Subhash Chandra Bose Ki Jivani: आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनकर हर भारतीय को गर्व महसूस होता है। उन्हें देशभक्तों का देशभक्त यूँ ही नहीं कहा जाता था, वह एक वीर सैनिक, योद्धा, महान सेनापति और कुशल राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने जीवन में कई संघर्ष किए थे। नेताजी भारत के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने गुलाम भारत को आज़ाद करने के लिए ‘आज़ाद हिंदी फौज‘ (Indian National Army) के गठन से लेकर हर वो काम किया जिसकी वजह से वह केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लिए प्रेरणा बन गए।
आइए अब महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी (Subhash Chandra Bose Ki Jivani) और उनके योगदान के बारे में जानते हैं।
नाम | सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) |
जन्म | 23 जनवरी, 1897 |
जन्म स्थान | कटक, उड़ीसा |
पिता का नाम | जानकीनाथ बोस |
माता का नाम | प्रभावती देवी |
पत्नी का नाम | एमिली शेंकल |
आंदोलन | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian independence Movement) |
स्थापना | आज़ाद हिंदी फौज |
प्रसिद्ध नारे | ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’, ‘जय हिंद’ और ‘दिल्ली चलो’ |
मृत्यु | 18 अगस्त, 1945 |
This Blog Includes:
- ओडिशा के कटक जिले में हुआ था जन्म – Subhash Chandra Bose Biography in Hindi
- ICS में हासिल किया चौथा स्थान
- सुभाष चंद्र बोस का राजनैतिक जीवन
- विमान दुर्घटना में हुई मृत्यु
- कैसे मिली ‘नेताजी’ और ‘देश नायक’ की उपाधि
- सुभाष चंद्र बोस के कुछ अनमोल विचार
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
ओडिशा के कटक जिले में हुआ था जन्म – Subhash Chandra Bose Biography in Hindi
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कुट्टक गांव में हुआ था। नेताजी की माता का नाम ‘प्रभावती देवी’ और पिता का नाम ‘जानकीनाथ बोस’ था, जो कटक शहर के मशहूर वकील थे। प्रभावती देवी और जानकीनाथ बोस की 14 संतानों में सुभाष चंद्र बोस 9वीं संतान थे।
ICS में हासिल किया चौथा स्थान
ओडिशा के बंगाली परिवार में जन्मे सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होनहार थे। ऐसे में उनके पिता जानकीनाथ बोस उन्हें ‘भारतीय सिविल सेवा’ (ICS) का अफसर बनाना चाहते थे। सबसे पहले उनकी शुरूआती शिक्षा कटक के ‘रावनेशॉ कॉलेजिएट स्कूल‘ (Ravenshaw Collegiate School) से हुई थी। इसके बाद 1916 में उन्होंने कोलकाता के प्रसिद्ध ‘प्रेसीडेंसी कॉलेज’ में दाखिला लिया यहाँ से शिक्षा ग्रहण करने के बाद नेता जी को उनके पिता ने सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए इंग्लैंड ‘कैंब्रिज विश्वविद्यालय‘ भेज दिया।
उस समय भारत में अंग्रेजों के शासन के चलते भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत मुश्किल हुआ करता था। इंग्लैंड में सिविल सर्विस की परीक्षा में नेता जी को चौथा स्थान प्राप्त हुआ था। उन्होंने कुछ समय तक नौकरी की लेकिन मन में देश प्रेम और आजादी के लिए वर्ष 1921 में इंडियन सिविल सर्विस की नौकरी ठुकरा कर भारत लौट आए।
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सुभाष चंद्र बोस का राजनैतिक जीवन
भारत लौटते ही नेताजी राजनीति में कूद गए और स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के लिए ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ में शामिल हुए। शुरुआत में उन्होने गांधी जी के निर्देशानुसार चितरंजन दास के नेतृत्व में काम किया। इसके बाद से नेता जी चितरंजन दास को अपना राजनीतिक गुरु मानने लगे। अपनी सूझ-बूझ और मेहनत से सुभाष ने बहुत जल्द लोगों के बीच अपनी खास जगह बना ली थी और कांग्रेस पार्टी के मुख्य नेताओं में शामिल हो गए लेकिन अपने क्रांतिकारी विचारों और गतिविधिओं के संचालन के कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
