Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi : लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती!

1 minute read
Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi

Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi को पढ़कर विद्यार्थियों को लक्ष्य प्राप्ति की एक अच्छी प्रेरणा मिल सकती है। भारत राष्ट्र को कला और साहित्य की जननी कहना अनुचित नहीं होगा, समय-समय पर हर युग में भारत के साहित्यकारों और कवियों ने विश्व की चेतना को जगाने का कार्य किया है। भारत की महान कवि परंपरा से “सोहन लाल द्विवेदी” जी का भी गहरा नाता रहा है, जिनकी कविताओं ने समाज में व्याप्त हर कुरीति और अन्याय का पुरजोर विरोध किया है। उनकी कालजेयी रचनाएं आज की परिस्थितियों में भी प्रासंगिक होकर युवाओं को प्रेरित करती हैं। Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi (सोहन लाल द्विवेदी की कविताएं) विद्यार्थियों के जीवन में सकारात्मक भूमिका निभा सकती हैं, जिसके लिए विद्यार्थियों को यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना चाहिए।

कौन थे सोहन लाल द्विवेदी?

Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi (सोहन लाल द्विवेदी की कविताएं) पढ़ने सेे पहले आपको सोहन लाल द्विवेदी का जीवन परिचय पढ़ लेना चाहिए। भारतीय साहित्य की अप्रतीम अनमोल मणियों में से एक बहुमूल्य मणि सोहन लाल द्विवेदी भी हैं, जिनकी लेखनी आज के समय में भी प्रासंगिक हैं और लाखों युवाओं को प्रेरित कर रही हैं। सोहन लाल द्विवेदी की रचनाएं आज के युवाओं को भी साहित्य की ओर आकर्षित करती हैं।

22 फरवरी 1906 को सोहन लाल द्विवेदी का जन्म उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में हुआ था। सोहन लाल द्विवेदी ने निज विद्यार्थी जीवन में हिंदी में एम.ए. तथा संस्कृत का भी अध्ययन किया, जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रवादी कवि के रूप में अपनी जीवन यात्रा आरंभ की। सोहन लाल द्विवेदी की कविताओं ने भारतीय समाज को देशभक्ति और राष्ट्रीय चेतना का संदेश दिया, द्विवेदी जी पर महात्मा गाँधी के विचारों का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।

सोहन लाल द्विवेदी जी की अधिकांश कविताएं देश प्रेम, वीरता, बाल साहित्य आदि पर आधारित हैं। सोहन लाल द्विवेदी जी की रचनाओं में “वीणा”, “रणगीत”, “झंकार”, “राष्ट्रवाणी”, “गांधी-शतदल”, “मातृभूमि”, “भारत”, “तुम्हें नमन”, “रे मन”, “कोशिश करने वालों की हार नहीं होती” आदि बेहद लोकप्रिय हैं।

सोहन लाल द्विवेदी जी के साहित्य के लिए दिए गए अविस्मरणीय योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 1969 में भारत सरकार द्वारा “पद्मश्री” की उपाधि से, वर्ष 1974 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पुरस्कार से तथा वर्ष 1982 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अपने समय के एक महान कवि सोहन लाल द्विवेदी जी 1 मार्च 1988 को कानपुर में पंचतत्व में विलीन हो गए।

मातृभूमि

Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi (सोहन लाल द्विवेदी की कविताएं) आपको साहित्य से परिचित करवाएंगी। सोहन लाल द्विवेदी जी की प्रसिद्ध रचनाओं में से एक “मातृभूमि” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

ऊँचा खड़ा हिमालय
आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक,
नित सिंधु झूमता है।

गंगा यमुन त्रिवेणी
नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली
पग पग छहर रही है।

वह पुण्य भूमि मेरी,
वह स्वर्ण भूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी
वह मातृभूमि मेरी।

झरने अनेक झरते
जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं,
हो मस्त झाड़ियों में।

अमराइयाँ घनी हैं
कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है,
तन मन सँवारती है।

वह धर्मभूमि मेरी,
वह कर्मभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी
वह मातृभूमि मेरी।

जन्मे जहाँ थे रघुपति,
जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई,
वंशी पुनीत गीता।

