तकनीकी रूप से बढ़ती दुनिया में चुनावों में मतदान के पारंपरिक तरीके बदल गए हैं और इसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) एक है। ऐसा माना जाता है कि अपने आकर्षक डिजाइन और अत्याधुनिक क्षमताओं के साथ ईवीएम ने हमारे वोट डालने के तरीके को बेहतर बनाया है। भारत में भी ईवीएम से चुनाव होता है। देश में चुनावी प्रक्रिया समझने के लिए ईवीएम के बारे में जानना जरूरी है और यह टाॅपिक UPSC में प्री, मेंस एग्जाम और इंटरव्यू के अलावा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए इस ब्लाॅग EVM in Hindi में हम ईवीएम का पहली बार लोकसभा चुनाव में कब प्रयोग हुआ? जानेंगे।
ईवीएम के बारे में
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM in Hindi) एक उपकरण है जिसका उपयोग चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग करने के लिए किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह एक विशेष इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसे वोटों को सटीक और सुरक्षित रूप से रिकॉर्ड करने के लिए डिजाइन किया गया है। दुनिया भर के कई देशों में पारंपरिक पेपर बैलेट सिस्टम को बदलने के लिए ईवीएम का उपयोग किया जाता है।
एक ईवीएम में आमतौर पर एक नियंत्रण इकाई और एक मतदान इकाई होती है। नियंत्रण इकाई एक चुनाव अधिकारी द्वारा संचालित की जाती है और मतदान प्रक्रिया का प्रबंधन करती है, जबकि मतदान इकाई का उपयोग मतदाताओं द्वारा वोट डालने के लिए किया जाता है।
ईवीएम विभिन्न उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले बटनों या प्रतीकों की एक सीरीज के माध्यम से संचालित होती है। मतदाता अपनी पसंद के अनुसार बटन दबाते हैं और इससे उनका वोट इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिकॉर्ड हो जाता है।
ईवीएम (EVM in Hindi) का पहली बार लोकसभा चुनाव में कब प्रयोग हुआ था?
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM in Hindi) चुनावी प्रक्रिया में मुख्य आधार है। सबसे पहले इसकी कल्पना 1977 में चुनाव आयोग में की गई थी और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) हैदराबाद को इसे डिजाइन और विकसित करने का काम सौंपा गया था।
1979 में एक प्रोटोटाइप विकसित किया गया था जिसे 6 अगस्त 1980 को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के सामने चुनाव आयोग द्वारा प्रदर्शित किया गया था। भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल), बैंगलोर को इसमें शामिल किया गया था।
ईवीएम का पहली बार उपयोग मई 1982 में केरल के आम चुनाव में हुआ था, हालांकि इसके उपयोग को निर्धारित करने वाले एक विशिष्ट कानून की अनुपस्थिति के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने उस चुनाव को रद कर दिया था। इसके बाद 1989 में संसद ने चुनावों में ईवीएम के उपयोग के लिए प्रावधान बनाने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन किया।
इसकी शुरूआत पर आम सहमति 1998 में ही बन सकी और इनका उपयोग तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में 25 विधानसभा क्षेत्रों में किया गया। इसका उपयोग 1999 में 45 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में और बाद में फरवरी 2000 में हरियाणा विधानसभा चुनावों में 45 विधानसभा क्षेत्रों में विस्तारित किया गया।
मई 2001 में तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल राज्यों में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में ईवीएम का उपयोग किया गया था। 2004 में लोकसभा के आम चुनाव में देश के सभी 543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में ईवीएम (10 लाख से अधिक) का उपयोग किया गया था।
ईवीएम कागजी मतपत्रों से किस प्रकार अलग है?
स्पीड, सटीकता और अवैध वोटों में कमी के मामले में ईवीएम कागजी मतपत्रों की तुलना में लाभ प्रदान करती हैं। ईवीएम कागजी मतपत्रों की मैन्युअल गिनती की आवश्यकता को खत्म करती है और मानवीय त्रुटियों को कम करके तेजी से चुनाव परिणाम प्रदान करती है।
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FAQs
ईवीएम का मतलब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है।
हां, भारत समेत कई देशों में ईवीएम में वीवीपैट सिस्टम के जरिए पेपर बैकअप होता है।
ईवीएम का उपयोग भारत, ब्राज़ील, फिलीपींस और नामीबिया सहित दुनिया भर के कई देशों में किया जाता है।
लोकसभा को लोगों का सदन कहते हैं।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको (EVM in Hindi) ईवीएम का पहली बार लोकसभा चुनाव में कब प्रयोग हुआ? के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।