समादृत उपन्यासकार-कथाकार अमृतलाल नागर का जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान

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Amritlal Nagar Ka Jivan Parichay

अमृतलाल नागर हिंदी साहित्य के मूर्धन्य रचनाकार माने जाते हैं। बताना चाहेंगे आर्थिक संकट के कारण उनकी शिक्षा केवल हाईस्कूल तक ही सीमित रह गई थी, किंतु स्वाध्याय के माध्यम से उन्होंने कई भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया और इतिहास, पुराण, पुरातत्त्व, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान आदि विषयों में भी गहरी समझ प्राप्त की। इन सभी विषयों की झलक उनके साहित्य में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है

हिंदी साहित्य की गद्य विधा में उन्होंने कई अनुपम कृतियों का सृजन किया था। साहित्य में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें ‘पद्म भूषण’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (1967), ‘भारत भारती सम्मान’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ और ‘प्रेमचंद सम्मान’ सहित कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया गया है। इस लेख में अमृतलाल नागर का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं की जानकारी दी गई है।

नाम अमृतलाल नागर
जन्म 17 अगस्त, 1916 
जन्म स्थान गोकुलपुरा गाँव, आगरा जिला, उत्तर प्रदेश 
पिता का नाम राजाराम नागर 
माता का नाम विद्यावती नागर 
पत्नी का नाम प्रतिभा
शिक्षा हाईस्कूल
पेशा लेखक, संपादक
विधाएँ उपन्यास, कहानी, नाटक, व्यंग्य, बाल साहित्य, अनुवाद आदि। 
भाषा हिंदी 
उपन्यास ‘महाकाल’, ‘बूँद और समुद्र’, ‘शतरंज के मोहरे’, ‘सुहाग के नूपुर’, ‘अमृत और विष’ आदि। 
कहानी-संग्रह ‘वाटिका’, अवशेष, ‘तुलाराम शास्त्री’, ‘आदमी नहीं! नहीं!’, ‘पाँचवाँ दस्ता’ आदि। 
नाटक ‘युगावतार’, ‘बात की बात’, ‘चंदन वन’, ‘चक्करदार सीढ़ियाँ और अँधेरा’ आदि। 
व्यंग्य ‘नवाबी मसनद’, ‘सेठ बाँकेमल’, ‘कृपया दाएँ चलिए’ आदि। 
बाल-साहित्य ‘नटखट चाची’, ‘निंदिया आ जा’, ‘बजरंगी नौरंगी’, ‘बजरंगी पहलवान’, ‘बाल महाभारत’ आदि। 
संपादन ‘सुनीति’, ‘सिनेमा समाचार’, ‘अल्लाह दे’, ‘चकल्लस’ आदि। 
पुरस्कार ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘भारत भारती सम्मान’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘प्रेमचंद पुरस्कार’ आदि। 
निधन 23 फरवरी, 1990

आगरा के गोकुलपुरा गाँव में हुआ जन्म 

हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकार अमृतलाल नागर का जन्म 17 अगस्त, 1916 को उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के गोकुलपुरा गांव में एक गुजराती ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘राजाराम नागर’ व माता का नाम ‘विद्यावती नागर’ था। 

केवल मैट्रिक तक की पढ़ाई

अमृतलाल नागर की प्रारंभिक शिक्षा आगरा के ही एक विद्यालय से हुई। किंतु आर्थिक परिस्थितियां ठीक न होने के कारण वह मैट्रिक के बाद पढ़ाई नहीं कर सके। इसके बाद उन्होंने स्वाध्याय के द्वारा ही हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, मराठी और गुजराती आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। वहीं शिक्षा के प्रति विशेष अनुराग होने के कारण उन्होंने साहित्य, इतिहास, पुराण, पुरातत्व, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान आदि विषयों में भी विशेषज्ञता हासिल की। 

बचपन में हुई सगाई 

अमृतलाल नागर की सगाई बचपन में हो गई थी, जिसके बाद 31 जनवरी 1932 को उनका विवाह सुश्री प्रतिभा से हुआ। उनके दांपत्य जीवन में चार संतानें हुईं- कुमुद, शरद (बेटे) अचला और आरती (बेटी)। 

