दुर्गा पूजा भारत में एक प्रमुख हिंदू त्योहार में से एक है, जो राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का प्रतीक मनाता है। करीब दस दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में सजावटी पंडालों में कई कलाओं से निर्मित देवी की मूर्तियाँ तैयार की गई होती हैं। इसमें धार्मिक उत्साह के साथ-साथ संगीत, नृत्य और पारंपरिक अनुष्ठानों समेत सांस्कृतिक प्रदर्शन भी शामिल हैं। यह आयोजन समुदायों को एकजुट करता है और भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करता है, बुराई पर अच्छाई की जीत पर जोर देता है और विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों के बीच एकजुटता की भावना को बढ़ावा देता है। यह त्यौहार मूर्तियों के विसर्जन के साथ समाप्त होता है, जो देवी के अपने दिव्य निवास पर लौटने का प्रतीक है। कई बारी परीक्षाओं में छात्रों से इस पाक पर्व के बारे में निबंध लिखने को कहा जाता है। यहां छात्रों की सहायता के लिए essay on Durga Puja in Hindi 10 पंक्तियों, 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध दिया गया है।
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दुर्गा पूजा पर 100 शब्दों में निबंध
भारत के अधिकांश लोग अलग-अलग तरह से दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाते हैं। यह हिंदु धर्म के बीच मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध भारतीय त्यौहार है। इन दिन लोग दिव्य माँ दुर्गा के सम्मान और उनकी उपासना करने के लिए दुर्गा पूजा का त्योहार मनाते हैं। यह त्योहार हर वर्ष सितंबर-अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार 10 दिन चलता है। पश्चिम बंगाल और देश के अन्य हिस्सों के लोग पंडालों में देवी दुर्गा की विशाल और सुंदर मूर्तियाँ रखकर इस त्यौहार को मनाते हैं। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, क्योंकि यह राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का स्मरण करता है।
दुर्गा पूजा पर 200 शब्दों में निबंध
Essay on Durga Puja in Hindi पर 200 शब्दों में नीचे दिया गया है-
भारतीय लोग देवी दुर्गा का सम्मान और पूजा करने के लिए दुर्गा पूजा मनाते हैं, जो दिव्य स्त्री शक्ति और ताकत का प्रतीक है। यह त्यौहार बहुत धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि यह राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का स्मरण कराता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह दुर्गा पूजा एकजुटता और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देती है। परिवार, दोस्त और पड़ोसी पूजा करने के लिए एक जगह एकत्रत होते हैं, यह पर्व समुदाय की भावना पैदा करता है और समाज के ताने-बाने को मजबूत करता है। दुर्गा पूजा में कई जगह पंडाल, सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ भव्य पूजा-अर्चना भी होती है। यह त्यौहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ विविधता में एकता को भी दर्शाता है, क्योंकि विभिन्न पृष्ठभूमि और क्षेत्रों के लोग इस उत्सव में भाग लेते हैं। यह पर्व पूरे भारत और उसके बाहर लाखों लोगों के दिलों में एक खास जगह रखता है। इस त्योहार का सार न केवल इसके धार्मिक महत्व में निहित है, बल्कि इसके सांस्कृतिक और सामाजिक आयामों में भी निहित है।
दुर्गा पूजा पर 800 शब्दों में निबंध
Essay on Durga Puja in Hindi नीचे 800 शब्दों में दिया गया है-
प्रस्तावना
भारत देश में दुर्गा पूजा की तैयारी हफ्तों पहले से शुरू हो जाती है। कुशल कारीगर देवी दुर्गा और लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियों को तैयार करने में बहुत मेहनत करते हैं। मूर्तियों को तैयार करके बड़े-बड़े पंडालों में रखा जाता हैं। अब तो हर पंडाल में एक अनूठी थीम होती है, जो अक्सर पौराणिक कथाओं, वर्तमान घटनाओं से प्रेरित होती है।
यह नवरात्रि का त्योहार दस दिनों तक चलता है, जिसमें अंतिम पांच दिन सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। देवी के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए। यह पर्व बहुत ही सुन्दर तरीकों से हर जगह-जगह पर पारंपरिक परिधान पहन कर, भक्तजन पूजा-अर्चना के लिए पंडालों में एकत्रित होते हैं। संगीत, नृत्य और रंगमंच समेत सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो जीवंत माहौल को और भी बढ़ा देते हैं।
दुर्गा पूजा कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होंगी, जोकि 11 अक्टूबर को समाप्त होंगे। वहीं 12 अक्टूबर को दशहरा यानी विजया दशमी का पर्व मनाया जाएगा।
