मोहनदास करमचंद गांधी जो कि महात्मा गांधी के नाम से प्रसिद्ध हैं। उन्हें एक सच्चे राष्ट्रवादी के रूप में याद किया जाता है, क्योंकि वह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में नेता थे। उनकी अहिंसक रणनीति दुनिया भर में प्रसिद्ध थी और मार्टिन लूथर किंग समेत विश्व भर के कुछ स्वतंत्रता सेनानियों को प्रभावित इन सभी चीजों को अधिक प्रभावित किया। गांधीजी को अपनी प्राथमिक विद्यालय से लेकर कॉलेज तक की शिक्षा को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इन मुश्किलों के बावजूद वह अपने लक्ष्यों को पूरा करने में कामयाब रहे और विश्व भर में विभिन्न लोगों को इसके लिए प्रेरित किया। तो चलिए जानते हैं महात्मा गांधी की शिक्षा बारे में विस्तार से।
प्राथमिक शिक्षा
गांधी जी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पोरबंदर शहर में लीं। एक प्रसिद्ध और प्रभावशाली व्यक्तित्व होने के कारण लोग मानते हैं कि महत्मा गाँधी अपने विद्यालय के सबसे प्रतिभाशाली छात्रों में से एक थे, लेकिन उनकी पढ़ाई औसत रही। गांधी जी ने अच्छे नैतिक मूल्यों समेत अपनी पढ़ाई के कुछ सबसे विशेष पहलुओं को समझ लिया था।
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हाई स्कूल की शिक्षा
गांधीजी राजकोट भारत के पश्चिमी भाग में स्थित शहर चले गए। उनके पिता की नई नौकरी की वजह से उनका यह कदम जरूरी था। उन्होंने 11 साल की उम्र में अल्फ्रेड हाई स्कूल में दाखिला लिया था। प्राथमिक विद्यालय की तुलना में हाई स्कूल में उनके पढ़ाई में काफी सुधार हुआ।
गांधी जी जोकि औसत छात्र थे और वे अंग्रेजी समेत विभिन्न विषयों में एक अच्छे छात्र के रूप में पहचाने जा सकते थे। उन्होंने भूगोल जैसे अन्य फिल्ड में उत्कृष्टता हासिल नहीं की। वे काफी शर्मीला छात्र थे। लेकिन गांधी जी की जो एक चीज कभी नहीं बदली वह थी उनकी लिखावट। गांधी जी ने अपनी उंगलियों का उपयोग करके धूल पर लिखना सीखा था।
गांधी जी ने 13 वर्ष की आयु में ही विवाह कर लिया था, क्योंकि उन्हें अपने परिवार की देखभाल भी करनी थी। उनके पिता के बीमार पड़ जाने के बाद, महात्मा गांधी पर उनके जीवन के साथ-साथ उनकी पढ़ाई में भी एक मुश्किल दौर शुरू हो गया था।
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विद्यालय से कॉलेज की शिक्षा का सफर
गांधी जी ने अपना हाई स्कूल की पढ़ाई को पूरा करने में सफल रहे, उन्होंने समलदास आर्ट्स कॉलेज में प्रवेश लिया। जोकि उस समय एकमात्र ऐसा संस्थान था जो डिग्री प्रदान करता था। जिसके बाद गांधीजी ने कॉलेज छोड़ कर पोरबंदर में अपने परिवार के पास चले गए।
कुछ समय पश्चात् गांधीजी ने फिर से कॉलेज में वापस जाने का निर्णय किया। उन्होंने लॉ करने का ऑप्शन चुना। उन्होंने जीवन भर भारत में पढ़ाई कि थी, इसलिए उन्होंने अपने जीवन में कुछ परिवर्तन करने और विदेश इंग्लैंड में पढ़ाई करने का निर्णय लिया। इस निर्णय से उनको अपने परिवार से लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी मां जोकि उनका भारत छोड़ जाने के लिए बिलकुल पक्ष में नहीं थी।
महात्मा गांधी ने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) में प्रवेश लिया और 3 वर्ष बाद सफलतापूर्वक अपनी लॉ की पढ़ाई को पूरा किया। उन्होंने अपने परिवार से की गई प्रतिज्ञा का सम्मान करते हुए अंग्रेजी संस्कृति को भी अपनाने में कामयाब रहे थे। लंदन में अपनी पढ़ाई के दौरान उनके स्वभाव में भी काफी सुधार हुआ। वह एक पब्लिक स्पीकिंग ग्रुप में शामिल हो गए जिसने उन्हें एक अच्छा सार्वजनिक वक्ता बनने की ट्रेनिंग दी।
यूसीएल (UCL) से स्नातक होने के बाद गांधी जी अपने परिवार के पास घर लौट आये। लेकिन जब वे वापस आए तब दुर्भाग्यवश उनकी माँ का पहले ही निधन हो चुका था।
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