Gulzar ki Kavitayen in Hindi: पढ़िए गुलज़ार की कविताएं, संक्षिप्त जीवन परिचय

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Gulzar ki Kavitayen in Hindi
Gulzar ki Kavitayen in Hindi

Gulzar ki Kavitayen in Hindi को पढ़कर युवाओं को साहित्य के सौंदर्य के बारे में पता लगेगा। गुलज़ार की कविताएं विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए विद्यार्थियों को तैयार करेंगी। गुलज़ार की कविताएं विद्यार्थियों का परिचय साहस के साथ करवाएंगी, साथ ही यह कविताएं युवाओं का मार्गदर्शन करने का भी सफल प्रयास करेंगी। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि कविताएं समाज में साहस का संचार करके युवाओं को निडर बनाती हैं। कविताएं मानव को समाज की कुरीतियों और अन्याय के विरुद्ध लड़ना सिखाती हैं। समाज में समय-समय पर ऐसे कवि या शायर हुए हैं, जिनकी उपस्थिति में समाज की सोई चेतना जागी है। ऐसे ही एक कवि अथवा शायर गुलज़ार भी हैं, जिनकी लेखनी ने समाज का दर्पण बनने का काम किया है। इस ब्लॉग में लिखित Gulzar ki Kavitayen in Hindi विद्यार्थियों को प्रेरणा से भर देंगी, जिसके बाद उनके जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा।

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गुलज़ार का संक्षिप्त जीवन परिचय

Gulzar ki Kavitayen in Hindi पढ़ने के पहले आपको गुलज़ार का जीवन परिचय होना चाहिए। हिन्दी साहित्य की अनमोल मणियों में से एक बहुमूल्य मणि कवि गुलज़ार जी भी थे, गुलज़ार एक लोकप्रिय हिंदी ग़ज़लकार भी थे। उनकी कविताएं सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के प्रति प्रखरता से जागरूकता फैलाती थी, जो कि आज के समय में बेहद प्रासंगिक हैं। गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1934 को भारत के पंजाब प्रांत में झेलम जिले के दीना गांव में हुआ था, जो कि विभाजन के बाद पाकिस्तान के हिस्से में चला गया।

गुलज़ार जी के पिता एक किसान और उनकी माँ एक गृहिणी थीं, गुलज़ार साहब अपने पिता की दूसरी पत्नी की इकलौती संतान थे। गुलज़ार साहब का मूल नाम सम्पूरण सिंह कालरा है, गुलज़ार साहब को बचपन से ही गुलज़ार को लिखने का शौक था। गुलज़ार साहब अपने प्रारंभिक जीवन में स्कूल के दिनों में कविताएँ और कहानियाँ लिखा करते थे। भारत के विभाजन के बाद वर्ष 1950 में, गुलज़ार साहब भारत के मुंबई में चले आए, जहाँ उन्होंने एक मोटर गैराज में काम करके अपनी संघर्ष यात्रा को शुरू किया।

गुलज़ार साहब ने कई फिल्मों के लिए अपने लेखन के माध्यम से कई गीत, पटकथाओं का सृजन किया। वर्ष 1963 में गुलज़ार साहब ने फिल्म ‘बंधिनी’ के लिए अपने जीवन का पहला गीत लिखा, जिसका नाम “अब तो जाना है” था। इस गीत ने गुलज़ार साहब को एक गीतकार के रूप में भी स्थापित किया। गुलज़ार साहब के लेखन को “साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण और सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर अवार्ड” आदि से सम्मानित भी किया गया।

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इश्क़ में ‘रेफ़री’ नहीं होता!