3 अक्टूबर 2024 | मां शैलपुत्री पूजन |
4 अक्टूबर 2024 | मां ब्रह्मचारिणी पूजन |
5 अक्टूबर 2024 | मां चंद्रघंटा पूजन |
6 अक्टूबर 2024 | मां कुष्मांडा पूजन |
7 अक्टूबर 2024 | मां स्कंदमाता पूजन |
8 अक्टूबर 2024 | मां कात्यायनी पूजन |
9 अक्टूबर 2024 | मां कालरात्रि पूजन |
10 अक्टूबर 2024 | मां महागौरी पूजन |
11 अक्टूबर 2024 | मां सिद्धिदात्री पूजन |
12 अक्टूबर 2024 | विजया दशमी |
दुर्गा पूजा की उत्पत्ति
दुर्गा पूजा की उत्पत्ति प्राचीन भारतीय शास्त्रों में पाई जा सकती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर एक राक्षस था जिसे भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था कि उसे कोई भी देवता या मनुष्य नहीं हरा सकता है। वरदान पाते ही वह शक्तिशाली हो गया और उसने स्वर्ग में देवताओं को बहुत परेशान किया। देवताओं ने मदद की गुहार से भगवान ब्रह्मा ने भगवान विष्णु और भगवान शिव के साथ मिलकर देवी दुर्गा का निर्माण किया और उन्हें महिषासुर से लड़ने के लिए अपनी सर्वोच्च शक्तियाँ प्रदान की। जिसके बाद महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच भयंकर युद्ध हुआ। खुद के बचाव के लिए महिषासुर राक्षस ने खुद को भैंसे में बदल लिया। यह संघर्ष 10 दिनों तक चला, जिसके अंत में देवी दुर्गा ने भैंसे का सिर काटकर और महिषासुर को हराकर विजय प्राप्त की।
दुर्गा पूजा की महत्व और परंपराएँ
देवी दुर्गा की पूजा विस्तृत अनुष्ठानों और परंपराओं अलग-अलग राज्यों के बीच होती है, देश के प्रत्येक क्षेत्र में त्योहार मनाने का अपना तरीका होता है। इस त्योहार का पहला दिन, देवी पक्ष की शुरुआत का संकेत देता है, या वह अवधि जब देवी अपनी उपस्थिति से मानवता को अनुग्रहित करती हैं। यह पर्व नौ दिन मनाया जाता है, जिसके अंतिम दिन घरों में छोटी-छोटी कन्याओं को भोग लगाने के बाद हवन और पूजा का आयोजन होता है। दुर्गा पूजा का भव्य समापन होने पर मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। यह देवी के अपने दिव्य निवास पर लौटने का प्रतीक है, साथ ही अगले वर्ष उनकी शीघ्र वापसी के लिए प्रार्थना भी की जाती है।
बंगाल, असम और ओडिशा जैसी जगहों पर, दुर्गा पूजा उत्सव एक अलग तरह से मनाया जाता है, जहाँ स्थानीय क्लब और धार्मिक संगठन अलग-अलग थीम पर पंडाल लगाते हैं। दुर्गा पूजा पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह राक्षस राजा महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश और दुनिया की रक्षा करने की दिव्य शक्ति का प्रतीक है।
दुर्गा पूजा पर 10 पंक्तियाँ
दुर्गा पूजा पर निबंध में 10 पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं-
- दुर्गा पूजा एक प्रसिद्ध हिंदू त्यौहार है।
- दुर्गा पूजा बुराई को मारने और मानव जाति को बचाने के लिए देवी दुर्गा का सम्मान करती है।
- हर साल, दुर्गा पूजा अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) के महीने में मनाई जाती है।
- दुर्गा पूजा 10 दिनों का त्यौहार है।
- इस अवसर पर पंडालों में दुर्गा और अन्य दिव्य माताओं की विशाल मूर्तियों की पूजा की जाती है।
- भारत के लोग पंडालों को सजाकर, स्वादिष्ट भोजन बनाकर और साथ में नृत्य करके दुर्गा पूजा मनाते हैं।
- मुख्य उत्सव महा षष्ठी से शुरू होता है, जिस दिन देवी दुर्गा की खूबसूरती से तैयार की गई मूर्तियों का पंडालों में अनावरण किया जाता है।
- मूर्तियों को कला और आध्यात्मिकता के साथ उल्लेखनीय रूप से तैयार किया गया है, जो देवी की शक्ति और सुंदरता को दर्शाती हैं।
- अष्टमी और महानवमी के दिन कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है।
- विजयदशमी या दशमी कहे जाने वाले अंतिम दिन, मूर्तियों को नदियों में विसर्जित किया जाता है।
दुर्गा पूजा मंत्र
1- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। 2- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 3- या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 4-या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 5- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
FAQs
12 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।
हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह 16 जून 2024 को है।
10 फरवरी शनिवार से गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ हो रहे हैं,जो 18 फरवरी तक रहेंगे।
7 अप्रैल 2025 ।
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