Chhath Puja History : छठ पूजा का इतिहास क्या है और कब से हुई इसकी शुरुआत?

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Chhath Puja History in Hindi

Chhath Puja History in Hindi : पंचांगों के अनुसार प्रत्येक वर्ष के कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के छठ महापर्व को मुख्य रूप से बिहार और भारत में मनाया जाता है। छठ पर्व 4 दिनों तक चलता है। इसमें मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की पूजा होती है। यह व्रत लोगों के द्वारा उनके द्वारा की गई मनोकामना पूर्ति के लिए भी किया जाता है। इस व्रत को महिलाएं और पुरुष दोनों ही रखते हैं। छठ पर्व में कार्तिक माह की चतुर्थी पर नहाय-खाय होता है। नहाय-खाय होने के बाद दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजा का इतिहास बहुत पुराना है जिसके बारे में इस ब्लॉग में Chhath Puja History in Hindi बताया गया है।

छठ पूजा क्या है?

छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू त्योहार है। यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें सूर्य की बहन माना जाता है। यह मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार के माध्यम से पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य देव के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया जाता है और उनसे मनोकामना की जाती है। छठ पूजा पर लोग स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

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छठ पूजा का इतिहास क्या है?

छठ पूजा का इतिहास प्राचीन वैदिक परंपराओं और हिंदू पौराणिक कथाओं में गहराई से निहित है। यह सूर्य देव और प्रकृति की लंबे समय से चली आ रही पूजा को दर्शाता है। यह त्योहार समय के साथ विकसित हुआ है और इसे हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले सबसे पुराने अनुष्ठानों में से एक माना जाता है, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में। इसके इतिहास से जुड़ी कहानियां इस प्रकार हैं-

छठ पूजा से जुड़ी राजा प्रियंवद व मालिनी की कहानी

छठ पूजा से कई अलग अलग पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। पौराणिक कथाओं के अजुसार एक राजा थे, प्रियंवद जिनकी कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने राजन प्रियंवद के लिए यज्ञ करवाया था। उस समय राजा की पत्नी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर दी थी। इससे उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह पुत्र मृत था। उस समय प्रियंवद पुत्र वियोग में अपने प्राण त्यागने लगे। तब भगवान की मानस पुत्री देवसेना उनके सामने प्रकट हुई। देवसेना ने उनसे कहा कि राजा तुम अपनी तरह ही दूसरों को भी मेरी पूजा के लिए प्रेरित करो। तब राजा के द्वारा देवी षष्ठी का व्रत किया गया जिसके बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को की गई थी। 

भगवान राम द्वारा सूर्यदेव की आराधना

छठ पूजा की कहानी रामायण से भी जुड़ी हुई है। लंका पर विजय पाने के बाद अयोध्या लोटने के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया था। तब उन्होंने सूर्यदेव की पूजा की थी। उन्होंने सप्तमी के दिन भी सूर्योदय के समय एक बाद फिर अनुष्ठान कर सूर्यदेव से उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था। यह परंपरा आज भी दोहराई जाती है। 

महाभारत के कर्ण द्वारा सूर्य देव की पूजा

छठ पर्व की कहानी महाभारत काल से भी जुड़ी हुई है। माना जाता है सूर्यपुत्र कर्ण ने भी सूर्य देव की पूजा की थी। कर्ण को भगवान सूर्य का परम भक्त माना जाता है। कर्ण के द्वारा सूर्य देव की पूजा के समय प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता था। सूर्य देव की कर्ण पर कृपा हुई और वह महान योद्धा बने। वर्तमान में भी छठ पूजा में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है।

कैसे मिला छठ पर्व के द्वारा पांडवों को राजपाठ

छठ पर्व से जुड़ी महाभारत काल की एक और कथा है। जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए थे। उस समय द्रौपदी के द्वारा छठ व्रत रखा गया था। पांडवों को राजपाठ वापस मिल गया। लोक परंपरा के अनुसार कहा जाता हुआ की सूर्यदेव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। यह कारण है की छठ पूजा के मौके पर सूर्य की आराधना बहुत अदुईक फलदायी मानी गई है।

छठ पूजा में प्रकृति प्रेम 

जब छठ पूजा की जाती है तो हरे कच्चे बांस की बहंगी, मिट्टी का चूल्हा, प्रकृति प्रदत फल, ईख सहित अन्य वस्तुओं के उपयोग का मुख्य रूप से किया जाता है। यह पूजा करने वाले आमजनों को प्रकृति के प्रति उनके प्रेम को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।

छठ पूजा कब की जाती है?

छठ पूजा हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्टी को की जाती है। इस साल छठ पूजा उदया तिथि के आधार पर छठ पूजा 7 नवंबर के दिन है। इस दिन शाम के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

छठ पूजा का महत्व क्या है?