Gulzar ki Kavitayen in Hindi आपकी जीवनशैली में साकारत्मक बदलाव कर सकती हैं। गुलज़ार की कविताएं आपको प्रेरित करेंगी, इस श्रेणी में एक कविता “इश्क़ में ‘रेफ़री’ नहीं होता!” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

इश्क़ में ‘रेफ़री’ नहीं होता 
‘फ़ाउल’ होते हैं बेशुमार मगर 
‘पेनल्टी कॉर्नर’ नहीं मिलता! 
दोनों टीमें जुनूँ में दौड़ती, दौड़ाए रहती हैं 
छीना-झपटी भी, धौल-धप्पा भी 
बात बात पे ‘फ़्री किक’ भी मार लेते हैं 
और दोनों ही ‘गोल’ करते हैं! 
इश्क़ में जो भी हो वो जाईज़ है 
इश्क़ में ‘रेफ़री’ नहीं होता!

-गुलज़ार

इक नज़्म मेरी चोरी कर ली कल रात किसी ने!

Gulzar ki Kavitayen in Hindi आपकी जीवनशैली में साकारत्मक बदलाव कर सकती हैं, गुलज़ार जी की कविताओं की श्रेणी में एक कविता “इक नज़्म मेरी चोरी कर ली कल रात किसी ने!” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

इक नज़्म मेरी चोरी कर ली कल रात किसी ने 
यहीं पड़ी थी बालकनी में 
गोल तपाई के ऊपर थी 
व्हिस्की वाले ग्लास के नीचे रखी थी 
शाम से बैठा, 
नज़्म के हल्के-हल्के सिप मैं घोल रहा था होंटों में 
शायद कोई फ़ोन आया था... 
अंदर जाके, लौटा तो फिर नज़्म वहाँ से ग़ायब थी 
अब्र के ऊपर-नीचे देखा 
सुर्ख़ शफ़क़ की जेब टटोली 
झाँक के देखा पार उफ़क़ के 
कहीं नज़र न आई, फिर वो नज़्म मुझे... 
आधी रात आवाज़ सुनी, तो उठ के देखा 
टाँग पे टाँग रखे, आकाश में 
चाँद तरन्नुम में पढ़-पढ़ के 
दुनिया भर को अपनी कह के नज़्म सुनाने बैठा था!

-गुलज़ार

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शराब पीने से…

Gulzar ki Kavitayen in Hindi आपकी जीवनशैली में साकारत्मक बदलाव कर सकती हैं, गुलज़ार जी की कविताओं की श्रेणी में एक कविता “शराब पीने से…” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

शराब पीने से कुछ तो फ़र्क़ पड़ता है, ये लगता है! 
ज़रा-सी वक़्त की रफ़्तार धीमी होने लगती है 
गटागट पल निगलने की कोई जल्दी नहीं होती 
ख़यालों के लिए ‘चेक-पोस्ट’ कम आते हैं रस्ते में 
जिधर देखो, उधर पाँव तले हरियाली दिखती है 
क़दम रखो तो काई है 
फिसलते हैं, सँभलते हैं 
जिसे कुछ लोग अक्सर डगमगाना कहने लगते हैं 
शराब पीकर, जो ख़ुद से भी नहीं कहते 
वो कह देते हैं लोगों की 
संद कर देते हैं वो नज़्म कहकर!

-गुलज़ार

इतवार

Gulzar ki Kavitayen in Hindi आपकी जीवनशैली में साकारत्मक बदलाव कर सकती हैं, गुलज़ार जी की कविताओं की श्रेणी में एक कविता “इतवार” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

हर इतवार यही लगता है 
देरे से आँख खुली है मेरी, 
या सूरज जल्दी निकला है 
जागते ही मैं थोड़ी देर को हैराँ-सा रह जाता हूँ 
बच्चों की आवाज़ें हैं न बस का शोर 
गिरजे का घंटा क्यों इतनी देर से बजता जाता है 
क्या आग लगी है? 
चाय...? 
चाय नहीं पूछी ‘आया’ ने? 
उठते-उठते देखता हूँ जब, 
आज अख़बार की रद्दी कुछ ज़्यादा है 
और अख़बार के खोंचे में रक्खी ख़बरों से 
गर्म धुआँ कुछ कम उठता है... 
याद आता है... 
अफ़्फ़ो! आज इतवार का दिन है। छुट्टी है! 
ट्रेन में राज़ अख़बार के पढ़ने की कुछ ऐसी हुई है आदत 
ठहरीं सतरें भी अख़बार की, हिल-हिल के पढ़नी पड़ती हैं!

