भारत के झंडे को तिरंगा भी कहते हैं। इसका कारण है कि इसमें तीन रंगों को मिलाकर इसे तैयार किया गया है। यह तीन रंग हैं,केसरिया, सफ़ेद और हरा। इन तीनों रंगों के अपने अपने अलग अलग मतलब हैं। ये तीनों रंग भिन्न भिन्न भावनाओं को प्रकट करते हैं। यहाँ Tiranga colour meaning in Hindi में भारत के तिरंगे झंडे में मौजूद तीनों रंगों का तात्पर्य समझाया जा रहा है।
भारत के तिरंगे झंडे में मौजूद तीनों रंगों का अर्थ
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है। यह शौर्य और बलिदान का प्रतीक है। बीच में सफ़ेद रंग होता है जो कि शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे हरा रंग होता है जो कि हरियाली और सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसके बीच में दर्शाया गया अशोक चक्र सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ से लिया गया है। यह कर्तव्य का प्रतीक है।
कब और किसने डिज़ाइन किया भारत का तिरंगा ध्वज
22 जुलाई 1947 के दिन संविधान सभा की बैठक में आज के तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मान्यता मिली। इसे स्वतंत्रता सैनानी पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। वे एक महान स्वतंत्रता सैनानी थे। वे ब्रिटिश इंडियन आर्मी में सैनिक के रूप में भी काम कर चुके थे। दूसरे विश्व युद्ध के समय उन्हें अंग्रेजों ने जंग के लिए अफ्रीका में तैनात किया था। वहां उन्हें ब्रिटिश झंडे को सलामी देनी पड़ती थी। यह बात उन्हें गुलामी की निशानी लगी। तब उनके मन में भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने का विचार आया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सदस्य बनने के बाद उन्होंने भारत के लिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को डिज़ाइन किया।
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