर्णी एक जाने-माने खगोलविज्ञानी हैं और उन्हें 2017 में दन डेविड प्राइज (Dan David Prize) भी दिया जा चुका है। सुधा ने कई किताबें लिखी हैं, जिनका आधार उनका शुरुआती जीवन तो है ही उनकी दादी से उनका लगाव भी इन किताबों की वजह बना है।
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सुधा मूर्ति ने बताए अपने जीवन से जुड़े मजेदार किस्से
शिक्षा
“आग, आग को नहीं बुझा सकती है। सिर्फ पानी से ही कुछ अंतर पड़ेगा।”- सुधा मूर्ति
तकनीकी होने के बावजूद सुधा मूर्ति की शिक्षा ने एक लेखक के तौर पर उन्हें विकसित करने में बड़ा रोल निभाया है। मेहनत के दम पर अपनी स्नातक और परास्नातक की परीक्षा में उन्होंने टॉप किया था। सुधा ने हुबली के बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से अपना बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग पूरा किया था।जहां उन्होंने अपनी बेहतरीन मेहनत के दम पर गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद अपनी उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु का रुख किया। यहां से सुधा ने 1974 में कंप्यूटर साइंस में मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग पूरा किया। बाद में उन्हें कर्नाटक के तब के मुख्यमंत्री ने दोनों फाइनल एग्जाम में टॉप करने के लिए सम्मानित किया था।
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सामाजिक बदलाव का प्रतीक, सुधा मूर्ति
सुधा मूर्ति ने हमेशा से ही महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के विकास के लिए खड़ी रही हैं। एक बार उन्होंने टेल्को (Telco) नाम से भी जाने जाने वाले टाटा मोटर्स (Tata Motors) को उनकी सिर्फ पुरुषों से जुड़ी पॉलिसी (men-only policy) के लिए लिखा था। बाद में उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और वो नौकरी पाने वाली भारत की पहली महिला इंजीनियर भी बनी। टेल्को में उनकी स्थिति के चलते कंपनी ने उनकी पॉलिसी में बड़े बदलाव किए।
इंफोसिस को स्थापित करने में अपने पति नारायण मूर्ति को सहयोग करने और शुरुआती पूंजी देने के साथ सुधा ने साहित्य भी खूब लिखा है, जिसमें बच्चों से जुड़ी किताबें भी शामिल हैं। अपनी किताबों के माध्यम से उन्होंने बड़ों और छोटों सभी को पढ़ने के लिए प्रेरित किया है। सुधा की शिक्षा और समाज के विकास में किए गए उनके सहयोग ने उनका नाम स्थापित किया है। अपने इंफोसिस फाउंडेशन के साथ उन्होंने शिक्षा, सफाई, गरीबी को कम करने आदि के लिए खूब जागरूक किया।
वो गेट्स फाउंडेशन (Gates Foundation) की भी सदस्य हैं। उन्होंने भारत की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के बहुत प्रयास किए हैं। जहां उन्होंने कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में कम्प्युटर टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया। उन्होंने हावर्ड में मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया (Murty Classical Library of India (MCLI) की स्थापना भी की थी।
“सोच हो पर उस पर काम न किया जाए तो ये बस सपना ही रह जाएगी। लेकिन सोच और काम को मिलाकर दुनिया बदली जा सकता है”-सुधा मूर्ति
उपलब्धियां (Achievements)
सुधा मूर्ति की शिक्षा और कई क्षेत्रों में उनके काम की वजह से उनको कई पुरस्कार मिल चुके हैं। उनको अपनी शैक्षिक उपलब्धियों के लिए भी कई अवार्ड मिले। साल 2019 में आईआईटी, कानपुर ने उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस (Doctor of Science (DSc)) की डिग्री से सम्मानित किया था। उनकी उपलब्धियों में कई भाषाओं में साहित्यिक कामों के लिए मिले अवार्ड भी शामिल हैं। शुरुआत में उन्होंने कन्नड़ में लिखा, फिर वो अंग्रेजी में भी लिखने लगीं। उन्होंने ज्यादातर बार परिवार, शादी और सामाजिक परेशानियों के बारे में ही लिखा। आरके द नारायण अवार्ड (R.K. The Narayan Award for literature) के साथ ही उन्हें साहित्य के क्षेत्र में कई बार सम्मानित किया गया।
सुधा मूर्ति की किताबें
उनकी कुछ सबसे जानी पहचानी किताबों में से एक हैं द मदर आई नेवर न्यू (The Mother I Never Knew), थ्री थाउजेंड स्टीचेस (Three Thousand Stitches), द मैन फ्रॉम द एग (The Man from the Egg) और मैजिक ऑफ द मोस्ट टेम्पल (Magic of the Lost Temple)। 2018 में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला तो 2019 में उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री मिला। इसके साथ ही सुधा मूर्ति की लिखी कई किताबों में से 15 के बारे में यहां बताया जा रहा है।
- हाउ आई थोट माई ग्रैंडमदर तो रीड एंड अदर स्टोरीज
- थ्री थाउजेंड स्टीचेस
- महाश्वेता
- समथिंग हैपेंड ऑन द वे टू हेवेन
- ग्रेंडमाज बैग ऑफ स्टोरीज
- द बर्ड विद द गोल्डन विंग्स
- हेयर, डेयर, एवरीवेयर
- मैजिक ऑफ द लॉस्ट टेंपल
- द मदर आई नेवर न्यू
- वाइज और अदरवाइज
- द डे आई स्टाॅप्ड ड्रिंकिंग मिल्क
- हाउस ऑफ कार्ड्स
- डॉलर बहू
- हाऊ द सी बिकेम साल्टी
सुधा मूर्ति की शिक्षा और समाज के बेहतर भविष्य के लिए उनके विचारों ने कइयों को मानवता के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया है। उनके जैसा व्यक्तित्व हमें सपने देखने और उनको पाने के लिए मेहनत करने की ओर प्रेरित करता है। अगर आपका सपना विदेश से पढ़ाई करने का है तो Leverage Edu इसमें आपकी मदद कर सकता है। यूनिवर्सिटी में आवेदन से लेकर वीजा पूरा होने तक हमारे एक्सपर्ट आपकी पूरी मदद करेंगे।