Aditya L1 vs Parker Solar | आदित्य एल-1 मिशन और नासा के पार्कर सोलर में क्या अतंर है?

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Aditya L1 vs Parker Solar

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपना सोलर मिशन आदित्य-एल1 (Aditya L1) सफलता से लॉन्च कर दिया है। वहीं नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करते हुए 21 अगस्त को सूर्य के चारों ओर उड़ानों की एक रिकॉर्ड-सेटिंग श्रृंखला की ओर लक्ष्य करते हुए शुक्र ग्रह को ज़ूम इन किया, जो अगले महीने से शुरू होगी। यहां हम Aditya L1 vs Parker Solar के बारे में जानेंगे।

Aditya L1 vs Parker Solar : इसरो के आदित्य एल-1 से पहले भी अंतरिक्ष में सोलर प्रोब मौजूद हैं, जो सूर्य की लगातार जांच कर रहे हैं। नासा का पार्कर सोलर प्रोब उनमें से एक है। पार्कर स्पेसक्राफ्ट ने सूर्य की सबसे करीब से स्टडी की है। 

वहीं आदित्य एल1 मिशन की अच्छी शुरुआत हो चुकी है। वाहन सामान्य रूप से कार्य कर रहा है और पीएसएलवी रॉकेट के दूसरे और तीसरे चरण से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। मिशन नियंत्रण रिपोर्ट कर रहा है कि सब कुछ इच्छानुसार काम कर रहा है।

आदित्य एल-1 और पार्कर सोलर में अंतर (Aditya L1 vs Parker Solar)

आदित्य एल-1 मिशन और पार्कर सोलर (Aditya L1 vs Parker Solar) के बीच अंतर इस प्रकार हैः

आदित्य एल-1 मिशनपार्कर सोलर
2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने वाला आदित्य-एल1 पहला भारत का मिशन है। साल 2018 में नासा ने पार्कर सोलर प्रोब को लॉन्च किया था। 
यह लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 के आसपास एक रणनीतिक कक्षा से सूर्य की गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करेगा।इस स्पेसक्राफ्ट का लक्ष्य डिटेल के साथ सूर्य की स्टडी करना है। 
आदित्य एल1 मिशन की अच्छी शुरुआत हो चुकी है। वाहन सामान्य रूप से कार्य कर रहा है।नासा के मुताबिक, 28 अप्रैल 2021 को अपनी 8वीं उड़ान के दौरान यह सूर्य के बाहरी वायुमंडल कोरोना में घुस गया।
पीएसएलवी रॉकेट के दूसरे और तीसरे चरण से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। मिशन नियंत्रण रिपोर्ट कर रहा है कि सब कुछ इच्छानुसार काम कर रहा है।पार्कर सोलर सूर्य का एक गोल नहीं बल्कि अंडाकार चक्कर लगा रहा है।

सूर्य मिशन की सफलता के बाद इसरो की नई उपलब्धि

आदित्य एल-1 मिशन की लाॅन्चिग के बाद जर्मनी, अमेरिका और यूरोपीय स्पेश एजेंसी के बाद भारत सूर्य के पास अंतरिक्ष यान भेजने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अंतरिक्ष साइंस की फील्ड में भारत चंद्रमा और मंगल ग्रह पर यान भेजकर सफलता पा चुका है और अब सूर्य के पास यान भेजकर अपनी स्पेश शक्ति का प्रदर्शन करेगा।

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