सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। इनकी मृत्यु 8 अगस्त 1945 में हुई थी, वह उस समय केवल 48 वर्ष के थे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था, उनके पिताजी कटक शहर के मशहूर वकील थे।सुभाष चंद्र बोस कुल मिलकर 14 भाई बहन थे।सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ उन्होंने ने ही हमारे भारत को यह नारा दिया जिससे भारत के कई युवा वर्ग भारत से अंग्रेजों को बाहर निकालने की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित हुये। तो आइए जानते हैं इस ब्लॉग में सुभाष चंद्र बोस पर निबंध Leverage Edu के साथ।
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Indian Freedom Fighters (महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी)
सुभाष चंद्र बोस पर एक छोटा सा निबंध 250 words
भारतीय इतिहास में सुभाष चंद्र बोस एक सबसे महान व्यक्ति और बहादुर स्वतंत्रा सेनानी में से एक थे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था, उनके पिताजी कटक शहर के मशहूर वकील थे।सुभाष चंद्र बोस कुल मिलकर 14 भाई बहन थे।सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ उन्होंने ने ही हमारे भारत को यह नारा दिया जिससे भारत के कई युवा वर्ग भारत से अंग्रेजों को बाहर निकालने की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित हुये।
वास्तव में देखा जाए तो भारत में एक सच्चे और बहादुर हीरो थे जिन्होंने अपने मातृभूमि के खातिर अपना घर और आराम त्याग कर दिया था। सुभाष चंद्र बोस हमेशा हिंसा में भरोसा करते थे। उन्होंने प्रतिभाशाली ढंग से आई. सी.एस परीक्षा को पास किया था परंतु उसको छोड़कर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में जुड़ने के लिए 1921 में असहयोग आंदोलन के द्वारा जुड़ गए थे।उन्होंने चितरंजन दास के साथ भी काम किया है ,जो बंगाल के एक राजनीतिक ,नेता ,शिक्षा और बंगलार कथा नाम के बंगाल सप्ताहिक पत्रकार थे। कुछ समय के बाद वह बंगाल कांग्रेस के वॉलिंटियर कमांडेड , नेशनल कॉलेज के प्रिंसिपल, और कोलकाता के मेयर उसके बाद निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किए गए थे।
12 सितंबर 1944 में रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतींद्र दास की स्मृति दिवस पर सुभाष चंद्र बोस है अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा था कि ” अब हमारी आजादी निश्चित है, परंतु आजादी बलिदान मांग की है आप मुझे खून दो मैं आपको आजादी दूंगा । ” यही देश के नौजवानों में प्रेरणा फूटने वाला वाक्य था जो भारत में नहीं विश्व के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया गया है।
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सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 500 words
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा में हुआ था। वह एक माध्यमिक वर्गीय परिवार में जन्म लिए थे। उन्होंने गिने-चुने भारतीयों में से 1920 में आईपीएस परीक्षा में उत्तीर्ण आए थे। वह वर्ष 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने थे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था, उनके पिताजी कटक शहर के मशहूर वकील थे।सुभाष चंद्र बोस कुल मिलकर 14 भाई बहन थे।सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ उन्होंने ने ही हमारे भारत को यह नारा दिया जिससे भारत के कई युवा वर्ग भारत से अंग्रेजों को बाहर निकालने की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित हुये।
सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय संग्राम के सबसे अधिक प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। एक बार तो सुभाष चंद्र बोस ने अपने अंग्रेजी अध्यापक के भारत के विरोध की गई टिप्पणी के ऊपर बड़ा विरोध किया था। फिर उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया था और तब आशुतोष मुखर्जी ने उनका दाखिला स्कॉटिश चर्च कॉलेज में कराया था। फिर उस जगह से उन्होंने दर्शनशास्त्र में प्रथम श्रेणी में b.a. पास किया था। कुछ समय के बाद वह भारतीय नागरिक सेवा की परीक्षा में बैठने के लिए लंदन चले गए थे और उस परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय में से दर्शनशास्त्र मैं MA भी किया था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में देशबंधु चितरंजन दास के सहायक के रूप में कई बार वह गिरफ्तार भी हुए थे। सुभाष चंद्र बोस के अंदर राष्ट्रीय भावना इतने जटिल के कि वह दूसरे विश्वयुद्ध में भारत छोड़ने का फैसला किया था। फिर बहुत जर्मन चले गए थे और वहां से 1943 में सिंगापुर गए जहां उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी का कमान संभाली थी।
धीरे-धीरे उन्होंने जापान और जर्मनी की सहायता से अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए एक सेना का संगठन किया था और उसका नाम उन्होंने ” आजाद हिंद फौज ” रखा था।कुछ दिनों में उनकी सेना ने भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह नागालैंड और मणिपुर में आजाद का झंडा लहरा दिया था।
परंतु जर्मनी और जापान के द्वितीय विश्वयुद्ध में हार जाने के बाद आजाद हिंद फौज को पीछे हटना पड़ा था। विश्वयुद्ध के बाद उनकी बहादुरी और हिम्मत यादगार बन गई थी। अगर आज भी हम विश्वयुद्ध के बारे में विचार क्या है तो हमें इस बात का विश्वास आता है कि भारत को आजादी दिलाने में आजाद हिंद फौज के सिपाहियों ने अपना बड़ा बलिदान दिया था। 12 सितंबर 1944 में रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतींद्र दास की स्मृति दिवस पर सुभाष चंद्र बोस है अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा था कि ” अब हमारी आजादी निश्चित है, परंतु आजादी बलिदान मांग की है आप मुझे खून दो मैं आपको आजादी दूंगा । ” यही देश के नौजवानों में प्रेरणा फूटने वाला वाक्य था जो भारत में नहीं विश्व के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया गया है।
ऐसा माना जाता है कि सुभाष चंद्र की मृत्यु 18अगस्त 1945 एक विमान दुर्घटना के दौरान हुई थी। परंतु आज तक नेताजी की मृत्यु का कोई भी सबूत नहीं मिला है कुछ लोग यह विश्वास करते हैं कि वह आज भी जीवित है।
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सुभाष चंद्र बोस द्वारा बोले गए अनमोल वचन
- “तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !”
- “ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए.”
- “आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके.”
- “मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन कौन जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !”
- “राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और सुन्दर से प्रेरित है .”
- “भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति का संचार किया है जो सदियों से लोगों के अन्दर से सुसुप्त पड़ी थी .”
- “मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारी , कुशल उत्पादन एवं वितरण का समाधान सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है .”
- “यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना !”
- “समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !”
- “मध्या भावे गुडं दद्यात — अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना चाहिए !”
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