भारत के प्रथम फील्ड मार्शल केएम करियप्पा का जीवन परिचय – KM Cariappa Ka Jivan Parichay 

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KM Cariappa Ka Jivan Parichay

KM Cariappa Ka Jivan Parichay: स्वतंत्र भारत में जब भारतीय सेना के नेतृत्व की बात आती है तब के.एम.करियप्पा का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वह भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ थे जिन्होंने भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ ‘जनरल फ्रांसिस बुचर’ (General Francis Bucher) के स्थान पर 15 जनवरी, 1949 को कमांडर इन चीफ का पदभार ग्रहण किया था। वहीं भारतीय सेना के पहले सेनाध्यक्ष बनने के उपलक्ष्य पर हर वर्ष फील्ड मार्शल केएम करियप्पा की याद मेंभारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। 

क्या आप जानते हैं केएम करियप्पा प्रथम सेनाध्यक्ष होने के साथ ही भारतीय सेना के पहले फाइव स्टार रैंक के ऑफिसर थे। इसके अलावा ‘लेह’ को भारत का हिस्सा बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। आपको बता दें केएम करियप्पा की सेवाओं के लिए उन्हें 86 वर्ष की आयु में 15 जनवरी 1986 को फील्ड मार्शल की पदवी से सम्मानित किया गया था। इस वर्ष फील्ड मार्शल केएम करियप्पा की 125वीं जयंती मनाई जा रही है। आइए अब हम भारत के प्रथम फील्ड मार्शल केएम करियप्पा का जीवन परिचय (KM Cariappa Ka Jivan Parichay) और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

नाम कोडांदेरा मदप्पा करियप्पा (K.M. Cariappa) 
जन्म 28 जनवरी, 1899 
जन्म स्थान कुर्ग, कर्नाटक 
शिक्षा प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास 
पद प्रथम कमांडर-इन-चीफ 
पुरस्कार एवं सम्मान “ऑर्डर ऑफ द चीफ कमांडर ऑफ द लीजन ऑफ मेरिट” व “ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर” 
निधन 15 मई, 1993 बेंगलुरु, कर्नाटक 

कर्नाटक के कुर्ग प्रांत में हुआ जन्म 

KM Cariappa Ka Jivan Parichay: भारत के प्रथम फील्ड मार्शल केएम करियप्पा का जन्म 28 जनवरी, 1899 को कर्नाटक के कुर्ग प्रांत में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ‘माडिकेरी सेंट्रल हाई स्कूल’ से हुई थी। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 1917 में ‘मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज’ से आगे की पढ़ाई पूरी की। 

इसके बाद वह इंदौर स्थित आर्मी ट्रेनिंग स्कूल के लिए सेलेक्ट हो गए। यहाँ से अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें वर्ष 1919 में सेना में कमीशन मिला और उनकी नियुक्ति ब्रिटिश भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट के पद पर की गई। 

भारत के प्रथम कमांडर-इन-चीफ

भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय जब पूरे देश में हिंसा व उथल-पुथल का माहौल था। वहीं देश के हजारों-लाखों शरणार्थियों को एक देश से दूसरे देश में आवागमन करना था। उस दौरान भी भारत के कई स्थानों पर बड़े राष्ट्रीय आंदोलन हो रहे थे, जिसके कारण दोनों देशों की ही सरकार व अवाम को कई प्रशासनिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। 

वहीं इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए एक व्यवस्थित सेना की आवश्यकता थी। किंतु भारत की आजादी के बाद के कुछ वर्षों में भी भारतीय सेना की कमान ब्रिटिश मूल के अधिकारियों के हाथ में ही हुआ करती थी। वर्ष 1947 में भारत को पूर्ण स्वराज मिलने के बाद भी भारतीय सेना की कमान ब्रिटिश भारत के अंतिम कमांडर-इन-चीफ ‘जनरल फ्रांसिस बुचर’ (General Francis Bucher) के हाथों में ही थी। 

किंतु 15, जनवरी 1949 को के एम करिअप्पा पहले ऐसे अधिकारी बने जिन्होंने स्वतंत्र भारत में लेफ्टिनेंट जनरल का पदभार संभाला था। यह दिन ना केवल भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण होता है बल्कि भारतीय इतिहास के स्वर्णिम दिनों में भी अहम माना जाता है। 

लेह को भारत का हिस्सा बनाने में निभाई अहम भूमिका 

करिअप्पा ने वर्ष 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था। बता दें कि लेह को भारत का हिस्सा बनाने में करिअप्पा की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। वहीं भारत-पाकिस्तान के विस्थापन के वक्त उन्हें ही दोनों देशों की सेनाओं के बंटवारे की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। करिअप्पा के नेतृत्व में ही भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को कारगिल व अन्य स्थानों पर करारी शिकस्त दी थी। 

87 वर्ष की आयु में बने फील्ड मार्शल

आपको बता दें केएम करियप्पा की सेवाओं के लिए उन्हें 86 वर्ष की आयु में 15 जनवरी 1986 को “फील्ड मार्शल” की पदवी से सम्मानित किया गया था। वहीं, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में जापानी सेना को शिकस्त देने के लिए उन्हें “ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर” का सम्मान मिला था। अमेरिका के राष्ट्रपति ‘हैरी एस. ट्रूमैन’ (Harry S. Truman) ने उन्हें “ऑर्डर ऑफ द चीफ कमांडर ऑफ द लीजन ऑफ मेरिट” से सम्मानित किया था। 

सेवानिवृत होने के बाद रहे हाई कमिश्नर 

केएम करियप्पा 30 वर्षों तक भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देने के बाद वर्ष 1953 में सेवानिवृत हुए। किंतु रिटायर होने के बाद भी अपनी सेवाएं जारी रही। वह कुछ वर्ष तक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारत के उच्चायुक्त भी रहे। वहीं, वर्ष 1993 में 94 वर्ष की आयु में अपने गृह स्थान बेंगलुरु में वह पंचतत्व में विलीन हो गए।

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ भारत के प्रथम फील्ड मार्शल केएम करियप्पा का जीवन परिचय (KM Cariappa Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेनामवर सिंह सरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा

FAQs 

केएम करियप्पा का जन्म कहाँ हुआ था?

केएम करियप्पा का जन्म 28 जनवरी, 1899 को कर्नाटक के कुर्ग प्रांत में हुआ था। 

भारतीय सेना दिवस क्यों मनाया जाता है?

‘फील्ड मार्शल के एम करियप्पा’ के सम्मान में ही हर वर्ष 15 जनवरी को ‘भारतीय सेना दिवस’ मनाया जाता है। 

भारत के प्रथम चीफ-एंड-कमांडर का क्या नाम है?

स्वतंत्र भारत के प्रथम चीफ-एंड-कमांडर केएम करियप्पा थे। 

किस वर्ष केएम करियप्पा को “फील्ड मार्शल” की पदवी से नवाजा गया था?

बता दें कि वर्ष 1986 में केएम करियप्पा को “फील्ड मार्शल” की पदवी से सम्मानित किया गया था। 

केएम करियप्पा का निधन कब हुआ?

केएम करियप्पा का वर्ष 1993 में 94 वर्ष की आयु में निधन हुआ था। 

आशा है कि आपको भारत के प्रथम फील्ड मार्शल केएम करियप्पा का जीवन परिचय (KM Cariappa Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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