होली का त्यौहार, भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है। रंगो और प्यार का यह त्यौहार अब केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई देशों में धूम-धाम से मनाया जाता है। होली को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि दोल, फागुआ, बसंतोत्सव, धुलेंडी आदि। हर त्यौहार की भाति इस त्यौहार का मकसद भी हर धर्म , सम्प्रदा और जाती के बंधन खोलकर एकत्र होना और दुनिया भर में प्रेम का सन्देश देना है। इस दिन सभी अपने पुराने गिले शिकवे छोड़ एक दूसरे को गले मिलकर गुलाल लगाते है। लेकिन कई लोग अभी भी इस बात से अंजान है की आखिर होली मनाने के पीछे का कारण क्या है। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम Why We Celebrate Holi in Hindi 2024 के बारे में जानेंगे।
हिंदुओं का लोकप्रिय त्यौहार होली
होली को रंगो के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति में आने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में इस त्यौहार का आगमन होता है। इस त्यौहार को पसंद करने वाले लोग हर साल होली के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। होली एक प्रेम से भरा त्यौहार है जो पूरा परिवार व सभी दोस्त मिलकर मनाते है।
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Why We Celebrate Holi in Hindi
भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या किस्सा प्रच्वलित होता है। होली मनाए जाने के पीछे (Why We Celebrate Holi in Hindi 2024) भी एक कहानी है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी था, जो ख़ुदको भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया था कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात ना मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही अपने को लगाए रखा। पिता की क्रोध की सीमा न रही, हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल ना हो सका। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम था होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोदी में बिठा कर आग लगा दी गई पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रह्लाद तो बच गया पर होलिका जल गई। इसी घटना की याद में हर साल रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
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Why We Celebrate Holi With Colours in Hindi
होली रंगों का पर्व है और इस दिन हर तरफ रंग व गुलाल की बौछार नजर आती है। लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। रंगों का यह पर्व होली भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है और उनकी ब्रज नगरी में तो इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। ब्रज की होली देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है और कहते हैं कि होली और रंगों को भगवान श्रीकृष्ण के युग द्वापर में जोड़ा गया था। श्रीकृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है और होली की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण को रंग लगाने के बाद ही होती है।
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से हमेशा यही शिकायत करते थे कि राधा गोरी क्यों है और मैं काला क्यों हूं? तब यशोदा जी ने सुझाव दिया कि जाकर राधा के चेहरे पर रंग लगा तो उनका रंग भी तुम्हारे जैसा हो जाएगा। मां का यह सुझाव सुनकर भगवान श्रीकृष्ण रंग लेकर गए और राधा जी को रंग लगा दिया।
सबसे पहले वृंदावन, गोकुल में होली पर रंग लगाने की प्रथा शुरू हुई और उसके बाद होली में रंगों को खेलने की प्रथा सामुदायिक कार्यक्रम में बदल गई। कहते हैं कि तभी होली के दिन रंग लगाने की परंपरा शुरू हुई। एक अन्य वजह यह भी है कि होली के दिन रंग के रंगने के बाद लोग ऊंच-नीच, जात-पात और अमीर-गरीब का भेद भूल जाते हैं। रंगों में रंगने के बाद सब एक समान हो जाते हैं। इसलिए होली के पर्व को रंगो का, प्रेम व एकता का प्रतीक भी कहा जाता है।
होलिका दहन
होली (Why We Celebrate Holi in Hindi 2024) का त्यौहार दो दिन तक मनाया जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु हो गई। इसी ख़ुशी में होली से एक रात पहले होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन होली खेली जाती है।
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FAQs
हरिण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था की वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हरिण्यकश्यप ने आदेश दिया की होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई , पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।
जो कीटाणुओं को प्रसार करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। ऐसे में रंगों का प्रयोग रोग फैलाने वाले कीटाणुओं के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। दूसरी ओर रंग लगने पर शरीर की सफाई अच्छे से हो पाती है जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
भूमिका : होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। … हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं।
होली का उत्सव होलिका दहन अनुष्ठान के साथ शुरू होता है जो कि होलिका, दुष्ट दानव, और उस अग्नि से भगवान विष्णु द्वारा प्रह्लाद की रक्षा के सम्मान में मनाया जाता है। लोग लकड़ी इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर गीत गाकर खुशियां मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
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आशा है कि आपको Why We Celebrate Holi in Hindi 2024 की जानकारी मिली होगी जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का काम करेगी। इसी प्रकार के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स पर ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।