चुनाव आयोग: इतिहास, उद्देश्य, प्रावधान और महत्व

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चुनाव आयोग

भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में चुनावों की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था की आवश्यकता थी। इसी आवश्यकता को समझते हुए संविधान निर्माताओं ने भारतीय चुनाव आयोग (इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया) की स्थापना की। यह आयोग न केवल आम चुनावों का संचालन करता है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी मजबूत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC आदि में चुनाव आयोग से संबंधित प्रश्नों को पूछा जाता है। इस लेख में आपके लिए चुनाव आयोग की जानकारी दी गई है।

चुनाव आयोग क्या है?

यह एक स्वतंत्र निकाय है जिसे भारत के संविधान ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए स्थापित किया है। भारत का चुनाव आयोग लोकसभा चुनावों की मेजबानी के रूप में जाना जाता है। संविधान ने इसको संसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति और भारत के उपराष्ट्रपति कार्यालय के चुनावों को निर्देशित करने, अधीक्षक बनाने और नियंत्रित करने का अधिकार दिया है।

यह एक ऐसी संस्था है जो केंद्र सरकार और राज्य सरकारों दोनों के लिए समान है। यह विभिन्न राज्यों में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनावों के लिए नहीं है। इन चुनावों के लिए संविधान द्वारा अलग आयोग का प्रावधान किया गया है।

चुनाव आयोग की स्थापना कब हुई थी?

इस आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 में हुई थी। 1989 तक यह एक सदस्यीय निकाय था, जिसमें केवल मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) शामिल थे। 16 अक्टूबर 1989 को मतदान की आयु 21 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई थी। चुनाव आयोग के स्थापना दिवस को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के नाम से भी जाना जाता है। 

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चुनाव आयोग क्यों महत्वपूर्ण है?

चुनाव आयोग को इलेक्शन कमीशन के नाम से भी जाना जाता है और यह काफी महत्वपूर्ण है, जिसके बारे में यहां बताया जा रहा हैः

  • आयोग राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति, राज्य विधायकों और संसद के कार्यालयों के चुनावों की देखभाल करता है।
  • आम और उप-चुनावों के लिए समय-समय पर और समय पर चुनाव कराने के लिए चुनाव का समय निर्धारित करना।
  • मतदान केंद्रों का स्थान तय करना, मतदाताओं को उनके मतदान केंद्र, मतगणना केंद्रों के लिए स्थान आवंटित करना और मतदान केंद्रों और मतगणना केंद्रों में व्यवस्था करना और अन्य संबंधित मामलों को देखना।
  • इलेक्ट्रॉनिक फोटो पहचान पत्र (EPIC) जारी करना और मतदाता सूची बनाना।

चुनाव आयोग की शक्तियां क्या हैं?

इलेक्शन कमीशन की शक्तियां इस प्रकार हैंः

  • संविधान ने चुनाव आयोग को देश में चुनावों के संचालन को निर्देशित और नियंत्रित करने की शक्ति दी है।
  • आयोग राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति, राज्य विधायकों और संसद के कार्यालयों के चुनावों की देखभाल करता है।
  • चुनाव आयोग राष्ट्रपति को सलाह देता है कि वर्तमान में राष्ट्रपति शासन वाले राज्य में चुनाव कराया जाना चाहिए या नहीं।
  • मतदाता सूची तैयार करना और संशोधित करना और सभी पात्र मतदाताओं को रजिस्टर्ड करना।
  • चुनाव के लिए कार्यक्रम और तारीख तय करना और नामांकन पत्रों की जांच करना।
  • राजनीतिक दलों को पहचानना और उन्हें उनके चुनाव चिन्ह आवंटित करना।
  • यह उन सभी विवादों को समाप्त करने के लिए एक अदालत के रूप में कार्य करता है।
  • उन विवादों को देखने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करें, जो चुनावी व्यवस्था से संबंधित हो सकते हैं।
  • राष्ट्रपति को उन मामलों पर सलाह देना जो सांसदों की अयोग्यता से संबंधित हो सकते हैं।