गौतम ने जन्म लेकर,
जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई,
जग को दिया दिखाया।

वह युद्ध-भूमि मेरी,
वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी।

-सोहन लाल द्विवेदी

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से सोहन लाल द्विवेदी जी ने मातृभूमि को अपने जीवन का आधार माना है। यह कविता मातृभूमि के प्रति प्रेम और समर्पण भाव को व्यक्त करती है, कविता में कवि मातृभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर मानते हैं। कवि के अनुसार मातृभूमि की मिट्टी में ही उनके जीवन का सार है। कविता के माध्यम से कवि ने भारत की पुण्यभूमि की विशेषता बताकर, इस महान राष्ट्र के लिए अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित की है। यह कविता भारत राष्ट्र के प्रति श्रद्धा के सुमन अर्पित करती है।

भारत

Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi (सोहन लाल द्विवेदी की कविताएं) आपको साहित्य से परिचित करवाएंगी। सोहन लाल द्विवेदी जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना “भारत” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

भारत तू है हमको प्यारा,
तू है सब देशों से न्यारा।

मुकुट हिमालय तेरा सुन्दर,
धोता तेरे चरण समुन्दर।

गंगा यमुना की हैं धारा,
जिनसे है पवित्र जग सारा।

अन्न फूल फल जल हैं प्यारे,
तुझमें रत्न जवाहर न्यारे!

राम कृष्ण से अन्तर्यामी,
तेरे सभी पुत्र हैं नामी।

हम सदैव तेरा गुण गायें,
सब विधि तेरा सुयश बढ़ायें।

-सोहन लाल द्विवेदी

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि सोहन लाल द्विवेदी भारत की वीरता, गौरव और संस्कृति का गुणगान करते हैं। कवि भारत को देवताओं का निवास स्थान मानते हैं, जिसमें वे कहते हैं कि उन्हें भारत की मिट्टी सारे संसार के परम वैभव से भी प्रिय है। इस कविता के माध्यम से कवि अपनी मातृभूमि भारत की वंदना करते हैं। यह कविता सरल और स्पष्ट भाषा में लिखी गई है, जिसने भारत के युवाओं में देशभक्ति के भाव को अधिक बल दिया है।

तुम्हें नमन

Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi आपको प्रेरणा से भर देंगी। सोहन लाल द्विवेदी जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं की श्रेणी में से एक रचना “तुम्हें नमन” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

चल पड़े जिधर दो डग, मग में
चल पड़े कोटि पग उसी ओर;
गड़ गई जिधर भी एक दृष्टि
गड़ गए कोटि दृग उसी ओर,

जिसके शिर पर निज हाथ धरा
उसके शिर- रक्षक कोटि हाथ
जिस पर निज मस्तक झुका दिया
झुक गए उसी पर कोटि माथ;

हे कोटि चरण, हे कोटि बाहु
हे कोटि रूप, हे कोटि नाम!
तुम एक मूर्ति, प्रतिमूर्ति कोटि
हे कोटि मूर्ति, तुमको प्रणाम!

युग बढ़ा तुम्हारी हँसी देख
युग हटा तुम्हारी भृकुटि देख,
तुम अचल मेखला बन भू की
खीचते काल पर अमिट रेख;

तुम बोल उठे युग बोल उठा
तुम मौन रहे, जग मौन बना,
कुछ कर्म तुम्हारे संचित कर
युगकर्म जगा, युगधर्म तना;

युग-परिवर्तक, युग-संस्थापक
युग संचालक, हे युगाधार!
युग-निर्माता, युग-मूर्ति तुम्हें
युग युग तक युग का नमस्कार!

दृढ़ चरण, सुदृढ़ करसंपुट से
तुम काल-चक्र की चाल रोक,
नित महाकाल की छाती पर
लिखते करुणा के पुण्य श्लोक!

हे युग-द्रष्टा, हे युग सृष्टा,
पढ़ते कैसा यह मोक्ष मन्त्र?
इस राजतंत्र के खण्डहर में
उगता अभिनव भारत स्वतन्त्र!

