योग क्या है: जानिए योग और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

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योग क्या है

योग क्या है? सामान्य भाव में योग का अर्थ है जुड़ना। यानी दो तत्वों का मिलन योग कहलाता है। योग की पूर्णता इसी में है कि जीव भाव में पड़ा मनुष्य परमात्मा से जुड़कर अपने निजी आत्म स्वरूप में स्थापित हो जाए। योग करना मतलब एकजुट करना या एकत्रित करना। योग में आसन, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से हम मन, श्वास और शरीर के विभिन्न अंगों में सामंजस्य बनाना सीखते है।यदि आपको लगता है की योग का मतलब है अपने शरीर को अंतरंग तरीके से मोड़ना,  तो फिर समय आ गया है की आप अपनी सोच पर एक बार गहनता से पूर्ण विचार करें। योग सिर्फ़ आसनो तक सीमित नहीं है बल्कि इससे कई अधिक है। सीधे- सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह अपने मन, शरीर और श्वास की देखभाल करना है।योग सबसे पहले बाहरी शरीर को लाभ पहुँचाता है, जो ज़्यादातर लोगों के लिए एक व्यावहारिक और परिचित शुरुआत जगह है। जब इस स्तर पर असंतुलन का अनुभव होता है, तो अंग, मांसपेशियाँ और नसें सद्भाव में कम नही करते है, बल्कि वे एक- दूसरे के विरोध में कार्य करते है। योग क्या है से जुडी सभी जानकारी इस ब्लॉग में दी गयी है साथ ही जानिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस क्यों मनाया जाता है।

योग क्या है?
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 

हर वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया जिसमें 35,985 लोगों और 84 देशों के लोगों ने दिल्ली के राजपथ में 21 आसन किए। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पहल प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई। उन्होंने 27 सितंबर 2014 को महासभा के भाषण में इसके संदर्भ में कहा कि:

“योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।”

—नरेन्द्र मोदी, संयुक्त राष्ट्र महासभा

श्री श्री रविशंकर ने नरेंद्र मोदी के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद योग की महत्वता को बताते हुए कहा की-

“किसी भी दर्शन, धर्म या संस्कृति के लिए राज्य के संरक्षण के बिना जीवित रहना बहुत मुश्किल है। योग लगभग एक अनाथ की तरह अब तक अस्तित्व में था। अब संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधिकारिक मान्यता योग के लाभ को विश्वभर में फैलाएगी।”

— श्री श्री रविशंकर

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को क्यों मनाया जाता है?

इसका कोई निश्चित कारण तो नहीं है परंतु कुछ विद्वानों द्वारा कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाए जाने के पीछे का कारण है कि 21 जून को दिन लंबा होता है। इस दिन सूर्य जल्दी उदय होता है तथा देरी से अस्त होता है। इस दिन गर्मी अधिक होती है। तथा कुछ विद्वानों को कहना यह है कि शिव ने अपने शिष्यों को ग्रीष्म संक्रांति पर उपदेश दिए थे। 21 जून उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति भी कह सकते हैं। ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी माना जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का महत्व

“एक फोटोग्राफर लोगों से उसके लिए पोज दिलवाता है।  एक योग प्रशिक्षक लोगों से खुद के लिए पोज दिलवाता है।” – टी गिलेमेट्स 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हमें योग की महत्वता को दर्शाता है। योग से मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से शरीर स्वस्थ रहता है। शरीर में चुस्ती फुर्ती आती है। योग करने से बीमारियां दूर होती है तथा शुगर व बीपी कंट्रोल भी होता है। गर्भावस्था में भी योग करना लाभदायक होता है। विद्यार्थियों के लिए भी योग का बहुत अधिक महत्व है योग करने से मानसिक तनाव दूर होता है जिससे अध्ययन में सहायता मिलती है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कई देशों के लोग भागीदारी निभाते हैं जिससे पूरा विश्व इस दिन योगा करता है।

योग का इतिहास (योग क्या है?)