छठ पूजा का महत्व इस प्रकार है-

  • छठ पूजा का महत्व इसके आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व में शामिल है। 
  • यह न केवल भक्ति का त्योहार है, बल्कि यह मनुष्य, प्रकृति और दैवीय शक्तियों के बीच संबंध को भी उजागर करता है। 
  • सूर्य देव छठ पूजा का केंद्र हैं। सूर्य को पृथ्वी पर जीवन का पालनहार माना जाता है। सूर्य की पूजा करके, भक्त इन आशीर्वादों के लिए अपना आभार व्यक्त करते हैं। माना जाता है कि सूर्य में उपचार गुण होते हैं। 
  • छठ पूजा के दौरान भक्त बीमारियों को ठीक करने, शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार और मानसिक और भावनात्मक शक्ति प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। 
  • सूर्य के साथ-साथ छठी मैया को उर्वरता और संतान की देवी के रूप में पूजा जाता है। 
  • छठी मैया को परिवारों को संतान का आशीर्वाद देने और उनकी सुरक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली सुनिश्चित करने के लिए पूजा जाता है। इस प्रकार यह त्योहार महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है। 
  • छठ पूजा में डूबते सूर्य और उगते सूर्य दोनों को अर्घ्य दिया जाता है। यह दोहरी पूजा जीवन की चक्रीय प्रकृति का प्रतीक है।

छठ पूजा कैसे की जाती है?

छठ पूजा चार दिनों का त्योहार है। पूजा के समय उपवास, प्रार्थना और जल निकायों में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करने के लिए अनुष्ठान करना शामिल है। अनुष्ठान मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा बड़ी श्रद्धा और अनुशासन के साथ किए जाते हैं। पुरुष और पूरा परिवार अक्सर इसमें भाग लेते हैं। छठ पूजा चार दिनों तक की जाती है। पहले दिन (नहाय खाय) भक्त पवित्र स्नान करते हैं। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और शुद्धिकरण शुरू करने के लिए एक बार भोजन करते हैं। दूसरे दिन (खरना) में भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं। शाम को प्रसाद मुख्यत: खीर के साथ उपवास तोड़ते हैं, उसके बाद 36 घंटे का निर्जल उपवास करते हैं। तीसरे दिन (संध्या अर्घ्य) में जल निकायों में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथे दिन (उषा अर्घ्य) में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ अनुष्ठान पूरा होता है, व्रत समाप्त होता है और पूजा का समापन होता है।

छठ पूजा से जुड़े तथ्य

Chhath Puja History in Hindi से जुड़े तथ्य नीचे दिए गए हैं:

  • छठ पूजा का इतिहास वैदिक काल से है। वैदिक काल में स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए सूर्य देव की पूजा की जाती थी।
  • पृथ्वी पर यह जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य और प्रजनन और कल्याण के लिए छठी मैया और सूर्य देव की पूजा होती है।
  • छठ पूजा के त्योहार में कठोर उपवास, अनुष्ठान और उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देना शामिल है।
  • छठ पूजा में फलों जैसे प्राकृतिक प्रसाद का उपयोग किया जाता है। पूजा में कृत्रिम वस्तुओं से परहेज किया जाता है, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।
  • छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और भारत में लोगों के द्वारा व्यापक रूप से को जाती है।

FAQs

छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई?

मान्यता के मुताबिक, एक कथा प्रचलित है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल के दौरान हुई थी। इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू की थी। कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे।

छठ पूजा बिहार में क्यों प्रचलित है?

सबसे प्रमुख कारण यह है कि छठ पर्व सूर्य देव की पूजा का पर्व है। सूर्य देव को हिंदू धर्म में कृषि का देवता माना जाता है। बिहार और पूर्वांचल क्षेत्र प्राचीन काल से कृषि प्रधान क्षेत्र रहा है। इसलिए, इस क्षेत्र के लोग सूर्य देव की पूजा विशेष रूप से करते हैं।

सूर्य और छठी मैया के बीच क्या संबंध है?

शास्त्रों के मुताबिक, छठी मैया सूर्य देव की बहन है

इस साल 2024 में कब है छठ पूजा? 

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि के साथ छठ पूजा आरंभ होती है। षष्ठी तिथि 7 नवंबर को सुबह 12 बजकर 41 मिनट से आरंभ हो रही है, 8 नवंबर को सुबह 12 बजकर 35 मिनट समाप्त हो रही है। उदया तिथि के आधार पर छठ पूजा 7 नवंबर को है।

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आशा हैं कि आपको इस ब्लाॅग में Chhath Puja History in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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