Ghanshyam Das Birla Biography in Hindi : बिड़ला ग्रुप के संस्थापक और महान समाजसेवी घनश्यामदास बिड़ला का जीवन परिचय 

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Ghanshyam Das Birla Biography in Hindi

Ghanshyam Das Birla Biography in Hindi : भारत के नामचीन बिजनेस ग्रुप में से एक ‘बिड़ला ग्रुप’ के संस्थापक ‘घनश्यामदास बिड़ला’ ने एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य खड़ा करने के साथ ही भारत की स्वतंत्रता और विकास में भी अपना अहम योगदान दिया था। इसके अलावा वे भारत के उन चुनिंदा व्यवसायियों में से एक थे जिन्होंने कई मौकों पर स्वतंत्रता आंदोलन के लिए आर्थिक सहायता की थी। 

भारत सरकार ने उनके परोपकारी कार्यो के लिए उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से अलंकृत किया था। इस वर्ष उनकी 130वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। आइए अब हम बिड़ला ग्रुप के संस्थापक और महान स्वतंत्रता सेनानी घनश्यामदास बिड़ला का जीवन परिचय (Ghanshyam Das Birla Biography in Hindi) और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

नाम घनश्यामदास बिड़ला (Ghanshyam Das Birla) 
जन्म 10 अप्रैल 1894  
जन्म स्थान पिलानी गांव, झुंझुनू जिला, राजस्थान 
पिता का नाम बलदेव दास बिड़ला 
माता का नाम योगेश्वरी देवी 
पत्नी का नाम दुर्गा देवी, महेश्वरी देवी
संस्थापक बिड़ला ग्रुप 
सम्मान “पद्म भूषण” 
निधन 11 जून, 1983 

राजस्थान के पिलानी गाँव में हुआ था जन्म – Ghanshyam Das Birla Biography in Hindi

‘बिड़ला ग्रुप’ के संस्थापक ‘घनश्यामदास बिड़ला’ का जन्म 10 अप्रैल 1894 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के पिलानी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘बलदेव दास बिड़ला’ था जो कि पेशे से बहुत बड़े व्यापारी थे। उनकी माता का नाम ‘योगेश्वरी देवी’ था जो कि एक गृहणी थीं। जी.डी बिड़ला अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे। बताया जाता है कि जीडी बिड़ला के दादाजी ‘शिवनारायण बिड़ला’ मारवाड़ी व्यवसायी थे, जो लोगों को ब्याज पर पैसा उधार दिया करते थे। 

केवल 5वीं पास थे जीडी बिड़ला 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार घनश्याम दास बिड़ला ने केवल 5वीं तक ही शिक्षा प्राप्त की थी। लेकिन व्यापार में वह पढ़ें लिखे व्यक्तियों को पीछे छोड़ने की क्षमता रखते थे। बता दें कि किशोरवस्था में वह स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए अपना पैतृक गांव छोड़कर कोलकाता चले गए। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1919 में मात्र 25 वर्ष की आयु में ‘बिड़ला जूट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड’ की स्थापना की, जो विनिर्माण क्षेत्र में परिवार का पहला कदम था। वहीं, इससे पहले किसी भारतीय ने जूट व्यवसाय में कदम नहीं रखा था क्योंकि इसपर ब्रितानी सरक़ार का एकछत्र राज था। 

किंतु उनके दृढ़ निश्चय और लगन से उनका व्यापार बढ़ता गया जिसके बाद उन्होंने ग्वालियर, मध्य प्रदेश में एक कारखाना स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे चाय, सीमेंट, रसायन, स्टील पाइप और बैंकिंग क्षेत्र में निवेश किया। 

वैवाहिक जीवन 

वर्ष 1905 में घनश्यामदास बिड़ला का विवाह ‘दुर्गा देवी’ से हुआ था लेकिन वर्ष 1909 में एक पुत्र के जन्म के बाद उनका टीबी की बीमारी के कारण निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1912 में ‘महेश्वरी देवी’ से दूसरा विवाह किया किंतु चार बच्चों के जन्म के बाद वह भी गंभीर बीमारी के कारण इस दुनिया से चल बसी। इसके बाद उन्होंने विवाह नहीं किया और अपना संपूर्ण जीवन व्यापार और जन कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। 

असहयोग आंदोलन में लिए भाग 

माना जाता है कि घनश्यामदास बिड़ला वर्ष 1916 में पहली बार ‘महात्मा गांधीसे मिले थे। जो बाद बाद में उनके करीबी सलाहकार एवं सहयोगी के रूप में भी जाने गए। वर्ष 1920 में जब महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरे देश में ‘असहयोग आंदोलन शुरू किया गया तब जी.डी बिड़ला भी उस आंदोलन में शामिल हो गए। इसके बाद वर्ष 1921 में वह मात्र 27 वर्ष की आयु में ‘बंगाल विधान सभा’ के सदस्य बन गए। 

