महात्मा गांधी की आत्मकथा का नाम है सत्य के प्रयोग। यह आत्मकथा उनकी जीवनी है, जो उन्होंने 1920 के दशक में लिखना शुरू की थी और 1929 में प्रकाशित हुई थी। आत्मकथा में, गांधीजी अपने बचपन, शिक्षा, जीवन के अनुभवों, और विचारों और विश्वासों का वर्णन करते हैं। आईये जानें गांधीजी की आत्मकथा के बारे में विस्तार से।
गांधीजी की आत्मकथा – सत्य के प्रयोग क्यों लिखी गई?
वर्ष 1920 के आसपास उनके कुछ सहकर्मियों ने उनसे अपनी आत्मकथा लिखने का आग्रह किया। वे उस समय इस कार्य को अंजाम देने में असमर्थ थे क्योंकि वे स्वतंत्रता आंदोलन में गहराई से शामिल थे। बाद में अपने एक सहकर्मी स्वामी आनंद के आग्रह पर, गांधीजी अपनी आत्मकथा को छोटे-छोटे अध्यायों के रूप में नवजीवन नामक पत्रिका में लिखने के लिए सहमत हुए, जिसमें गांधीजी आमतौर पर अपने लेख लिखते थे। लेकिन उनके एक घनिष्ठ मित्र ने उन्हें सलाह दी कि आज वे अपनी आत्मकथा में जिन सिद्धांतों की वकालत करते हैं, यदि भविष्य में वे किसी भी कारण से बदल गये तो लोगों में उनकी बातों का कोई मूल्य नहीं रह जायेगा। इस सलाह का गांधीजी पर बहुत प्रभाव पड़ा और उन्होंने इस आत्मकथा के बारे में अपना मन बदल लिया। अंततः गांधीजी ने अपने जीवनकाल में सत्य पर किए गए प्रयोगों के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव लिखने का निर्णय लिया।
सत्य के प्रयोग की कुछ प्रमुख विशेषताएं
सत्य के प्रयोग एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कृति है जो महात्मा गांधी के जीवन और विचारों को समझने के लिए आवश्यक है। यह एक प्रेरणादायक कहानी है एक व्यक्ति की, जो अपने जीवन में आध्यात्मिक और राजनीतिक दोनों तरह से महान ऊंचाइयों तक पहुंचा। सत्य के प्रयोग की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- यह एक व्यक्तिगत और आत्म-विश्लेषणात्मक आत्मकथा है। गांधीजी अपने विचारों और भावनाओं के बारे में खुलकर लिखते हैं।
- यह एक राजनीतिक और सामाजिक आत्मकथा भी है। गांधीजी भारत की स्वतंत्रता संग्राम और अन्य सामाजिक आंदोलनों में उनकी भूमिका का वर्णन करते हैं।
- यह एक आध्यात्मिक आत्मकथा भी है। गांधीजी अपने आध्यात्मिक विकास के बारे में लिखते हैं, और उन्होंने कैसे अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों को अपनाया।
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FAQs
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था।
महात्मा गांधी की बेटी नहीं थी, उनके चार बेटे थे।
गांधी जी के पहले पुत्र हीरालाल थे।
महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
सत्य के प्रयोग, हिन्द स्वराज, मेरे सपनों का भारत, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, गीता बोध आदि कुछ सबसे प्रसिद्द महात्मा गांधी की पुस्तकों के नाम हैं।
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