करीब 5,000 साल पहले तक योग का विकास सभी चरणों पर किया गया – जिसमे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप शामिल थे। योग का सबसे पहले उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है, जो पांचवीं या छठी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ था । भारतीय प्राचीन ग्रंथों – भागवत गीता, उपनिषद, योग वशिष्ठ, हठ योग प्रदीपिका, गेरांडा संहिता, शिव संहिता, पुराण आदि में भी इसका जिक्र किया है। योग का पिता ‘पतंजलि’ को माना जाता है, क्योंकि उन्होने योग सूत्रों के माध्यम से इसे और अधिक सुलभ बनाया। इसके अलावा उन्होंने योग के जरिए लोगोंं को ठीक प्रकार से जीवन जीने की प्रेरणा दी थी।

योग का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

योग के प्रमुख उद्देश्य निम्लिखित हैं-

  1. तनाव से मुक्त जीवन
  2. मानसिक शक्ति का विकास
  3. प्रकृति के विपरीत जीवन शैली में सुधार करना
  4. निरोग काया
  5. रचनात्मकता का विकास
  6. मानसिक शांति प्राप्त करना
  7. सहनशीलता में वृद्धि
  8. नशा मुक्त जीवन
  9. बड़ी सोच 
  10. उत्तम शारीरिक क्षमता का विकास

अंतरंग योग क्या है

अष्टांग योग के अंतर्गत प्रथम पांच अंग ( यम , नियम , आसन , प्राणायाम तथा प्रत्याहार ) ‘ बहिरंग ‘ और शेष तीन अंग ( धारणा , ध्यान , समाधि ) ‘ अंतरंग ‘ नाम से जाना जाता हैं। बहिरंग साधना यथार्थ रूप से अनुष्ठित होने पर ही साधक को अंतरंग साधना का अधिकार प्राप्त होता है। ‘ यम ‘ और ‘ नियम ‘ वस्तुतः शील और तपस्या के द्योतक हैं।

योग कितने प्रकार के होते हैं ?

योग 6 प्रकार के होते हैं, जैसे कि

1. हठ
2. राज
3. कर्म
4. भक्ति
5. ज्ञान
6. तंत्र

योग का लक्ष्य

महर्षि पातंजलि जी के अनुसार केवल्य की प्राप्ति ही योग का अंतिम लक्ष्य है।

योग के प्रसिद्ध ग्रंथ क्या हैं?

ग्रन्थरचनाकार
योगसूत्रपतंजलि
योगभाष्यवेदव्यास
तत्त्ववैशारदीवाचस्पति मिश्र
योगदर्शनम्स्वामी सत्यपति परिव्राजक
योगसूत्रवृत्तिनागेश भट्ट
भोजवृत्तिराजा भोज
हठयोगप्रदीपिकास्वामी स्वात्माराम
मणिप्रभारामानन्द यति
जोगप्रदीपिकाजयतराम
योगयाज्ञवल्क्ययाज्ञवल्क्य
सूत्रवृत्तिगणेशभावा
सूत्रार्थप्रबोधिनीनारायण तीर्थ
योगचूडामण्युपनिषद
घेरण्डसंहिताघेरण्ड मुनि
गोरक्षशतकगुरु गोरख नाथ
योगवार्तिकविज्ञानभिक्षु

भारत के प्रसिद्ध योगगुरु कौन-कौन से हैं?

  • बीकेएस अंयगर- अयंगर को विश्व के अग्रणी योग गुरुओं में से एक माना जाता है और उन्होंने योग के दर्शन पर कई किताबें भी लिखी थीं, जिनमें ‘लाइट ऑन योगा’, ‘लाइट ऑन प्राणायाम’ और ‘लाइट ऑन द योग सूत्राज ऑफ पतंजलि’ शामिल हैं।
  • बाबा रामदेव- बाबा रामदेव भारतीय योग-गुरु हैं, उन्होंने योगासन व प्राणायामयोग के क्षेत्र में योगदान दिया है। रामदेव स्वयं जगह-जगह जाकर योग शिविरों का आयोजन करते हैं।

