दांडी यात्रा कितने दिन चली थी? जानिए इससे जुड़े रोचक तथ्य

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दांडी यात्रा कितने दिन चली थी

क्या आप जानना चाहते हैं कि दांडी यात्रा कितने दिन चली थी? तो आपको बता दें कि दांडी यात्रा 24 दिन चली थी। 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी जी अपने 79 अनुयायियों के साथ मिलकर साबरमती आश्रम अहमदाबाद से चलकर दांडी तक 241 मील दूर स्थित गांव में चलकर आये थे। 6 अप्रैल 1930 को यह सभी लोग दांडी पहुंचने के बाद अपने हाथों से नमक बनाया और नमक का कानून तोड़ा था। उस समय किसी को भी नमक बनाने का अधिकार नहीं था। इसलिए इसे नमक आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। यह यात्रा 12 मार्च 1930 से 5 अप्रैल 1930 तक ब्रिटिश नमक एकाधिकार के खिलाफ कर प्रतिरोध और अहिंसक विरोध के प्रत्यक्ष कार्रवाई अभियान के रूप में चली।

गाँधी जी ने दांडी में वाष्पीकरण द्वारा नमक बनाया और उसके बाद गांधी तट के साथ दक्षिण की ओर बढ़ते रहे, नमक बनाते रहे और रास्ते में सभाओं को संबोधित करते रहे। नमक आंदोलन के बाद ही पूरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) का प्रसार फैल गया।

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दांडी यात्रा कितने दिन चली थी?

दांडी यात्रा 24 दिन चली थी। इसे नमक आंदोलन या नमक सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है। नमक आंदोलन की शुरुआत महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश लोगों के खिलाफ की थी जो भारत में नमक कर लेकर आये थे।

दांडी यात्रा कितने दिन चली थी

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दांडी यात्रा या नमक आंदोलन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • इस ऐतिहासिक सत्याग्रह में महात्मा गांधी समेत 78 लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गांव दांडी तक पैदल यात्रा की जो 390 किलोमीटर की थी।
  • गांधी जी ने आज के दिन नमक हाथ में लेकर कहा था कि इसके साथ मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला रहा हूं। इस आंदोलन ने Martin Luther King Jr. और James Bevel जैसे दिग्गजों को प्ररित किया था।
  • सत्याग्रह इससे आगे भी जारी रहा था और एक साल बाद महात्मा गांधी की रिहाई के साथ खत्म हुआ था।
  • दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली आंदोलनों में ‘नमक सत्याग्रह’ भी शामिल है।
  • 8,000 भारतीयों को नमक सत्याग्रह के उसी दौरान जेल में डाल दिया गया था।

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FAQs

दांडी यात्रा कितने दिन चली थी?

महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 में अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था।

नमक कानून कब तोड़ा था?

दांडी यात्रा यानि नमक सत्याग्रह की शुरुआत 12 मार्च 1930 को हुई थी। महात्मा गांधी के नेतृत्व में 24 दिन का यह अहिंसा मार्च 6 अप्रैल को दांडी पहुंचा और अंग्रेजों का बनाया नमक कानून तोड़ा।

बिहार में नमक सत्याग्रह कब हुआ था?

बिहार में नमक सत्याग्रह 16 अप्रैल 1930 को चंपारण और सारण में प्रारंभ हुआ था।

पटना में नमक सत्याग्रह कब हुआ था?

6 नवंबर 1932 को पटना और अंजुमान इसलामिया हॉल में अस्पृश्यता निवारण से संबंधित एक सम्मेलन आयोजित किया गया था।

महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा क्यों की थी?

नमक का कानून तोड़ने के लिए महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा की थी।

नमक यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था?

इसका मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजों द्वारा बनाए गए ‘नमक कानून को तोड़ना’। गांधीजी ने साबरमती में अपने आश्रम से समुद्र की ओर चलना शुरू किया। इस आंदोलन की शुरुआत में 78 सत्याग्रहियों के साथ दांडी कूच के लिए निकले बापू के साथ दांडी पहुंचते-पहुंचते पूरा आवाम जुट गया था।

दांडी यात्रा की दूरी कितनी थी?

24 दिनों तक चली यह पद-यात्रा अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से शुरू होकर नवसारी स्थित छोटे से गांव दांडी तक गई थी। गांधीजी के साथ, उनके 79 अनुयायियों ने भी यात्रा की और 240 मील (लगभग 400 किलोमीटर) थी।

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