भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में कई गाथा है, जिन्हें सुनते आज भी भारत के देशवासियों की आंखे भींग जाती हैं। भारत देश में बहुत क्रांतिवीरों के इतिहास से जुड़ा है, जिसमे से एक इतिहास रहा है, महात्मा गांधी का। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिन्हें हम मोहनदास करमचंद गांधी या बापू के नाम से भी जानते हैं। बापू का जन्म दिन 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर में मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वे 1888 में लॉ की शिक्षा प्राप्त करने के लिए लंदन गये। अपनी क़ानूनी शिक्षा के बाद मई 1893 में बापू ने वकील के तौर पर काम करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए। वहां उन्होंने नस्लीय भेदभाव का प्रथम बार अनुभव किया।
दक्षिण अफ्रीका से कब भारत लौटे गांधी
9 जनवरी 1915 की सुबह जैसे ही महात्मा गांधी अपोलो बंदरगाह पर उतरे थे, वैसे ही सभी कार्यकर्ताओं ने गांधी जी का गर्मजोशी के स्वागत किया था। 1893 में 24 साल की आयु में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका गए थे। लेकिन जब उनकी वापसी भारत में हुई तो ये 45 वर्ष के अनुभवी वकील बन चुके थे। देश लौटने पर 25 करोड़ लोगों की निगाहें मोहनदास करमचंद गांधी पर थीं और क्योंकि उन्होंने अफ्रीका में रहते हुए भी उन्होंने जो लड़ाई लड़ी, उससे देशवासियों में एक उम्मीद दी कि गाँधी जी ही वे नेता हमें आजादी दिला सकते हैं।
नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को क्यों मारा?
महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे एक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य के साथ हिन्दू महासभा से भी जुड़ गए थे। गोडसे का जन्म 19 मई, 1910 को ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी में स्थित बारामती जगह पर हुआ था। नाथूराम कहीं न कहीं उग्र हिंदूवादी विचारधारा से प्रभावित थे। नाथूराम गोडसे को लगता था, कि महात्मा गांधी मुस्लिमों को हिंदुओं की अपेक्षा अधिक ध्यान देते हैं। यही नहीं बल्कि गोडसे भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर भी गांधी जी को ही दोषी मानते थे।
30 जनवरी 1948 की वह सुबह जब दिल्ली के बिड़ला हाउस स्थित प्रार्थना स्थल पर नाथूराम गोडसे द्वारा लगातार तीन गोलियां चलाई गई और उस गोलियों ने महात्मा गांधी की जिंदगी छीन ली। कहते हैं, जैसे ही गांधी मंच की ओर चले वैसे ही गोडसे भारी भीड़ से निकलकर गांधी के रास्ते पर आकर, उन पर गोलियां चला दीं। तत्काल गांधी जी जमीन पर गिर गए और उन्हें बिड़ला हाउस में उनके कमरे में ले जाया गया। कुछ समय बाद ही पता चला की महात्मा गांधी की मृत्यु हो गई है। उसी समय गोडसे को भीड़ ने पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया।
गांधी हत्या का मुकदमा मई 1948 में दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में शुरू किया गया और जिसमें गोडसे, मेन डिफ़ेन्डन्ट और उसके सहयोगी नारायण आप्टे और छह अन्य सह-प्रतिवादी माने गये। 8 नवंबर, 1949 को गोडसे और आप्टे दोनों को मौत की सजा कर 15 नवंबर 1949 को गोडसे और आप्टे दोनों हत्यारों को अंबाला जेल में फांसी दे दी गई।
महात्मा गांधी की पुस्तक का क्या नाम है?
- सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा
- हिंद स्वराज
- ग्राम स्वराज
- दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह
- मेरे सपनों का भारत
FAQ
प्रश्न : महात्मा गांधी को क्यों मारा?
उत्तर : उनका मानना था कि महात्मा गांधी मुसलमानों का पक्ष लेते हैं इसलिए उन्होंने गांधीजी की हत्या कर दी।
प्रश्न : नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को कब मारा?
उत्तर : 30 जनवरी, 1948
प्रश्न : मरने से पहले गांधी ने क्या कहा था?
उत्तर : ‘राम, राम’ (‘भगवान, भगवान’)
प्रश्न : महात्मा गांधी की पुस्तक का क्या नाम है?
उत्तर : सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा
उम्मीद है कि why godse killed mahatma gandhi in hindi ब्लॉग में आपको महात्मा गांधी के बारे में बहुत सी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।