इसके बाद तो उनके जेल जाने का सिलसिला जारी रहा। 1921 से 1941 के बीच उन्हें 11 बार कैद किया गया। इस दौरान ब्रिटिश सरकार ने उनके खिलाफ कई मुकदमें दर्ज किए लेकिन जेल में रहकर भी सुभाष चंद्र बोस अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटे और भारत की आजादी के लिए अपनी कोशिशों में लगे रहे।
विमान दुर्घटना में हुई मृत्यु
इस तरह स्वाधीनता महासंग्राम के महायज्ञ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताजी की 18 अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। परंतु उस दुर्घटना का कोई साक्ष्य नहीं मिल सका न ही नेताजी का शव मिला। हालाँकि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु आज तक एक रहस्य बनी हुई है।
कैसे मिली ‘नेताजी’ और ‘देश नायक’ की उपाधि
इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि सुभाष चंद्र बोस को ‘नेताजी’ और ‘देश नायक’ की उपाधि कैसे मिली। तो आइए आपको बताते हैं कि जर्मन के तानाशाह ‘एडोल्फ हिटलर’ (Adolf Hitler) ने सुभाष चंद्र बोस को सबसे पहले ‘नेताजी’ कहकर बुलाया था। जिसके बाद से उन्हें सब नेताजी ही बुलाने लगे। वहीं नेताजी के साथ साथ उन्हें देश नायक भी कहा जाता था और ऐसा भी कहा जाता है कि देश नायक की उपाधि सुभाष चंद्र बोस को ‘रवीन्द्रनाथ टैगोर’ ने दी थी।
सुभाष चंद्र बोस के कुछ अनमोल विचार
सुभाष चंद्र बोस के कुछ अनमोल विचार निम्नलिखित हैं:
“याद रखिए सबसे बड़ा अपराध, अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है।”
“उच्च विचारों से कमजोरियां दूर होती हैं। हमें हमेशा उच्च विचार पैदा करते रहना चाहिए।”
“आशा की कोई न कोई किरण होती है, जो हमें कभी जीवन से भटकने नहीं देती।”
“सफलता दूर हो सकती है, लेकिन वह मिलती जरूर है।”
“सफलता हमेशा असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है। इसीलिए किसी को भी असफलता से घबराना नहीं चाहिए।”
“मां का प्यार सबसे गहरा और स्वार्थरहित होता है। इसको किसी भी तरह से मापा नहीं जा सकता”
“अगर जीवन में संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तो जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।”
“जिसके अंदर ‘सनक’ नहीं होती, वह कभी महान नहीं बन सकता।”
“सफल होने के लिए आपको अकेले चलना होगा, लोग तो तब आपके साथ आते है, जब आप सफल हो जाते हैं।”
“आजादी मिलती नहीं बल्कि इसे छिनना पड़ता है।”
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
FAQs
भारत के लाल सुभाष चंद्र बोस ने वैसे तो कई क्रन्तिकारी नारे दिए थे, जिनमें से कुछ प्रसिद्ध नारे इस प्रकार है– तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, दिल्ली चलो आदि।
सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में 1921 को शामिल हुए थे।
सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हुई थी।
सुभाष चंद्र बोस की बेटी का नाम अनीता बोस फाफ है, जो एक जर्मन अर्थशास्त्री हैं।
एमिली शेंकल (1910- 1996), सुभाष चंद्र बोस की पत्नी थी।
उनका जन्म 23, जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक शहर में हुआ था।
‘देशबंधु’ चितरंजन दास, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक गुरु थे।
आशा है कि आपको महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय (Subhash Chandra Bose Ki Jivani) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।