व्यक्तित्व विकास में योग शिक्षा का महत्व

ऑलपोर्ट “व्यक्तित्व व्यक्ति के उन समस्त मनोशारीरिक तंत्रों का वह आंतरिक गत्यात्मक संगठन है जो कि पर्यावरण में उसके अपूर्व समायोजन को निर्धारित करता है।”
एक व्यक्ति का पर्सनेलिटी उनके दृष्टिकोण, राय, झुकाव और अन्य अद्वितीय व्यवहार विशेषताओं का कुल योग है जो स्वयं में निहित हैं। और इन सभी में योग शिक्षा निश्चित ही अपनी भागीदारी निभाती है। चाहे हम छात्र हों या कामकाजी पेशेवर, हम दिन भर खुद को व्यस्त रखते हैं और अपनी शारीरिक भलाई की उपेक्षा करते हैं।कुछ सरल अभ्यास करने से हम मानसिक रूप से फिट रह सकते हैं, ताकत बना सकते हैं और अपने जीवन में संतुलन बनाए रख सकते हैं। हम मन की शांति तब प्राप्त करते हैं जब हम पूरे दिन घर पर रहने के दौरान दैनिक रूप से बहुत अधिक व्यायाम करते हैं। हम अपने घरों को फिटनेस सेंटर में बदल सकते हैं।आज कल हमारा जीवन टेक्नोलॉजी और काम की व्यस्तता में उलझा रहता है। ऐसे में अपने शरीर और मन को फिर से जीवित करने के लिए एक ब्रेक लेना बहुत आवश्यक होता है। यही वजह है कि दुनिया माइंडफुलनेस के प्रति अधिक जागरूक हो रही है। योग, ध्यान, थेरेपी और काउंसलिंग के माध्यम से मानसिक तंदुरुस्ती पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। प्राचीन समय से भारत में योग का अभ्यास करने का मूल आधार मन, शरीर और पर्यावरण के बीच सामंजस्य स्थापित करना रहा है। 

योग के लाभ

योग से होने वाले लाभ कुछ इस प्रकार है :-

  •  मन रहेता है शांत:   अगर आप योग करते है तो ये आपके मन और मानसिक रूप से अच्छा होता है। योग के जरिए आपकी मांसपेशियां सही प्रकार से काम करती है। इसके माध्यम से आप तनाव से मुक्त रहते है इसके अलावा यदि आप छात्र है तो योग आपके लिए वरदान है पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में मददगार साबित होता है।
  •  तन के साथ मन का व्‍यायाम:  योग के जरिए आप अपने शरीर को भी तंदुरुस्त रख सकते है, साथ ही मन को साफ़ और मन में आते बुरे ख्यालों का इलाज़ भी सिर्फ योग करने से ठीक हो सकते हैं। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मश्तिष्क भी योग के अभ्यास से पूरा किया जा सकता है।
  • योग से होंगे निरोग:  अगर आप निरंतर योग करते हैं तो आप हमेशा निरोग रहेंगे। जी हाँ योग के जरिए आपका शरीर रोगों से लड़ने की शक्ति देता है और योग की वजह से आप हमेशा निरोग रहते हैं। यदि आप किसी रोग से परेशान है तो योग के निरंतर अभ्यास के बाद उस बीमारी को हमेशा के लिए खत्म कर सकते हैं।
  • 4. वजन होगा कंट्रोल: योग के जरिए आपकी मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर को तंदुरुस्त बनाता है, तो वहीं दूसरी ओर योग से शरीर से फैट को भी कम किया जा सकता है.
  • 5. ब्लड शुगर होगा कंट्रोल: योग से आप अपने ब्लड शुगर लेवल को भी काफी तद तक कंट्रोल कर सकते हैं और बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल को घटता है। डायबिटीज रोगियों के लिए योग बेहद फायदेमंद है।
yoga

योग के प्रकार

योग के 4 प्रमुख प्रकार या योग के चार रास्ते है:  

  •  राज योग: 