फिक्की के संस्थापक सदस्य 

वर्ष 1925 में जी.डी. बिड़ला और उनके सहयोगियों ने कोलकाता स्थित ‘इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स’ की स्थापना की, जो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से निकटता से जुड़ी हुई संस्था थी। फिर उन्होंने वर्ष 1926 में कई स्वतंत्रता सैनानियों और समान विचारधारा वाले समर्थकों के साथ मिलकर भारत के सबसे बड़े और सबसे पुराने शीर्ष व्यापारिक संगठन ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ (FICCI) की स्थापना की। वर्ष 1929 में शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने ‘बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट’ के तहत राजस्थान में एक प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की।

यूको बैंक की स्थापना 

वर्ष 1943 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जी.डी. बिड़ला ने एक ऐसे व्यवसायिक बैंक की नींव रखी जिसका पूंजी और प्रबंधन पूर्ण रूप में भारतीयों के हाथ में था। इस बैंक का नाम ‘यूनाइटेड कमर्शियल बैंक’ रखा गया जिसकी स्थापना कोलकाता से की गई थी। बता दें कि वर्तमान में इस बैंक को ‘UCO बैंक’ के नाम से जाना जाता है। वहीं, बहुत कम लोग यह जानते हैं कि उन्होंने बॉम्बे प्लान का सह-लेखन किया था, जो उस समय के भारत के कुछ सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों और टेक्नोक्रेट्स द्वारा तैयार की गई भारत की 15-वर्षीय आर्थिक योजना थी।

शिक्षा के क्षेत्र में दिया अहम योगदान 

जी.डी. बिड़ला ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन व आजादी के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था और शिक्षा के क्षेत्र में अपना अतुल्नीय योगदान दिया था। वर्ष 1943 में उन्होंने पिलानी, राजस्थान में ‘बिड़ला इंजीनियरिंग कॉलेज’ और भिवानी, हरियाणा में ‘टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट आफ टैक्सटाइल एंड साइंसेज’ की स्थापना की। 

इसके बाद वर्ष 1948 में उन्होंने गुजरात के वल्लभ विद्यानगर में ‘बिड़ला विश्वकर्मा महाविद्यालय कॉलेज’ की स्थापना के लिए धन का योगदान दिया। बता दें कि वर्ष 1964 में ‘बिड़ला इंजीनियरिंग कॉलेज’ का नाम बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस हो गया जिसे वर्तमान में ‘बिट्स पिलानी’ के नाम से जाना जाता है।   

‘पद्म भूषण’ से किया गया सम्मानित 

वर्ष 1957 में जी.डी. बिड़ला को उनके परोपकारी कार्यों और शिक्षा के क्षेत्र में अपना अहम योगदान देने के लिए भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान, ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया। 

Source : FactSeed

निधन 

Ghanshyam Das Birla Biography in Hindi: जी.डी. बिड़ला ने अपना संपूर्ण जीवन भारत के विकास और विज्ञान व शिक्षा के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था। किंतु 11 जून 1983 को 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया लेकिन आज भी उनके कार्यों के लिए उन्हें याद किया जाता है। 

घनश्यामदास बिड़ला की किताबें 

यहाँ घनश्यामदास बिड़ला का जीवन परिचय (Ghanshyam Das Birla Biography in Hindi) के साथ ही उनकी लिखी कुछ महत्वपूर्ण किताबों के बारे में भी बताया जा रहा है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • In the Shadow of the Mahatma
  • Alive in Krishna
  • Bāpu

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ बिड़ला ग्रुप के संस्थापक और महान समाजसेवी घनश्यामदास बिड़ला का जीवन परिचय (Ghanshyam Das Birla Biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही है। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा
कुँवर नारायणनामवर सिंहनागार्जुन
मलिक मुहम्मद जायसीकर्पूरी ठाकुर केएम करियप्पा
अब्राहम लिंकनरामकृष्ण परमहंसफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अवतार सिंह संधू ‘पाश’ बाबा आमटेमोरारजी देसाई 
डॉ. जाकिर हुसैनराही मासूम रज़ा रमाबाई अंबेडकर
चौधरी चरण सिंहपीवी नरसिम्हा रावरवींद्रनाथ टैगोर 
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मिर्ज़ा ग़ालिब कस्तूरबा गांधी
भवानी प्रसाद मिश्रसोहनलाल द्विवेदी उदय प्रकाश

FAQs

जीडी बिड़ला का पूरा नाम क्या है?

उनका पूरा नाम ‘घनश्याम दास बिड़ला’ था। 

घनश्यामदास बिड़ला का जन्म कहाँ हुआ था?

उनका जन्म 10 अप्रैल 1894 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के पिलानी गांव में हुआ था।

घनश्याम दास बिड़ला को पद्म विभूषण कब मिला?

घनश्याम दास बिड़ला को वर्ष 1957 में भारत सरकार ने ‘पद्म विभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया था। 

बिड़ला ग्रुप के संस्थापक कौन है?

20वीं सदी की शुरुआत में घनश्यामदास बिड़ला ने कोलकाता से ‘बिड़ला ग्रुप’ की शुरुआत की थी। 

घनश्यामदास बिड़ला का निधन कब हुआ था?

11 जून 1983 को 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ था।

आशा है कि आपको बिड़ला ग्रुप के संस्थापक और महान समाजसेवी घनश्यामदास बिड़ला का जीवन परिचय (Ghanshyam Das Birla Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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