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चुनाव आयोग के प्रमुख कार्य

इसका कार्य केवल चुनाव कराना नहीं है, बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता, पारदर्शिता और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करता है। इसके प्रमुख कर्तव्य निम्नलिखित हैं:

  • चुनाव आयोग का प्रमुख कार्य लोकसभा, राज्य विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव कराना है।
  • इसके साथ ही यह आयोग चुनाव कार्यक्रम (Election Schedule) तय करने, आचार संहिता लगाने और चुनाव के नियमों का पालन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • इसके साथ ही यह आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देने के साथ-साथ, उनके चुनाव चिह्न निर्धारित करता है।
  • चुनाव आचार संहिता लागू करना और साथ ही इसके उल्लंघन होने पर उचित कार्रवाई करना भी इसी आयोग का प्रमुख कार्य है।
  • मतदाता सूची तैयार करना और उसमें सुधार करना भी इस आयोग का प्रमुख कार्य है।
  • इसके साथ ही यह आयोग ईवीएम (Electronic Voting Machine) और वीवीपैट (VVPAT) का उपयोग सुनिश्चित करता है।
  • चुनावों के दौरान निष्पक्षता बनाए रखने के लिए पर्यवेक्षक को भी यही आयोग नियुक्त करता है।

चुनाव आयोग की डिजिटल और तकनीकी पहल

आधुनिकता के इस दौर में बदलते समय के साथ-साथ, चुनाव आयोग भी स्वयं को तकनीकी तौर पर बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस क्रम में मतदाता जागरूकता और पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए, साथ ही इसे मजबूती देने के लिए कई डिजिटल पहलों की शुरुआत हुई है। इसमें वोटर आईडी डाउनलोड सुविधा, cVIGIL ऐप और बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) एप प्रमुख हैं।

चुनाव आयोग के लिए संवैधानिक प्रावधान

यहाँ चुनाव आयोग के लिए संवैधानिक प्रावधान की जानकारी दी गई है –

  • भाग XV (अनुच्छेद 324-329) के तहत निर्वाचन से संबंधित मामलों के लिए एक आयोग की स्थापना की गई।
  • अनुच्छेद 324 के तहत निर्वाचन हेतु अधीक्षण, निर्देशन एवं नियंत्रण एक चुनाव आयोग में निहित किया जाता है।
  • अनुच्छेद 325 के अनुसार कोई भी व्यक्ति धर्म, नस्ल, जाति अथवा लिंग के आधार पर किसी विशेष मतदाता सूची में शामिल होने या शामिल होने का दावा करने के लिये अयोग्य नहीं होगा।
  • अनुच्छेद 326 के तहत एक वयस्क मताधिकार को निर्वाचित सरकार के सभी स्तरों के जैसे -लोकसभा और राज्य सभा चुनावों के आधार के रूप में परिभाषित करता है।
  • अनुच्छेद 327 के अनुसार संसद को विधानमंडलों के चुनावों और निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के संबंध में प्रावधान करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • अनुच्छेद 328 के तहत किसी राज्य की विधान सभा अपने यहाँ विधानसभा के चुनाव से संबंधित कानून बना सकती हैं ये कानून संविधान के प्रावधानों के अनुरूप और पहले से ही संसद द्वारा नहीं बनाए होने चाहिए।
  • अनुच्छेद 329 के तहत निर्वाचन के मामलों में न्यायालयों द्वारा हस्तक्षेप पर रोक का प्रावधान किया गया है।

FAQs

भारत के प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त कौन थे?

भारत के प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे।

भारत में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है?

भारत में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

भारत के निर्वाचन आयोग का मुख्यालय कहां है?

भारत के निर्वाचन आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली है।

चुनाव आयोग की स्थापना कब हुई?

इसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 में हुई थी।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको चुनाव आयोग की जानकारी मिल गई होगी। एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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