अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस : जानिए इस दिन का इतिहास और उद्देश्य

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अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस

हर साल 23 जून के दिन अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जाता है। इस दिन के माध्यम से  विधवाओं की स्थिति को विशेष मान्यता दी जाती है। आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 258 मिलियन विधवा महिलाएं मौजूद हैं। 10 में से लगभग एक विधवा अत्यधिक गरीबी का सामना करती है जबकि अन्य विधवा महिलाओं को हिंसा, सामाजिक कलंक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस क्यों मनाया जाता है?

अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का उद्देश्य विधवाओं के लिए समर्थन जुटाना है। साथ ही यह दिन उनकी स्थिति के बारे में जागरूकता फ़ैलाने का काम करता है। दुनिया भर में कई महिलाएं अपने जीवन साथी को खोने के बाद चुनौतियों का सामना करती हैं। उनको जीवन की मूल आवश्यकताओं, मानवाधिकार और सम्मान के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस “कई देशों में लाखों विधवाओं और उनके आश्रितों द्वारा सामना की जाने वाली गरीबी और अन्याय” को संबोधित करने के लिए कार्रवाई का दिन है। यह दिन विधवाओं के अधिकारों की रक्षा करता है।

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अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई?

अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस की शुरुआत 2015 में हुई थी। इसकी नींव लूम्बा फाउंडेशन द्वारा रखी गई थी। लूम्बा के अनुसार, दुनियाभर में विधवाओं को विभिन्न मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सरकारों, NGO द्वारा उनकी ज़रूरतों को प्राथमिकता नहीं दी जाती। समाज भी उनका तिरस्कार कर देता है। इन सभी प्रयासों के बाद, 23 जून 2010 को अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस के रूप में आधिकारिक मान्यता दी गई। 

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अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस का महत्व?

अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस, विधवा महिलाओं की समस्याओं की प्रति जागरुकता फ़ैलाने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस विधवाओं की स्थिति पर प्रकाश डालता है जिससे पता चलता है कि उन्हें समाज में किस प्रकार की उपेक्षा एवं दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लगभग 115 मिलियन विधवाएं गरीबी में रहने को मजबूर हैं, जबकि 81 मिलियन महिलाएं ऐसी हैं जो शारिरिक शोषण का सामना करती हैं। ज्यादातर नागरिक समाज संगठन भी समाज के इस उपेक्षित वर्ग की अनदेखी करते हैं।आमतौर पर विधवाओं को समाज से बहिष्कार जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। विधवाओं एवं उनके बच्चों के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार मानव अधिकारों की श्रेणी में गंभीर उल्लंघन है।

भारत में लगभग चार करोड़ से ज्यादा विधवा महिलाएं हैं। इन सभी महिलाओं को मदद की, बराबरी की जरूरत है। हमारे देश में आज भी विधवा नारी को सम्मान नहीं दिया जाता। आज भी विधवा महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हैं, लेकिन ये बात किसी को नहीं भूलनी चाहिए कि विधवा महिलाएं भी हमारे ही समाज और देश का हिस्सा हैं। इसलिए हर किसी को इनका सम्मान करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस इसी ओर एक पहल है। 

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