रेडियो का इतिहास : रेडियो का सुनहरा इतिहास क्या है और कब से हुई थी इसकी शुरुआत

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रेडियो का इतिहास

रेडियो एक ऐसा माध्यम है, जिसने इतिहास में घटित अहम घटनाओं में अपनी एक अलग भूमिका निभाई है। भले ही आधुनिकता के दौर में मानव नित परिवर्तन की दिशा में अग्रसर क्यों न हो, भले ही वर्तमान समय में मोबाइल और इंटरनेट का बोलबाला क्यों न हो, भले ही आजकल मानव को जोड़ने वाले संसाधन क्यों न बदल गए हो, इस सबके बाद भी रेडियो की भूमिका और इसके योगदान को नहीं झुठलाया जा सकता है। जब टीवी नहीं हुआ करते थे, तो रेडियो ने ही गांव-देहात में लोगों को समाचारों या मनोरंजन से अपडेटेड रखा था। इस पोस्ट में आपको रेडियो के इतिहास के बारे में जानने को मिलेगा, जिसके लिए आपको ब्लॉग को अंत तक पढ़ना आवश्यक है।

रेडियो का अविष्कार किसने किया?गुग्लिल्मो मोरकोनी
गुग्लिल्मो मोरकोनी ने किस वर्ष में रेडियो का अविष्कार किया?1890 में 
गुग्लिल्मो मोरकोनी को कब रेडियो का आधिकारिक अविष्कारक माना गया?वर्ष 1896 में पेटेंट रिकॉर्ड होने के बाद
वर्ल्ड रेडियो डे कब मनाया जाता है?13 फरवरी को
पहली बार वर्ल्ड रेडियो किस वर्ष बनाया गया?13 फरवरी 1946
पहले रेडियो प्रसारण की शुरुआत कब हुई?24 दिसंबर 1906 

दुनिया में रेडियो की शुरुआत कैसे हुई?

रेडियो एक ऐसा माध्यम था जो लोगों को सशक्त करने का काम करता था, इस माध्यम से लोग विभिन्न बदलावों को महसूस करके खुद को अपडेट रखते थे। रेडियो का इतना समृद्ध इतिहास होने के बाद भी क्या आपने सोचा है कि आखिर इसका अविष्कार कब और कैसे हुआ होगा? निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आप रेडियो के इतिहास के बारे में जान सकते हैं-

  • रेडियो का अविष्कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक गुग्लिल्मो मोरकोनी ने किया था।
  • गुग्लिल्मो मोरकोनी ने वर्ष 1890 में रेडियो का अविष्कार किया।
  • वर्ष 1896 को रेडियो का पेटेंट रिकॉर्ड मिला और इसक बाद उन्हें रेडियो का आधिकारिक अविष्कारक मान लिया गया। 
  • 24 दिसंबर 1906 को कैनेडा के वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडन ने रेडियो ब्रॉडकास्टिंग के द्धारा संदेश भेजकर रेडियो प्रसारण की शुरुआत की।
  • पहले रेडियो ब्राडकास्टिंग में वायलिन की धुन को रेडियो तरंगो के माध्यम से अटलांटा महासागर में तैर रहे जहाजों तक रेगिनाल्ड फेसेंडेन द्वारा पहुंचाया गया।
  • पहले विश्वयुद्ध के दौरान ( 1914 से 1918 तक) गैर सेनाओं द्धारा रेडियो के इस्तेमाल को पूरी तरह अवैध करार कर दिया गया।
  • वर्ष 1918 में न्यूयॉर्क के हैब्रिज में पहली बार रेडियो स्टेशन की स्थापना की गई थी जिसको बाद में गैरकानूनी करार कर दिया गया।
  • वर्ष 1923 में पहली बार कानूनी तौर पर रेडियो के माध्यम से विज्ञापनों की शुरुआत हुई।
  • रेडियो के शुरुआती दिनों में रेडियों रखने के लिए INR 10 का लाइसेंस खरीदना पड़ता था।

भारत में रेडियो का क्या है इतिहास?