राज का अर्थ शाही होता है और योग की इस शाखा का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण अंग है ध्यान। इस योग के आठ अंग है, जिस कारण से पतंजलि  ने इसका नाम रखा है अष्टांग योग। यह आठ yog इस प्रकार  है, यम (शपथ लेना), नियम (आत्म अनुशासन), आसन, प्राणायम, प्रत्याहार, धारण (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन) और समाधि (अंतिम मुक्ति)। 

  • कर्म योग: 

अगली शाखा कर्म योग या सेवा का मार्ग  है और हम में से कोई भी इस मार्ग से नहीं बच सकता है। इस बारे में जागरूक होने से हम वर्तमान को अच्छा भविष्य बनाने का एक रास्ता बना सकते है, जो हमें नकारात्मकता और स्वार्थ से बाध्य होने से मुक्त करना है। 

  • भक्ति योग: 

भक्ति योग भक्ति के मार्ग का वर्णन करता है। सभी के लिए सृष्टि में परमात्मा को देखकर, भक्ति योग भावनाओं को को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीक़ा है। 

  • ज्ञान योग: 

अगर हम भक्ति को मन का योग मानते है, तो ज्ञान योग बुद्धि का योग है, ऋषि या विदान का मार्ग है। इस पथ पर चलने के  लिए योग के ग्रंथो के अध्ययन के माध्यम से बुद्धि के विकास की आवश्यकता होती है। 

योग की सूची 

योग क्या है
Source: Aaj Ki Awaaz 2013
  • अर्ध चन्द्रासन
  • भुजंग आसन
  • बालासन (शिशुआसन)
  • मर्जरी आसन
  • नटराज आसन
  • गोमुखासन
  • हलासन
  • सेतु बंध आसन
  • सुखासन
  • नमस्कार आसन
  • ताड़ासन
  • कटि चक्रासन
  • कोणासन
  • उष्ट्रासन
  • वज्रासन
  • वृक्षासन
  • दंडासन
  • अधोमुखी श्वान आसन
  • शवासन

ताड़ासन योग क्या है?

योग क्या है
Source: अच्छी सोच

ताड़ासन योग की विधि

ताड़ासन योग की विधि नीचे दी गई है :-

  • सबसे पहले अपने पैरों के मदद से सीधे खड़े हों।
  • अपने दोनों पैरों के बीच थोडा सा जगह बनायें।
  • उसके बाद एक लम्बी साँस के साथ अपने पैरों की उँगलियों की मदद से शरीर को थोडा ऊपर उठायें और अपने दोनों हांथों को धीरे-धीरे उपर उठायें। उसके बाद अपने एक हाँथ की उँगलियों से दूसरी हाँथ के उँगलियों को जोड़ें।
  • कम से कम 15-30 सेकंड इस मुद्रा में रहें और अपने शरीर को ऊपर की और खींचें।
  • उसके बाद धीरे-धीरे अपने हांथों को सामान्य स्तिथि में ले आयें।

शवासन योग क्या है?

योग क्या है
Source: Pinterest

शवासन, योग विज्ञान का बेहद महत्वपूर्ण आसन है। शवासन को किसी भी योग सेशन के बाद बतौर अंतिम आसन किया जाता है। ‘शवासन’ शब्द दो अलग शब्दों यानी कि ‘शव’ और ‘आसन’ से मिलकर बना है। ‘शव’ का अर्थ होता है मृत देह जबकि आसन का अर्थ होता है ‘मुद्रा’ या फिर ‘बैठना’।

शवासन योग की विधि

शवासन योग की विधि निम्नलिखित है :-

  • सबसे पहले एक समतल जगह पर एक दरी बीचा लें।
  • उसके बाद ऊपर की और मुहँ करके लेट जाएँ।
  • अपने दोनों पैरों को एक दूरे से अलग रखें।
  • उसके बाद कुछ मिनटों के लिए धीरे-धीरे साँस लें और छोड़ें।

वीरभद्रासन योग क्या है?

