MS Swaminathan In Hindi: ‘फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन’ कहे जाने वाले भारत रत्न एम.एस. स्वामीनाथन के बारे में कितना जानते हैं आप? 

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MS Swaminathan In Hindi

MS Swaminathan In Hindi: भारत के महान कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एम. एस. स्वामीनाथन ने भारत की स्वतंत्रता के बाद देश के खाद्यान्न संकट की समस्या का निवारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उन्होंने वर्ष 1966 में मैक्सिको के गेहूँ की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना और इसे घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज के रूप में विकसित किया। जिससे अत्याधिक उपज की पैदावार हुई और भारत कुछ ही वर्षो में खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बन गया। 

भारत के कृषि पुनर्जागरण ने एम.एस. स्वामीनाथन को ‘कृषि क्रांति आंदोलन’ के वैज्ञानिक नेता के रूप में प्रसिद्धि दिलाई। इसलिए उन्हें भारत में ‘हरित क्रांति का जनक’ कहा जाता हैं, आइए अब हम भारत के महान कृषि वैज्ञानिक और राज्यसभा सांसद एम.एस. स्वामीनाथन का जीवन परिचय (MS Swaminathan In Hindi) और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

मूल नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन (MS Swaminathan)
जन्म 7 अगस्त, 1925
जन्म स्थान कुंभकोणम, तमिलनाडु
पिता का नाम एम.के. सांबसिवन
माता का नामपार्वती थंगम्मल
शिक्षा कोयमंबटूर कृषि कॉलेज’
पेशा कृषि वैज्ञानिक 
पुरस्कार एवं सम्मान ‘पद्मा विभूषण’,’ एस.एस. भटनागर अवॉर्ड’, ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’, ‘अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंसेज अवॉर्ड’ आदि। 
निधन 28 सितंबर 2023, चेन्नई 

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कौन थे एम.एस. स्वामीनाथन?

भारत के विख्यात कृषि वैज्ञानिक ‘मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन’ जिन्हें एम.एस. स्वामीनाथन भी कहा जाता है। उनका जन्म तमिलनाडु के कुंभकोणम में 7 अगस्त 1925 को हुआ था। इनके पिता का नाम ‘एम.के. सांबसिवन’ था जो कि एक सर्जन थे और माता का नाम ‘पार्वती थंगम्मल’ था जो कि एक गृहणी थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा कुंभकोणम से ही की लेकिन 11 वर्ष की आयु में ही उनके पिता एम.के. सांबसिवन का निधन हो गया। इसके बाद उनके बड़े भाई में उनका पालन पोषण किया। 

एम.एस. स्वामीनाथन का शुरुआत से ही कृषि पसंदीदा विषय रहा था इसलिए उन्होंने वर्ष 1944 में ‘मद्रास एग्रीकल्चरल कॉलेज’ से बी.एस.सी. की पढ़ाई की। इसके बाद वर्ष 1947 में ‘कोयमंबटूर कृषि कॉलेज’ से कृषि विषय में ही दुबारा से बी.एस.सी की बैचलर्स डिग्री हासिल की। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने वर्ष 1940 में सिविल सेवा की परीक्षा पास की थी और उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा में हो गया था। लेकिन उन्होंने कृषि के क्षेत्र में ही अपना करियर बनाया। 

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हरित क्रांति के जनक 

क्या आप जानते हैं वर्तमान समय में भी भारत की अधिकांश आबादी शहरों नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती हैं। वहीं गांव में रहने वाली अधिकांश आबादी आज भी मुख्य रूप से कृषि पर ही निर्भर हैं। लेकिन आज जो हमें कृषि क्षेत्र में इतनी प्रगति और खाद्य उत्पादनों की नई नई किस्मों में इतनी वृद्धि देखने को मिलती हैं। भारत की आजादी से पूर्व ऐसा नहीं था बल्कि वर्षों से कृषि पर निर्भर रहने के बाद भी यहाँ की जनता भुखमरी के कगार पर अपना जीवन बिताती रही। 

भारत में इस गंभीर समस्या से निजात पाना बेहद कठिन था क्योंकि भारत में कृषि के लिए सदियों से चले आ रहे उपकरण और बीजों का प्रयोग होता रहा था। इस गंभीर समस्या को भारत के महान कृषि वैज्ञानिक ‘एम एस स्वामीनाथन’ ने समझा और मैक्सिको के गेहूँ की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना और इसे घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज के रूप में विकसित किया। इस कार्य के एम.एस. स्वामीनाथन ने दो केंद्रीय कृषि मंत्रियों ‘सी. सुब्रमण्यम’ और ‘जगजीवन राम’ के साथ मिलकर काम किया था। 