-सोहन लाल द्विवेदी

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि सोहन लाल द्विवेदी ने नेतृत्व और अनुसरण का महत्व दर्शाने का सफल प्रयास किया है। कवि कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति नेतृत्व करता है और सही राह दिखाता है, तो लोग उसका अनुसरण करते हैं। कवि कहते हैं कि नेता का दायित्व बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसे सदैव सही राह दिखानी चाहिए और लोगों का मार्गदर्शन करना चाहिए। यह कविता महात्मा गांधी को समर्पित है। कवि गांधी जी को एक महान नेता के रूप में देखते हैं जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रे मन

Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi आपको साहित्य के सौंदर्य से परिचित करवाएंगी, साथ ही आपको प्रेरित करेंगी। सोहन लाल द्विवेदी जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना “रे मन” भी है, यह कुछ इस प्रकार है:

प्रबल झंझावत में तू
बन अचल हिमवान रे मन।
हो बनी गम्भीर रजनी,
सूझती हो न अवनी,
ढल न अस्ताचल अतल में
बन सुवर्ण विहान रे मन।

उठ रही हो सिन्धु लहरी
हो न मिलती थाह गहरी
नील नीरधि का अकेला
बन सुभग जलयान रे मन।

कमल कलियाँ संकुचित हो,
रश्मियाँ भी बिछलती हो,
तू तुषार गुहा गहन में
बन मधुप की तान रे मन।

-सोहन लाल द्विवेदी

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि सोहन लाल द्विवेदी ने युवा पढ़ी को मन का हाल सुनाकर आत्म-प्रेरणा और आत्म-विश्वास का संदेश देने का प्रयास किया है। कवि मन को प्रेरित करते हैं कि वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करता रहे। कविता में कवि मन को सकारात्मक सोच रखने के लिए प्रेरित करते हैं। वे कहते हैं कि सकारात्मक सोच से ही जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। कविता की भाषा सरल और सहज है। कवि ने विभिन्न अलंकारों का प्रयोग करके कविता को प्रभावशाली बनाया है। यह कविता आज भी प्रासंगिक है और लोगों को आत्म-प्रेरणा और आत्म-विश्वास की भावना से प्रेरित करती है।

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi आपको प्रेरित करेंगी, साथ ही आपका परिचय साहस से करवाएंगी। सोहन लाल द्विवेदी जी की महान रचनाओं में से एक रचना “कोशिश करने वालों की हार नहीं होती” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

-सोहन लाल द्विवेदी

भावार्थ : सोहन लाल द्विवेदी की यह कविता निरंतर प्रयास करने और हार न मानने का संदेश देती है। कवि कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति निरंतर प्रयास करता रहे और हार नहीं मानता, तो उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है। कविता के माध्यम से कवि कहते हैं कि जीवन में कई चुनौतियाँ और बाधाएँ आती हैं, लेकिन उनसे डरना नहीं चाहिए। कवि के अनुसार इन चुनौतियों का सामना करके ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। कविता में कवि ने कहा है कि सफलता प्राप्त करने के लिए धैर्य और आत्मविश्वास आवश्यक है। इसी धैर्य और आत्मविश्वास के कारण मानव को सफलता प्राप्त होती है।

संबंधित आर्टिकल

Rabindranath Tagore PoemsHindi Kavita on Dr BR Ambedkar
Christmas Poems in HindiBhartendu Harishchandra Poems in Hindi
Atal Bihari Vajpayee ki KavitaPoem on Republic Day in Hindi
Arun Kamal Poems in HindiKunwar Narayan Poems in Hindi
Poem of Nagarjun in HindiBhawani Prasad Mishra Poems in Hindi
Agyeya Poems in HindiPoem on Diwali in Hindi
रामधारी सिंह दिनकर की वीर रस की कविताएंरामधारी सिंह दिनकर की प्रेम कविता
Ramdhari singh dinkar ki kavitayenMahadevi Verma ki Kavitayen
Lal Bahadur Shastri Poems in HindiNew Year Poems in Hindi

आशा है कि Sohanlal Dwivedi Poem in Hindi (सोहन लाल द्विवेदी की कविताएं) के माध्यम से आप सोहन लाल द्विवेदी की सुप्रसिद्ध रचनाओं को पढ़ पाएं होंगे, जो कि आपको सदा प्रेरित करती रहेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा, इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*