Yog Kya Hai
Source: Pinterest

वीरभद्रासन आसन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। योद्धा वीरभद्र की कहानी, उपनिषद की अन्य कहानियों की तरह, जीवन में प्रेरणा प्रदान करती है। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।

वीरभद्रासन योग की विधि

वीरभद्रासन योग की विधि नीचे दी गई है :-

  • सबसे पहले सीधे खड़े हों।
  • दोनों पैरों के बिच 3-4 फीट की दूरी रखें।
  • लम्बी साँस लें और दोनों हांथों को जमीन के समान्तर में ऊपर उठायें और अपने सर को दाएँ तरफ मोड़ें।
  • उसके बाद साँस छोड़ते हुए अपने दाएँ पैर को 90 डिग्री में मोड़ें और हल्का सा दाएँ तरफ मोड़ें।
  • पैर को मोड़ने के तरीके को समझने के लिए फोटो को देखें।
  • उसके बाद इस पोजीशन में कुछ समय के लिए रुकें।
  • ऐसे 5-6 बार करें।

वृक्षासन योग क्या है?

Yog Kya Hai
Source: Body Stay Fit

वृक्षासन योग की विधि

वृक्षासन योग की विधि निम्नलिखित है :-

  • सबसे पहले अपने दोनों हांथों को बगल में रख कर सीधे खड़े हों।
  • उसके बाद ध्यान से अपने दाएने पैर को अपने बाएँ पैर के जांघ पर रखकर सीधे खड़े रहें। समझने के लिए फोटो को देखें।
  • उसके बाद धीरे-धीरे डॉन हांथों को जोड़ कर ऊपर की ओर ले जाएँ और प्रार्थना मुद्रा धारण करें।
  • कम से कम 30-45 सेकंड तक इस मुद्रा में बैलेंस करने की कोशिश करें।

त्रिकोणासन योग क्या है?

Yog Kya Hai
Source: Pinterest

त्रिकोणासन योग करते समय शरीर का आकार त्रिकोण (ट्रीअंगेल) के समान होने के कारण इसे त्रिकोणासन या ट्रीअंगेल पोज कहा जाता हैं। मोटापे से परेशान लोगो के लिए यह सबसे सरल और उपयोगी आसन हैं। त्रिकोणासन का नियमित अभ्यास करने से आपके पेट, कमर, जांघ और नितंब पर जमी अतिरिक्त चर्बी को आसानी से घटाया जा सकता हैं।

त्रिकोणासन योग की विधि

त्रिकोणासन योग की विधि निम्नलिखित है :-

  • सबसे पहले सीधे खड़े हों और अपने दोनों पैरों के बिच थोडा गैप रखें।
  • उसके बाद अपने दाएँ पैर को 90 डिग्री में मोड़ें।
  • उसके बाद थोडा सा शरीर को भी दाएँ तरफ झुकाते हुए अपने दाएँ हाँथ से अपने दाएँ पैर के उँगलियों को छुएं और बाएं हांथ को ऊपर की और सिधाई में रखें जैसा फोटो में दिया गया है।
  • इस मुद्रा में 1-2 मिनट तक रुकें।

भुजंगासन योग क्या है?

Yog Kya Hai
Source: Pinterest

भुजंगासन को सर्पासन, कोबरा आसन या सर्प मुद्रा भी कहा जाता है। इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति बनाता है। ये आसन जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है। जबकि सिर सांप के उठे हुए फन की मुद्रा में होता है।

भुजंगासन योग की विधि

भुजंगासन योग की विधि नीचे दी गई है :-

  • सबसे पहले पेट नीचे की तरफ कर के लेट जाएँ।
  • उसके बाद एक लम्बी साँस के साथ अपने शरीर के उपरी भाग को जैसे सर, गर्दन, कन्धों और छाती को ऊपर की तरफ ले जाएँ जैसे चित्र में दिया गया है।
  • इस मुद्रा में 20-30 सेकंड तक रुकें।
  • उसके बाद दोबारा 4-5 बार इस आसन को दोहोराएँ।

