Shiv Prasad Mishra ‘Rudra’ Ka Jivan Parichay: शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ आधुनिक हिंदी साहित्य में प्रतिष्ठित उपन्यासकार, कहानीकार, व्यंग्यकार, गीतकार और नाटककार के रूप में जाने जाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कई पत्रिकाओं का भी संपादन भी किया हैं। ‘बहती गंगा’ और ‘सुचिताच’ (उपन्यास) ताल तलैया, गज़लिका, परीक्षा पचीसी (गीत एवं व्यंग्य गीत संग्रह) व ‘महाकवि कालिदास’, ‘दशाश्वमेध’ (नाटक) उनकी प्रमुख रचनाएँ मानी जाती हैं।
बता दें कि शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ की कई रचनाओं को विद्यालय के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम प्रतिष्ठित साहित्यकार शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ का जीवन परिचय (Shiv Prasad Mishra ‘Rudra’ Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ |
जन्म | 27 सितंबर, 1911 |
जन्म स्थान | ज्ञानवापी, वाराणसी |
शिक्षा | बी.ए., एम.ए., बी.टी. (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) |
पेशा | साहित्यकार, पत्रकार, अध्यापक |
भाषा | हिंदी |
विधाएँ | उपन्यास, कहानी, नाटक, गीत, पत्रकारिता |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
निधन | 31 अगस्त, 1970 वाराणसी |
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वाराणसी में हुआ था जन्म – Shiv Prasad Mishra ‘Rudra’ Ka Jivan Parichay
शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ का जन्म 27 सितंबर, 1911 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी नामक स्थान पर हुआ था। उनके माता-पिता के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। बता दें कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी के ‘हरिशचंद्र कॉलेज’ और ‘क़्वींस कॉलेज’ में हुई थी। इसके बाद उन्होंने ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ से बी.ए, एम.ए और बी.टी की डिग्री हासिल की।
अध्यापक के रूप में की करियर की शुरुआत
शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ ने अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद आजीविका हेतु विद्यालय एवं विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया था। इसके साथ ही उन्होंने दैनिक ‘आज’, ‘सन्मार्ग’, ‘संसार’, ‘नागरी’ आदि पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कार्य भी किया था। वे काशी नागरी प्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री पद पर भी रहे थे।
शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ की रचनाएँ – Shiv Prasad Mishra ‘Rudra’ Ki Rachnaye
बताया जाता है कि उनकी अनेक संपादित रचनाएँ ‘काशी नागरी प्रचारिणी सभा’ द्वारा प्रकाशित हुई थी। वहीं उनका लोकप्रिय उपन्यास ‘बहती गंगा’ हिंदी साहित्य की एक अनूठी रचना मानी जाती है। इस रचना में बनारस की संस्कृति और आबोहवा का जीवांत चित्रण देखने को मिलता है।
यहाँ शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ का जीवन परिचय (Shiv Prasad Mishra ‘Rudra’ Ka Jivan Parichay) के साथ ही उनकी संपूर्ण रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
उपन्यास
- बहती गंगा
- सुचिताच
- रामबोला रामबोले
गजल-संग्रह
- ग़ज़लिका
लघु खंडकाव्य
- तुलसीदास
शिक्षणशास्त्र
- अध्यापन कला
नाटक
- महाकवि कालिदास
- दशाश्वमेध
संपादन
- तेगअली काशिका
- चीन को चेतावनी
- भारतेन्दु ग्रन्थावली
- सत्य हरिश्चन्द्र
- छिताईवार्ता
- हकायके हिंदी
- नाथसिद्धों की बानियाँ
- रास और रासान्वयी काव्य
निधन
कई दशकों तक अनुपम कृतियों का सृजन करने वाले शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ का 31 अगस्त, 1970 को वाराणसी में निधन हो गया था। किंतु आज भी उनकी लोकप्रिय रचनाओं के लिए उन्हें जाना जाता है।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ का जीवन परिचय (Shiv Prasad Mishra ‘Rudra’ Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
उनका जन्म 27 सितंबर, 1911 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी नामक स्थान पर हुआ था।
उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।
‘बहती गंगा’ शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ का लोकप्रिय उपन्यास है।
उनका 31 अगस्त, 1970 को वाराणसी में निधन हुआ था।
आशा है कि आपको शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ का जीवन परिचय (Shiv Prasad Mishra ‘Rudra’ Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।