ये एक ऐसा प्रोग्राम था, जिसमें केमिकल-बायोलॉजिकल टेक्नोलॉजी के माध्यम से गेहूं और चावल की प्रोडक्टिविटी को बढ़ाया गया। इसके कारण भारत में कम आय और भूमि वाले किसानों की फसल पैदावार में अधिक बढ़ोतरी हुई। वहीं हरित क्रांति के कारण ही भारत कुछ वर्षो में आत्मनिर्भर बन गया और कुछ वर्षो में भारत दुनिया के अन्य देशों को खाद्य सामग्री निर्यात करने लगा। 

हरित क्रांति की अपार सफलता ने भारत की तस्वीर को बदलकर रख दिया। वहीं भारत के कृषि पुनर्जागरण में एम. एस. स्वामीनाथन को ‘कृषि क्रांति आंदोलन’ के वैज्ञानिक नेता के रूप में प्रसिद्धि दिलाई। यही कारण हैं कि उन्हें भारत में ‘हरित क्रांति का जनक’ कहा जाता हैं। आपको बता दें कि उन्हें वर्ष 1987 में प्रथम ‘विश्व खाद्य पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। इसे कृषि के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार के रूप में जाना जाता हैं। इसके साथ ही उनको संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा ‘आर्थिक पारिस्थितिकी का जनक’ भी कहा गया। 

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भारत और विदेशों में भी मिले कई सम्मान 

एम.एस. स्वामीनाथन का जीवन परिचय (MS Swaminathan In Hindi) के इस ब्लॉग में अब हम उन्हें देश और विदेश में मिले कुछ प्रमुख सम्मान के बारे में बताने जा रहे है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-

  • वर्ष 1961 में एम.एस. स्वामीनाथन को बायोलॉजिकल साइंसेज में योगदान के लिए ‘एस.एस. भटनागर अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। 
  • इसके बाद वर्ष 1965 में उन्हें चेकोस्लोवाक अकादमी ऑफ साइंसेज से ‘मेडल मेमोरियल’ से सम्मानित किया गया। 
  • वर्ष 1967 में एम.एस. स्वामीनाथन को भारत सरकार ने ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से सम्मनित किया।
  • कम्युनिटी लीडरशिप के लिए उन्हें वर्ष 1971 में प्रतिष्ठित ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’ से सम्मानित किए गया 
  • वर्ष 1972 में उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मा भूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
  • वर्ष 1986 में उन्हें ‘अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंसेज अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। 
  • फिर उन्हें वर्ष 1987 में प्रथम ‘वर्ल्ड फूड प्राइज अवॉर्ड’ से नवाजा गया। 
  • वर्ष 1989 में उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मा विभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
  • वर्ष 1991 में उन्हें पर्यावरण उपलब्धि के लिए ‘टायलर अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। 
  • वर्ष 2000 में एम.एस. स्वामीनाथन को ‘फ्रेंकलिन डी. रूजवैल्ड फॉर फ्रीडम मेडल’ से नवाजा गया। 
  • आपको बता दें कि उन्हें वर्ष 1999 में ‘महात्मा गांधी प्राइज ऑफ यूनेस्को अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। 
  • वर्ष 2007 में महान कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन को ‘लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अवार्ड’ से भी पुरस्कृत किया गया है। 
  • एम.एस. स्वामीनाथन को दुनियाभर के विश्वविधालयों द्वारा लगभग 81 मानद ‘डॉक्टरेट’ उपाधियां हासिल हुईं थी। 
  • वह वर्ष 2007 से 2013 तक राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। 
  • बता दें कि एम.एस. स्वामीनाथन को ‘टाइम पत्रिका’ ने 20वीं सदी के बीस सबसे प्रभावशाली एशियाई लोगों में से एक बताया था। 

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पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ ‘फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन’ कहे जाने वाले एम.एस. स्वामीनाथन का जीवन परिचय (MS Swaminathan In Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेनामवर सिंह सरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा

FAQs 

एम.एस. स्वामीनाथन का जन्म कहाँ हुआ था?

एम.एस. स्वामीनाथन का जन्म तमिलनाडु के कुंभकोणम में 7 अगस्त 1925 को हुआ था। 

एम.एस. स्वामीनाथन के माता-पिता का क्या नाम था?

एम.एस. स्वामीनाथन की माता ‘पार्वती थंगम्मल’ और पिता का नाम ‘एम.के. सांबसिवन’ था।

हरित क्रांति का जनक किसे कहाँ जाता है?

एम.एस. स्वामीनाथन को ‘हरित क्रांति का जनक’ कहा जाता है।

एम.एस. स्वामीनाथन को किस वर्ष ‘पद्मा भूषण’ से नवाजा गया था?

बता दें कि एम.एस. स्वामीनाथन को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 

एम.एस. स्वामीनाथन का निधन कब हुआ?

एम.एस. स्वामीनाथन का 28 सितंबर 2023 को चेन्नई में निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको ‘फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन’ कहे जाने वाले एम.एस. स्वामीनाथन का जीवन परिचय (MS Swaminathan In Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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