श्री अरबिंदो का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाएं

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श्री अरबिंदो का जीवन

श्री अरबिंदो का जीवन युवाकाल से ही उतार चढ़ाव से भरा रहा है। बंगाल विभाजन के बाद श्री अरबिंदो का जीवन शिक्षा को छोड़ कर स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी के रूप में लग गया। कुछ सालों बाद वह कलकत्ता छोड़ पॉन्डिचेरी बस गए जहा उन्होंने एक आश्रम का निर्माण किया। श्री अरबिंदो का जीवन वेद ,उपनिषद और ग्रंथों को पढ़ने और उनके अभ्यास करने ने गुजरा जिसके कारण उन्होंने कई प्रमुख रचनाएँ की। द ह्यूमन साइकिल, द आइडियल ऑफ ह्यूमन यूनिटी, द फ्यूचर पोएट्री उनमे से एक हैं। तो आइये पढ़ते हैं की श्री अरबिंदो का जीवनकाल कैसा रहा है।

नामअरबिंद कृष्णघन घोष
जन्म15 अगस्त 1872, कलकत्ता, प. बंगाल
माता स्वर्णलता देवी
पिता कृष्णघन घोष
पत्नी मृणालिनी देवी
शिक्षा Cambridge University
मृत्यु 5 दिसंबर 1950, पॉन्डिचेरी

श्री अरबिंदो का जीवन परिचय

अरबिंद कृष्णधन घोष या श्री अरबिंदो एक महान योगी और गुरु होने के साथ साथ गुरु और दार्शनिक भी थे। ईनका जन्म 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता पश्चिम बंगाल में हुआ था। इनके पिता कृष्णधन घोष एक डॉक्टर थे। युवा-अवस्था में ही इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के साथ देश की आजादी में हिस्सा लिया। समय ढलते ये योगी बन गए और इन्होंने पांडिचेरी में खुद का एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद तथा ग्रंथों का पूर्ण ज्ञान होने के कारण इन्होंने योग साधना पर मौलिक ग्रंथ लिखें। श्री अरबिंदो के जीवन का सही प्रभाव विश्वभर के दर्शन शास्त्र पर पड़ रहा है। अलीपुर सेंट्रल जेल से छुटने के बाद श्री अरबिंदो का जीवन ज्यादातर योग और ध्यान में गुजरा है। 

श्री अरबिंदो का जीवन
Source – :Wikipedia

श्री अरबिंदो की शिक्षा

श्री अरबिंदो के पिता डॉ कृष्णधन घोष चाहते थे कि वे उच्च शिक्षा ग्रहण कर उच्च सरकारी पद प्राप्त करें। इसी कारणवस उन्होंने सिर्फ 7 वर्ष के उम्र में ही श्री अरबिंदो को पढ़ने इंग्लैंड भेज दिया। 18 वर्ष के होते ही श्री अरबिंदो ने ICS की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। 18 साल की आयु में इन्हें कैंब्रिज में प्रवेश मिल गया। अरविंद घोष ना केवल आध्यात्मिक प्रकृति के धनी थे बल्कि उनकी उच्च साहित्यिक क्षमता उनके माँ की शैली की थी। इसके साथ ही साथ उन्हें अंग्रेज़ी, फ्रेंच, ग्रीक, जर्मन और इटालियन जैसे कई भाषाओं में निपुणता थी। सभी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी वे घुड़सवारी के परीक्षा में विफल रहें जिसके कारण उन्हें भारतीय सिविल सेवा में प्रवेश नहीं मिला। 

आध्यात्मिक विचार

अलीपुर बम केस श्री अरबिंदो के जीवन का अहम हिस्सा था। एक साल के लिए उन्हें सेंट्रल जेल के सेल में रखा गया जहाँ उन्होंने एक सपना देखा कि भगवान ने उन्हें एक दिव्य मिशन पर जाने का उपदेश दिया। उन्होंने कैद में ही गीता की शिक्षा लेना प्राप्त की और निरंतर अभ्यास किया। वह अपनी अवधि से जल्दी बरी हो गए थे। रिहाई के बाद उन्होंने कई ध्यान किए और उनपर निरंतर अभ्यास करते रहें। सन् 1910 में श्री अरबिंदो कलकत्ता छोड़कर पांडिचेरी बस गए। वहाँ उन्होंने एक संस्थान बनाई और एक आश्रम का निर्माण किया। 

सन् 1914 में श्री अरबिंदो ने आर्य नामक दार्शनिक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया। अगले 6 सालों में उन्होंने कई महत्वपूर्ण रचनाएँ की। कई शास्त्रों और वेदों का ज्ञान उन्होंने जेल में ही प्रारंभ कर दी थी। सन् 1926 में श्री अरबिंदो सार्वजनिक जीवन में लीन हो गए।

श्री अरबिंदो का जीवन
source: Wikipedia

श्री अरबिंदो कैसा रहा शैक्षिक जीवन

सन् 1893 में श्री अरबिंदो भारत लौट आए और बड़ौदा के एक राजकीय विद्यालय में 750 रुपये वेतन पर उपप्रधानाचार्य नियुक्त किए गए। बड़ौदा के राजा द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया। 1893 से 1906 तक उन्होंने संस्कृत, बंगाली साहित्य, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान का विस्तार रूप से अध्ययन किया।