विस्तृत रहा कार्य क्षेत्र 

अमृतलाल नागर जब किशोरावस्था में प्रवेश कर रहे थे उसी दौरान उनके पिता का देहांत हो गया था। पिता का साया सर से उठ जाने के कारण परिवार के जीविका की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी। आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए उन्होंने वर्ष 1935 में लखनऊ की एक इंश्योरेंस कंपनी के कार्यालय में डिस्पैचर की नौकरी की। लेकिन अधिकारी से तल्खियां बढ़ने के कारण नौकरी से इस्तीफा दे दिया। नौकरी के साथ-साथ उनका सहित्य के क्षेत्र भी पर्दापण हो चुका था। उनका पहला कहानी-संग्रह ‘वाटिका’ नाम से वर्ष 1935 में प्रकाशित हुआ था। 

वर्ष 1940 में 1947 तक नागर जी ने कोल्हापुर, महाराष्ट्र से प्रकाशित होने वाले पत्र ‘चकल्लस’ का संपादन किया। इसके बाद उन्होंने कुछ वर्षों तक भारतीय फिल्मों में कथा-संवाद लेखन का कार्य किया। माना जाता है कि भारतीय फिल्मों में डबिंग कला का प्रारंभ उन्होंने ही किया था। 

इसके बाद वर्ष 1953 से 1956 तक अमृतलाल नागर ने ‘ऑल इंडिया रेडियो’ (AIR) में ड्रामा प्रोड्यूसर के तौर पर भी कार्य किया। उस समय AIR के सलाहकार मंडल में ‘सुमित्रानंदन पंत’, ‘पंडित नरेंद्र शर्मा’ और ‘उदयशंकर भट्ट’ जैसे प्रख्यात साहित्यकार शामिल थे। वहीं भारतीय स्वतंत्रता से पूर्व नए भारत के बदलते परिवेश पर उन्होंने कई कार्यक्रम बनाए। किंतु स्वतंत्र लेखन को प्राथमिकता देने के लिए उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और पूर्ण रूप से लेखन कार्य में जुट गए। 

अमृतलाल नागर की साहित्यिक रचनाएँ 

अमृतलाल नागर ने आधुनिक हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में सृजनात्मक योगदान दिया है। इनमें मुख्य रूप से उपन्यास, कहानी, व्यंग्य, बाल साहित्य, अनुवाद और नाटक शामिल हैं। नीचे उनकी समग्र साहित्यिक कृतियों की सूची दी गई है:-

अमृतलाल नागर के उपन्यास 

उपन्यास प्रकाशन 
महाकाल वर्ष 1947 
सेठ बांकेमल वर्ष 1955 
बूँद और समुंद्र वर्ष 1956 
शतरंज के मोहरे वर्ष 1958 
सुहाग के नूपुर वर्ष 1960 
अमृत और विष वर्ष 1966 
सात घूँघट वाला मुखड़ा वर्ष 1968 
एकदा नैमिषारण्येवर्ष 1968 
मानस का हंस वर्ष 1971 
नाच्यौ बहुत गोपालवर्ष 1978 
खंजन नयन वर्ष 1981 
बिखरे तिनके वर्ष 1982 
अग्निगर्भा वर्ष 1983 
करवट वर्ष 1985 
पीढ़ियाँ वर्ष 1990 

कहानी-संग्रह 

कहानी-संग्रहप्रकाशन 
वाटिका वर्ष 1935 
तुलाराम शास्त्री वर्ष 1941 
एटम बम वर्ष 1956 
पीपल की परी वर्ष 1962 
कालदंड की चोरीवर्ष 1963 
मेरी प्रिय कहानियाँ वर्ष 1970 
पाँचवाँ दस्ता वर्ष 1970 
भारतपुत्र नौरंगीलाल  वर्ष 1971 
सिकंदर हार गया वर्ष 1973 
एक दिल हजार अफ़साने वर्ष 1986 

नाटक 

नाटकप्रकाशन 
युगावतारवर्ष 1956 
बात की बातवर्ष 1974 
चंदन वनवर्ष 1974  
चक्करदार सीढ़ियाँ और अँधेरावर्ष 1977 
उतार चढ़ाववर्ष 1977 
नुक्कड़ पारवर्ष 1981 
चढ़त न दूजो रंगवर्ष 1982 

व्यंग्य 

व्यंग्य प्रकाशन 
नवाबी मसनदवर्ष 1939 
सेठ बाँकेमलवर्ष 1944 
कृपया दाएँ चलिएवर्ष 1973 
हम फिदाए लखनऊवर्ष 1973 
मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ वर्ष 1985 
चकल्लसवर्ष 1986 

