होली का रंगः आपके होली त्योहार की कहानियां

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Aapke holi tyohar ki kahaniyan

होली…नाम सुनते ही सभी को अपने त्योहार की खुशियां मनाने के लिए उत्साहित हो जाते हैं। रंग-गुलाल उड़ने से पहले ही फाल्गुन की बयार बहने लगती है। घर के बुजुर्ग होली के गीत-संगीत और गाने-सुनाने लगते हैं, जोकि भारतीय संस्कृति और परंपरा का बखान करते हुए हमें उन चीजों के बारे में बताते हैं, जिनके बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं होती है। होली का त्योहार केवल रंगों तक नहीं सीमित है, यह हमें आपस में मिलजुलकर रहने का संदेश देता है। होली त्योहार की कुछ कहानियां ऐसी हैं, जो असत्य पर सत्य की जीत बयां करती आ रही हैं।

राधा जी और कृष्ण जी की कथा

रंगों का त्योहार राधा जी और कृष्ण जी की प्रेम कहानी से भी जुड़ा है। इसका अनुमान हम कहीं न कहीं हर साल मथुरा और वृंदावन की होली से लगा सकते हैं। बरसाना और नंदगांव की लठ्ठमार होली फेमस है। माना जाता है कि भगवान्नाम का रंग खेला जाता है और सद्भावना बढ़ाने के लिए रंग होता है प्रेम का और त्योहार पर अहंकार की होली जलाई जाती है।

प्रह्लाद और होलिका की कथा

होली के त्योहार से कुछ दिन पहले ही हम घर और पड़ोस के लोगों से प्रह्लाद और होलिका की कथा सुनते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी। हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया के वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाए, जिससे प्रह्लाद की मृत्यु हो जाए, लेकिन होलिका होलिका आग में जल गई और प्रह्लाद बच गए। इस कहानी की याद में होलिका जलाई जाती है।

भगवान शिव, मां पार्वती और कामदेव की कथा

भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती से संबंधित कथा के अनुसार, माता पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह शंकर भगवान से हो जाए, लेकिन भगवान शिव तपस्या में लीन थे। इस दौरान कामदेव मां पार्वती की सहायता के लिए आए और भगवान भोलनोथ की तपस्या भंग कर दी। भगवान ने क्रोध में आकर तीसरी आंख खोल दी और कामदेव का शरीर भस्म हो गया। इसके बाद भगवान ने मां पार्वती को देखा और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकारा। इसी आधार पर होली की आग में सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।

कंस और पूतना की कथा

भगवान कृष्ण के मामा कंस ने मथुरा के राजा वसुदेव से उनका राज्य छीन लिया और अत्याचार करने लगा। बाद में भविष्यवाणी हुई कि वसुदेव और देवकी का आठवां पुत्र उसका विनाश करेगा। इसके बाद कंस ने वसुदेव और देवकी को कारागार में डाल दिया और उनके सात बेटों को मार दिया। इसके बाद आठवें पुत्र के रूप में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ और कारागार के द्वार खुल गए। वसुदेव भगवान कृष्ण को गोकुल में नंद के घर ले गए और उनकी कन्या को अपने साथ ले आए। 

कंस ने जब इस कन्या को मारना चाहा तो वह अदृश्य हो गई और इसी दौरान आकाशवाणी हुई कि कंस को मारने वाला जन्म ले चुका है और गोकुल में है। इसके बाद कंस ने गोकुल में हर बच्चे की हत्या करने के लिए राक्षसी पूतना का सहारा लिया। पूतना सुंदर रूप बना सकती थी और महिलाओं में मिल जाती थी। वह स्तनपान के बजाय बच्चों को विषपान कराती थी, लेकिन भगवान कृष्ण उसे समझ गए और उन्होंने पूतना का वध कर दिया। यह दिन फाल्गुन पूर्णिमा का था, इसलिए पूतना वध की खुशी में होली मनाई जा रही है। होली के पर्व पर लोग प्रेम और सौहार्द से एक-दूसरे से मिलते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं।

बसंत महोत्सव का भी होली से जुड़ाव

भारत के विभिन्न राज्यों में कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं। हर फसल का एक समय और मौसम निर्धारित होता है और उसे उसी मौसम में तैयार करने के लिए हमारे अन्नदाता जी-जान से मेहनत करते हैं। होली का त्योहार रंगों के अलावा बसंत का त्योहार भी कहा जाता है, इस मौसम में अन्नदाता की रबी की फसल पककर अच्छे से तैयार हो जाती है, इसीलिए खुशी में लोग होली का त्योहार बसंत महोत्सव के रूप में मनाते हैं, इससे उन्हें दोहरी खुशी मिलती है। अन्नदाता अपनी मेहनत और लहलहाती फसल को देखकर मस्ती में नजर आते हैं। 

ऐसी ही रोमांचक जानकारी के लिए बने रहिये हमारी वेबसाइट के साथ। 

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