यहाँ देखें गोपाल कृष्ण गोखले पर निबंध लिखने के लिए 100, 200 एवं 500 शब्दों में सैम्पल्स

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क्या आप जानते हैं “भारत का ग्लैडस्टोन” किसे कहा जाता है? अगर नहीं, तो ये लेख आपके लिए है। बता दें कि भारत का ग्लैडस्टोन “गोपाल कृष्ण गोखले” को कहा जाता है। गोपाल कृष्ण गोखले एक ऐसा नाम है, जो भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। देशभक्ति की भावना में ओतप्रोत होकर, उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत देश की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनका जीवन आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में भी विद्यार्थियों को गोपाल कृष्ण गोखले पर निबंध लिखने को दिया जाता है। ऐसे में गोपाल कृष्ण गोखले पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें, आईये इस लेख में जानते हैं। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में  गोपाल कृष्ण गोखले पर निबंध के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। उन सैम्पल्स को पढ़ने से पहले जान लेते हैं आखिर कौन थे गोपाल कृष्ण गोखले? आईये जानते हैं विस्तार से। 

गोपाल कृष्ण गोखले कौन थे?

गोपाल कृष्ण गोखले एक महान विचारक, समाज सुधारक, शिक्षाविद व राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के कोटलुक गाँव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘कृष्णराव श्रीधर गोखले’ था जो पेशे से कोल्हापुर रियासत में एक क्लर्क थे। उनकी माता का नाम वालूबाई गोखले था जो कि एक गृहणी थीं। बचपन से ही गोपाल कृष्ण गोखले सहिष्णु और कर्मठ प्रवृति के व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी शिक्षा पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से प्राप्त की और गणित और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। आगे चलकर वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता बने और स्वदेशी आंदोलन, शिक्षा सुधार, और सामाजिक सुधारों के लिए कई काम किये।

गोपाल कृष्ण गोखले पर 100 शब्दों में निबंध 

गोपाल कृष्ण गोखले पर निबंध 100 शब्दों में इस प्रकार से है:

गोपाल कृष्ण गोखले वही हैं जिन्हें महात्मा गांधी’ अपना ‘राजनीतिक गुरु’ और मार्गदर्शक मानते थे। गोखले के राजनीतिक सिद्धांतों ने ही गांधीजी को एक महान नेता बनने में मदद की और उन्हें अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्, और विचारक गुरु का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव कोटलुक में हुई थी। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता के रूप में कार्य किया और “सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी” की स्थापना की, जो सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेती थी। 

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गोपाल कृष्ण गोखले पर 200 शब्दों में निबंध

गोपाल कृष्ण गोखले पर निबंध 200 शब्दों में इस प्रकार से है: 

9 मई 1866 को महाराष्ट्र के गाँव कोटलुक में जन्में गोपाल कृष्ण गोखले, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उनकी देशभक्ति और सामाजिक चेतना ने उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। पार्टी में शामिल होने के कुछ समय बाद ही वह पार्टी के प्रमुख नेता बन गए और इस तरह 1905 में उन्होंने बनारस अधिवेशन की अध्यक्षता की। इसी दौरान उन्होंने “सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी” की स्थापना की, जो मुख्य रूप से सामाजिक कार्य करती थी। 

गोपाल कृष्ण गोखले जी ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन व समाज सुधार में लगा दिया था। आगे चलकर उन्हें “भारत का ग्लैडस्टोन” के रूप में जाना जाने लगा। अपने जीवन काल में उन्होंने “अंकगणित” नामक एक पुस्तक भी लिखी। वहीं लंबे समय तक खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने अपने जीवनकाल के अंतिम वर्ष पूना में व्यतीत किए। इसके साथ ही उन्होंने अपना अंतिम राजनीतिक भाषण दिया जिसे बाद में गोखले जी को ‘राजनीतिक वसीयतनामा’ कहा गया। वहीं गंभीर बीमारी के कारण इस महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक ने 19 फरवरी 1915 अपना शरीर त्याग दिया। किंतु उनके बलिदान और संघर्ष के लिए हमेशा उन्हें याद किया जाएगा। 

गोपाल कृष्ण गोखले पर 500 शब्दों में निबंध

गोपाल कृष्ण गोखले पर निबंध 500 शब्दों में इस प्रकार से है:

गोपाल कृष्ण गोखले का प्रारंभिक जीवन

गोपाल कृष्ण गोखले जी (Gopal Krishna Gokhale) का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के कोटलुक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘कृष्णराव श्रीधर गोखले’ और उनकी माता का नाम वालूबाई गोखले था। गोपाल कृष्ण गोखले बचपन से ही सहिष्णु व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा अपने गृह नगर से ही शुरू की थी। वहीं उन्होंने पूना के मशहूर ‘फर्ग्युसन कॉलेज’ (Fergusson College) से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। फिर उन्होंने इसी कॉलेज में इतिहास और अर्थशास्त्र के प्राध्यापक के रूप में भी कार्य किया। बता दें कि स्कूली शिक्षा के दौरन ही वर्ष 1881 में गोखले जी का विवाह हो गया था। लेकिन अल्प आयु में ही उनकी पत्नी का देहांत होगया था जिसके कारण उन्होंने वर्ष 1887 में दूसरा विवाह किया जिससे उनकी तीन संतान हुई लेकिन पुत्र का जन्म के कुछ समय बाद निधन हो गया। वहीं गोखले और उनकी पत्नी ने अपने दो बेटियों ‘काशीबाई’ और ‘गोदूबाई’ का पालन पोषण अच्छे से कर उन्हें उच्च शिक्षा दी। वहीं वर्ष 1900 में उनकी पत्नी का बीमारी के कारण निधन हो गया। 

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गोपाल कृष्ण गोखले की उपलब्धियां 

बता दें कि  वर्ष 1888 गोपाल कृष्ण गोखले जी ने राजनीति में प्रवेश किया। वह ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ (INC) के बड़े नेताओं में से एक माने जाते थे। उन्होंने सामाजिक सुधार में बहुमूल्य योगदान दिया और समाज सेवा को बढ़ावा देने वाली संस्थान सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने अंग्रेजो की दमनकारी नीतियों का खुल के विरोध किया और ब्रिटिश हुकूमत के सामने प्राथमिक शिक्षा, नामक कर, चिकित्सा में सुधार और युवाओं की सरकारी नौकरियों में भागीदारी जैसे मुद्दों को उठाया। इसके साथ ही उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ अभियान चलाया, और उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए भी काम किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में “अंकगणित” नामक एक पुस्तक भी लिखी थी। 

गोपाल कृष्ण गोखले की मृत्यु 

गोपाल कृष्ण गोखले जी ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन व समाज सुधार में लगा दिया था। वहीं लंबे समय तक खराब स्वास्थ्य के कारण 19 फरवरी 1915 अपना शरीर त्याग दिया जो भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति थी। किंतु उनके बलिदान और संघर्ष के लिए आज भी भारतवासी उन्हें याद करते हैं। उनका पूरा जीवन हमेशा युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है और रहेगा। 

गोपाल कृष्ण गोखले पर 10 लाइन्स

गोपाल कृष्ण गोखले पर 10 लाइन्स इस प्रकार हैं:

  • गोपाल कृष्ण गोखले एक महान स्वतंत्रता सेनानी, विचारक और समाज सुधारक थे जिनका जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र में हुआ था।
  • उन्होंने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से गणित और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की।
  • आगे चलकर वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता बने और 1905 में बनारस अधिवेशन की अध्यक्षता प्राप्त की।
  • गुरु गोपाल कृष्ण गोखले ही महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु थे।
  • उन्होंने अपने जीवनकाल में स्वदेशी आंदोलन, शिक्षा सुधार, और सामाजिक सुधारों के लिए सक्रिय रूप से काम किया। 
  • उन्होंने “सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी” की स्थापना की, जो सामाजिक कार्य करती थी।
  • उन्हें “भारत का ग्लैडस्टोन” के रूप में भी जाना जाता है। 
  • उन्होंने “अंकगणित” नामक एक पुस्तक भी लिखी है। 
  • गोपाल कृष्ण गोखले जी का निधन 19 फरवरी 1915 को 49 वर्ष की आयु में हुआ।
  • गोपाल कृष्ण गोखले का जीवन आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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FAQs

गोपाल कृष्ण गोखले कौन थे?

गोपाल कृष्ण गोखले एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, विचारक और समाज सुधारक थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे और उन्हें “भारत का ग्लैडस्टोन” भी कहा जाता था।

गोपाल कृष्ण गोखले का स्वतंत्रता आंदोलन में क्या योगदान था?

गोपाल कृष्ण गोखले ने स्वतंत्रता आंदोलन में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन में हिस्सा लेकर शिक्षा सुधार, और सामाजिक सुधारों के लिए काम किया।

गोपाल कृष्ण गोखले की मृत्यु कब हुई?

गोपाल कृष्ण गोखले की मृत्यु 19 फरवरी 1915 को हुई।

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