1906 में बंगाल विभाजन के बाद श्री अरबिंदो ने इस्तीफा दे दिया और देश की आज़ादी के लिए आंदोलनों में सक्रिय होने लगे। स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाने के साथ साथ उन्होनें अंग्रेज़ी दैनिक ‘वंदे मातरम’ पत्रिका का प्रकाशन किया और निर्भय होकर लेख लिखें। 

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श्री अरबिंदो के जीवन की प्रमुख उपलब्धियां

  • श्री अरबिंदो स्वतंत्रता सेनानी में प्रमुख क्रांतिकारी थे। 
  • वे एक महान कवि भी थे। इनकी रचना का वर्णन विश्वभर में प्रख्यात है। 
  • 7 साल की आयु से ही विदेश में शिक्षा प्राप्त करने वाले श्री अरबिंदो का वर्णन प्रचंड विद्वानों में होता है। 
  • वह एक योगी और महान दार्शनिक भी थे। 

श्री अरबिंदो की प्रमुख रचनाएँ

  • श्री अरबिंदो की रचनाओं में गीता का वर्णन, वेदों का रहस्य व उपनिषद का सम्पूर्ण व्याख्यान है।
  • द रेनेसां इन इंडिया – The Renesan in India
  • वार एंड सेल्फ डिटरमिनेसन – War and Self Determination
  • द ह्यूमन साइकिल – The Human Cycle
  • द आइडियल ऑफ़ ह्यूमन यूनिटी – The Ideal of Human Unity
  • द फ्यूचर पोएट्री – The Future Poetry

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श्री अरबिंदो का जीवन
source: sriaurbindo.org

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ श्री अरविंद घोष का जीवन परिचय (Rabindranath Tagore Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेनामवर सिंह सरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 
राजिंदर सिंह बेदीहरिशंकर परसाईमुनव्वर राणा

FAQ

अरविंद दर्शन क्या है?

श्री अरबिंदो ने क्रांतिकारी जीवन त्याग शारीरिक, मानसिक और आत्मिक दृष्टि से योग पर अभ्यास किया और दिव्य शक्ति को प्राप्त किया। श्री अरबिंदो का शैक्षिक जीवन भी रहा है जब वे बड़ौदा के एक राजकीय विद्यालय में उपप्रधानाचार्य रह चुके थे। 

श्री अरविंद घोष का जन्म कब हुआ?

श्री अरबिंदो का जन्म १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता पश्चिम बंगाल में हुआ था।

श्री अरविंद ने अपनी प्रार्थना में क्या मांगा?

श्री अरबिंदो ने अपनी प्रार्थना में यह माँगा कि – “मैं तो केवल ऐसी शक्ति माँगता हूँ जिससे इस राष्ट्र का उत्थान कर सकूँ, केवल यही चाहता हूँ कि मुझे उन लोगों के लिये जीवित रहने और काम करने दिया जाये जिन्हें मैं प्यार करता हूँ तथा जिनके लिए मेरी प्रार्थना है कि मैं अपना जीवन लगा सकूँ|”

समग्र योग क्या है?

समग्र योग का लक्ष्य है आध्यात्मिक सिद्धि और अनुभव प्राप्त करना साथ ही साथ सारी सामाजिक समस्यायों से छुटकारा पाना। 

पांडिचेरी आश्रम में माता जी के नाम से कौन विख्यात थी?

श्री अरबिंदो ने पॉन्डिचेरी में एक आश्रम कि स्थापना की जिसका नेतृत्व मीरा अल्फासा से अपने मृत्यु २४ नवम्बर १९२६ तक किया जिन्हे माँ के नाम से पुकारा जाता था। 

राष्ट्रवाद से श्री अरविंद का क्या आशय है?

श्री अरबिंदो ने देश के लिए कई बलिदान दिए और कई ज्ञान भी दिए। उनके अनुसार राष्ट्रीयता एक आध्यात्मिक बल है जो सदैव विद्यमान रहती है और इसमें किसी प्रकार का कोलाहल नहीं होता।

श्री अरविंद ने अपने भाषण में क्या संदेश दिया था?

श्री अरबिंदो ने स्वंतत्रता संग्राम के दौराम “वंदे मातरम” की रचना की जिसके चलते कई विदेशी सामानों का बहिष्कार हुआ और कई आक्रामक कार्यवाही हुई जो प्रभावित साबित हुई।  

श्री अरविंद के अनुसार सनातन धर्म की मानव जीवन में क्या भूमिका है समझाइये?

श्री अरबिंदो के अनुसार जीवन एक अखंड प्रक्रिया है क्यूंकि यही एक माध्यम है जिससे मानव जाति सम्पूर्ण रूप से सत्य और चेतना का अभ्यास कर दिव्य शक्ति को प्राप्त कर सकते हैं। 

आशा करते हैं कि आपको श्री अरबिंदो का जीवन के ऊपर ब्लॉग पढ़कर अच्छा लगा होगा। हमारे Leverage Edu में आपको ऐसे कई प्रकार के ब्लॉग मिलेंगे जहां आप अलग-अलग विषय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।

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