योग करके हम अपने शरीर की अनेक बीमारियों को दूर कर सकते है। यह बीमारियां ही नहीं ठीक करता बल्कि याददाश्त, अवसाद, चिंता, डिप्रेशन, मोटापा, मनोविकारों को भी दूर भगाता है। योग से अनेक लाभ भी है। शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ाने का योग से अच्छा कोई और तरीका नहीं हो सकता है।

योग पर अनमोल विचार

  1. योग करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण उपकरण जो आपको चाहिए होंगे वो हैं आपका शरीर और आपका मन। रॉडने यी
  2. जब आप सांस लेते हैं , आप भगवान से शक्ति ले रहे होते हैं। जब आप सांस छोड़ते हैं तो ये उस सेवा को दर्शाता है जो आप दुनिया को दे रहे हैं। – बी के एस आयंगर
  3. ध्यान से ज्ञान आता है; ध्यान की कमी अज्ञानता लाती है। अच्छी तरह जानो कि क्या तुम्हे आगे ले जाता है और क्या तुम्हे रोके रखता है, और उस पथ को चुनो जो ज्ञान की ओर ले जाता है। -बुद्ध
  4. सांसें अंदर लो , और ईश्वर तुम तक पहुँचता है।  सांसें रोके रहो , और ईश्वर तुम्हारे साथ रहता है। सांसें बाहर निकालो, और तुम ईश्वर तक पहुँचते हो।  सांसें छोड़े रहो , और ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाओ। – कृष्णामचार्य
  5. कर्म योग में कभी कोई प्रयत्न बेकार नहीं जाता, और इससे कोई हानि नहीं होती। इसका थोड़ा सा भी अभ्यास जन्म और मृत्यु के सबसे बड़े भय से बचाता है।- भगवद गीता
  6. व्यायाम गद्य की तरह है , जबकि योग गति की कविता है।  एक बार जब आप योग का व्याकरण समझ जाते हैं ; आप अपने गति की कविता लिख सकते हैं। – अमित रे
  7. एलर्जी को रोकने के लिए ऊर्जा उत्पन्न करें। – बाबा रामदेव
  8.  हो सकता है आप बड़े बिजनेसेस और इंटरप्राइजेज को मैनेज करते हों। योग इम्पोर्टेन्ट है क्योंकि ये आपको खुद को मैनेज करना सीखाता है। ये आपकी बॉडी में कम्प्लेट बॅलेन्स लाता है और उसे हेल्दी बनाता है।- बाबा रामदेव

FAQs

योग का अर्थ क्या है?

सामान्य भाव में योग का अर्थ है जुड़ना। यानी दो तत्वों का मिलन योग कहलाता है। आत्मा का परमात्मा से जुड़ना यहां अभीष्ट है। योग की पूर्णता इसी में है कि जीव भाव में पड़ा मनुष्य परमात्मा से जुड़कर अपने निज आत्मस्वरूप में स्थापित हो जाए।

योग किसे कहते हैं कितने प्रकार के होते हैं?

योग के मुख्य चार प्रकार होत हैं। राज योग, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग। कर्म योग के अनुसार हर कोई योग करता है। योग के मुख्य चार प्रकार होत हैं।

योग क्या है इसके महत्व?

योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इस लिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है। योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द युज, जिसका मतलब है जुड़ना।

योग का मूल क्या है?

योग शब्द का जन्म संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुआ है; जिसका अर्थ है – स्वयं का सर्वश्रेष्ठ, (सुप्रीम) स्वयं के साथ मिलन. पतंजलि योग के अनुसार, योग का अर्थ है मन को नियंत्रण में रखना. योग की कई शैलियाँ हैं, लेकिन हर शैली का मूल विचार मन को नियंत्रित करना है।

योग के कितने चरण होते हैं?

इससे पहले पांच चरण योग में बाहरी साधन माने गए हैं। इसके बाद सातवें चरण में ध्यान और आठवें में समाधि की अवस्था आ जाती है। धारणा का मतलब है संभालना, थामना या सहारा देना। मतलब किसी स्थान (मन के भीतर या बाहर) विशेष पर चित्त को स्थिर करने का नाम धारणा है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कब है?

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर वर्ष 21 जून को मनाया जाता है।

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