भारत जिसने हर प्रकार की आधुनिकता को स्वीकार किया और खुद को समय के अनुकूल बनाया। भारत ने गुलामी कालखंड से आज़ादी की तरफ कदम रखा हो, या भारत-पाक के बीच हुए हर युद्ध में भारतीय सेना के शौर्य की गाथा को जन-जन तक पहुंचाना हो या आपातकाल के विद्रोह से जनता को अवगत करवाना हो, इन सभी घटनाओं में रेडियो ने अहम भूमिका निभाई है। भारत में रेडियो के इतिहास को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-

  • वर्ष 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब द्वारा पहली बार रेडियो को भारत लाया गया था।
  • वर्ष 1927 तक मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब ने ही भारत में रेडियो ब्रॉडकास्टिंग पर प्रसारण का काम किया था।
  • आर्थिक तंगी के चलते मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब द्धारा इसे बंद कर दिया गया।
  • वर्ष 1927 में बॉम्बे और कलकत्ता में बॉम्बे के कुछ बड़े बिजनेसमैन द्वारा भारतीय प्रसारण कंपनी को शुरु किया गया।
  • वर्ष 1932 भारत सरकार द्वारा इसकी जिम्मेदारी ले ली गई और इसकी देख-रेख के लिए इंडियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस नाम का विभाग शुरु किया।
  • वर्ष 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio AIR) रख दिया गया, जो कि आकाशवाणी के नाम से भी जाना जाता है।

वर्तमान समय में भारत की बदलती तस्वीर में रेडियो की भूमिका

ऐसा नहीं है कि रेडियो इतिहास की कोई वस्तु बनकर रह गया हो, आज भी भारतीयों के लिए रेडियो मनोरंजन से लेकर देश एकता के लिए एक अच्छा और सशक्त माध्यम है। वर्तमान समय में भारत की बदलती तस्वीर में रेडियो की भूमिका को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता हैं-

  • भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” प्रोग्राम के माध्यम से लोगों को रेडियो के प्रति जुड़ना सिखाया, जिसके 100+ एपिसोड्स ने लोगों के विचारों पर गहरा प्रभाव डाला।
  • आज विश्वगुरु बनने के पथ पर अग्रसर भारत के लोगों को प्रेरणा से भरी कहानियां सुनाने और प्रेरित करने में रेडियो की अहम भूमिका है।
  • रेडियो पॉडकास्ट के माध्यम से नई पीढ़ी रेडियो को अपनी जीवन दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बना रही है।
  • आज रेडियो के माध्यम से मनोरंजन क्षेत्र में भी बदलाव आए हैं, जिनमें आप शॉर्ट स्टोरी सुन सकते हैं, देश-विदेश की ख़बरों को सुन सकते हैं और तो और आप विभिन्न माध्यमों से अपनी दिल की बात देश की जनता तक रख सकते हैं।
  • रेडियो पर एडवर्टीज़मेंट के माध्यम से आप अपने बिज़नेस और अपने प्रोडक्ट का भी प्रचार कर सकते हैं और अधिकाधिक लोगों तक अपनी पहुँच बना सकते हैं।

1920 का दशक : रेडियो का स्वर्णकाल 

प्रथम विश्व युद्ध ने रेडियो के विकास में एक बड़ी भूमिका निभाई। प्रथम विश्व युद्ध के समय रेडियो सेना और आम लोगों के लिए ख़बरें प्राप्त करने का एक अहम माध्यम बन चुका था। पहले विश्व युद्ध के बाद रेडियो की तकनीक में तेज़ी से विकास किया गया। वर्ष 1920 में रेडियो स्टेशन केडीकेए जो कि रूस के पिट्सबर्ग शहर में स्थित था, दुनिया का पहला कॉमर्शियल रेडियो स्टेशन बना। 1920 के दशक को रेडियो का स्वर्णकाल कहा जाता है। इस दौरान रेडियो पर संगीत, समाचार और विभिन्न प्रकार कार्यकर्मों का प्रसारण शुरू हुआ।  

1990 के दशक से वर्तमान तक: डिजिटल युग में रेडियो

1990 के दशक में रेडियो डिजिटल युग में परिवर्तित हो गया। सैटेलाइट प्रसारण और इंटरनेट पर रेडियो स्टेशनों की उपलब्धता ने ऑडियो कंटेंट की तरफ लोगों का ध्यान फिर से आकर्षित किया।  इसके अतिरिक्त, पॉडकास्ट ऑडियो कंटेंट का एक लोकप्रिय रूप बन गया, जिसने तकनीकी और सांस्कृतिक परिवर्तनों के लिए रेडियो की निरंतर अनुकूलनशीलता को प्रदर्शित किया, जो डिजिटल युग में भी प्रासंगिक बना हुआ है।

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यह था रेडियो का इतिहास पर हमारा ब्लॉग।  इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स पर आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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