बाल साहित्य 

बाल साहित्य प्रकाशन 
नटखट चाची वर्ष 1941 
निंदिया आजा वर्ष 1950 
बजरंगी नौरंगी वर्ष 1969 
बजरंगी पहलवान वर्ष 1969 
इतिहास झरोखे वर्ष 1970 
बाल महाभारत वर्ष 1971 
बजरंग स्मग्लरों के फंदे में वर्ष 1972 
हमारे युग निर्माता वर्ष 1982 
छ: युग निर्माता वर्ष 1982 
अक्ल बड़ी या भैंस वर्ष 1982 
आओ बच्चों नाटक लिखें वर्ष 1988 
सतखंडी हवेली का मालिक वर्ष 1990 
फूलों की घाटी वर्ष 1997 
बाल दिवस की रेल वर्ष 1997 
सात भाई चंपा वर्ष 1998 
इकलौता लाल वर्ष 2001 
साझा वर्ष 2001 
सोमू का जन्मदिन वर्ष 2001 
शांति निकेतन के संत का बचपन वर्ष 2001 
त्रिलोक विजय वर्ष 2001 

रेखाचित्र 

  • नवाबी मसनद – वर्ष 1939 

अनुवाद 

  • बिसाती – वर्ष 1935 मोपासा की कहानियाँ 
  • प्रेम की प्यास – वर्ष 1937 गुस्ताव फ्लाबेर के उपन्यास ‘मादाम बोवरी’ का संक्षिप भावानुवाद
  • काला पुरोहित – वर्ष 1939 आंतोन चेखव की कहानियाँ  
  • आँखों देखा गदर – वर्ष 1948 विष्णु भट्ट गोडसे की मराठी पुस्तक ‘माझा प्रवास’ का अनुवाद 
  • दो फक्क्ड़ – वर्ष 1955 कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के तीन गुजराती नाटक 
  • सारस्वत – वर्ष 1956 मामा वरेरकर के मराठी नाटक का अनुवाद 

यह भी पढ़ें – मनोविश्लेषणात्मक शैली के अग्रणी लेखक जैनेंद्र कुमार का जीवन परिचय

संपादन 

  • सुनीति 
  • सिनेमा समाचार 
  • अल्लाह दे
  • चकल्लस
  • नया साहित्य 
  • सनीचर 
  • प्रसाद

पुरस्कार एवं सम्मान 

अमृतलाल नागर को आधुनिक हिंदी साहित्य में उनके विशेष योगदान के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कार और सम्मान प्रदान किए जा चुके हैं, जो इस प्रकार हैं:-

  • पद्म भूषण – (वर्ष 1981 में भारत सरकार द्वारा सम्मानित)
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार – 1967
  • प्रेमचंद पुरस्कार 
  • भारत भारती सम्मान 
  • सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार 
  • अखिल भारतीय वीरसिंह देव पुरस्कार 
  • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार – (उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित)
  • नथमल भुवालका पुरस्कार 

अमृतलाल नागर का निधन 

अमृतलाल नागर ने हिंदी साहित्य की कई विधाओं में दशकों तक अनेक अनुपम कृतियों का सृजन किया। वहीं ‘मानस के हंस’, ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ उनकी कलजयी कृतियों में से एक मानी जाती हैं। हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाले अमृतलाल नागर का 23 फरवरी, 1990 को 73 वर्ष की आयु में निधन हुआ। किंतु उनकी रचनाओं के लिए उन्हें हिंदी सहित्य जगत में हमेशा याद किया जाता रहेगा। 

FAQs 

अमृतलाल नागर का जन्म कहाँ हुआ था?

अमृतलाल नागर का जन्म 17 अगस्त, 1916 को आगरा जिले के गोकुलपुरा गांव में हुआ था।

अमृतलाल नागर के माता-पिता का क्या नाम था?

उनकी माता का नाम विद्यावती नागर व पिता का नाम ‘राजाराम नागर’ था। 

अमृतलाल नागर का प्रथम प्रकाशित उपन्यास कौन सा है?

उनका प्रथम प्रकाशित उपन्यास का नाम महाकाल है, जिसका प्रकाशन वर्ष 1947 में हुआ था। 

अमृतलाल नागर को साहित्य अकादमी पुरस्कार कब मिला?

अमृतलाल नागर को उनके कालजयी उपन्यास ‘अमृत और विष’ के लिए वर्ष 1967 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। 

आशा है कि आपको हिंदी के प्रसिद्ध लेखक अमृतलाल नागर का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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