महात्मा गांधी के जीवन में कई व्यक्तियों और विचारधाराओं का प्रभाव रहा, लेकिन जब राजनीति की बात आती है, तो उनके मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत के रूप में एक विशेष व्यक्ति का नाम उभरता है। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत के रूप में जाना जाता है और उनके विचारों ने गांधीजी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को आकार दिया। इस व्यक्ति के बारे में जानने के लिए यह ब्लॉग पूरा पढ़ें।
This Blog Includes:
महात्मा गांधी का संक्षिप्त परिचय
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे कि वे भी अहिंसा का रास्ता अपनाएं। लोग गांधीजी को प्यार से बापू कहते हैं। गांधीजी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी। बापू हिंसा के खिलाफ थे और अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को यह संदेश दिया कि भारतीय अब और अधिक समय तक गुलामी में नहीं रह सकते। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा देते हुए इस आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण की शुरुआत की और 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी दुनिया भर में प्रासंगिक हैं।
महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु कौन थे?
महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे। गोखले एक उदारवादी नेता थे, और उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। गांधीजी गोखले के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए, और उन्होंने गोखले के सिद्धांतों को अपनाया। गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि मैंने जो कुछ भी सीखा है, वह गोखलेजी से सीखा है। उन्होंने गोखले को “मेरे राजनीतिक गुरु” कहा था। गोखले के राजनीतिक सिद्धांतों ने गांधीजी को एक महान नेता बनने में मदद की। उन्होंने गांधीजी को अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
पाल कृष्ण गोखले जी की प्रेरणा से ही गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ जन आंदोलन चलाया था। वहीं गांधी जी के भारत आगमन के बाद जब उन्होंने ‘साबरमती आश्रम’ की स्थापना की थी उसमें भी गोखले जी ने आर्थिक सहयोग किया था। महात्मा गांधी जी ने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना ‘राजनीतिक गुरु’ व ‘मार्गदर्शक’ कहा था। इसके साथ ही गांधी जी ने उन्हें समर्पित ‘धर्मात्मा गोखले’ नामक पुस्तक लिखी थी जो कि गुजराती भाषा में है।
महात्मा गांधी राजनीति में किसे अपना गुरु मानते थे?
महात्मा गांधी राजनीति में गोपाल कृष्ण गोखले को अपना गुरु मानते थे। उन्होंने अपनी किताब में भी इसका जिक्र किया है। इसके अलावा लोकमान्य तिलक और ऐनी बेसेंट ने महात्मा गांधी के राजनीतिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी का दृढ निष्ठा, आपसी सहमति की महत्वपूर्ण भूमिका और अहिंसा के मूल्यों के प्रति उनका पक्षपात उनके राजनीतिक गुरुओं के माध्यम से विकसित हुआ था।
महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के बारे में
गोखले का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के कोहट में हुआ था। उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर लंदन में कानून का अध्ययन किया। गोपाल कृष्ण गोखले एक महान विचारक, समाज सुधारक अरु शिक्षाविद एवं राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अवस्मरणीय योगदान दिया था। इसके अलावा उन्हें वित्तीय मामलों की भी गहरी समझ थी। यहाँ गोपाल कृष्ण गोखले कौन थे और उनके जीवन की महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से बताया गया है। उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ अभियान चलाया और उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए भी काम किया। गोखले का 1915 में निधन हो गया। वह भारत के सबसे महान नेताओं में से एक माने जाते हैं।
यह भी पढ़ें – जानिए महात्मा गांधी के पिता का नाम
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गोपाल कृष्ण गोखले का योगदान
गोपाल कृष्ण गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। गोखले 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। वे जल्दी ही कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक बन गए। 1905 में उन्होंने सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की, जिसका उद्देश्य युवाओं को सार्वजनिक सेवा के लिए प्रेरित करना और प्रशिक्षित करना था। 1910 में उन्हें इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का सदस्य चुना गया, जहाँ उन्होंने शिक्षा और वित्तीय सुधारों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किए।
FAQs
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था।
महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
सम्बंधित आर्टिकल्स
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु कौन थे के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।