-गुलज़ार

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‘जहाँनुमा’ इक होटल है ना…

Gulzar ki Kavitayen in Hindi आपकी जीवनशैली में साकारत्मक बदलाव कर सकती हैं, गुलज़ार जी की कविताओं और ग़ज़लों की श्रेणी में एक कविता “‘जहाँनुमा’ इक होटल है ना…” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

‘जहाँनुमा’ इक होटल है ना... 
जहाँनुमा के पीछे ही टी.वी. टावर है 
चाँद को उसके ऊपर चढ़ते देखा था कल 
होली का दिन था 
मुँह पर सारे रंग लगे थे 
थोड़ी देर में ऊपर चढ़ के 
टाँग पे टाँग जमा के ऐसे बैठ गया था, 
होली की ख़बरों में जैसे लोग उसे भी 
अब टी.वी. पर देख रहे होंगे!

-गुलज़ार

चिपचे दूध से नहलाते हैं आँगन में खड़ा कर के तुम्हें

Gulzar ki Kavitayen in Hindi आपकी जीवनशैली में साकारत्मक बदलाव कर सकती हैं, गुलज़ार जी की कविताओं और ग़ज़लों की श्रेणी में एक कविता “चिपचे दूध से नहलाते हैं आँगन में खड़ा कर के तुम्हें” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

चिपचे दूध से नहलाते हैं आँगन में खड़ा कर के तुम्हें 
शहद भी, तेल भी, हल्दी भी, न जाने क्या क्या 
घोल के सर पे लँढाते हैं गिलसियाँ भर के... 
औरतें गाती हैं जब तीवर सुरों में मिल कर 
पाँव पर पाँव लगाए खड़े रहते हो इक पथराई-सी मुस्कान लिए 
बुत नहीं हो तो, परेशानी तो होती होगी! 
जब धुआँ देता, लगाता पुजारी 
घी जलाता है कई तरह के छोंके देकर 
इक ज़रा छींक ही दो तुम, 
तो यक़ीं आए कि सब देख रहे हो!

-गुलज़ार

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ग़ुस्सा

Gulzar ki Kavitayen in Hindi आपकी जीवनशैली में साकारत्मक बदलाव कर सकती हैं, गुलज़ार जी की कविताओं और ग़ज़लों की श्रेणी में एक कविता “ग़ुस्सा” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

बूँद बराबर बौना-सा भन्नाकर लपका 
पैर के अँगूठे से उछला 
टख़नों से घुटनों पर आया 
पेट पे कूदा 
नाक पकड़ कर 
फन फैला कर सर पे चढ़ गया ग़ुस्सा!

-गुलज़ार

फ़रवरी

Gulzar ki Kavitayen in Hindi आपकी जीवनशैली में साकारत्मक बदलाव कर सकती हैं, गुलज़ार जी की कविताओं और ग़ज़लों की श्रेणी में एक ग़ज़ल “फ़रवरी” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

ये मुर्ग़ी महीना है! 
ये मुर्ग़ी.. दो पाँव पे बैठे-बैठे 
परों के नीचे जाने कब अंडा देती है 
सेती रहती है 
चार साल सूरज के गिर्द ये, बैठे-बैठे, गर्दिश करती है 
तब एक चूज़ा पैदा होता है इसका 
इस साल उनतीस दिन हैं फ़रवरी के 
मुर्ग़ी महीना फ़रवरी का है!

-गुलज़ार

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आशा है कि Gulzar ki Kavitayen in Hindi के माध्यम से आप गुलज़ार की कविताएं पढ़ पाएं होंगे, जो कि आपको सदा प्रेरित करती रहेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा। इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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