Nagarjun Ka Jivan Parichay: प्रगतिशील जनकवि नागार्जुन आधुनिक हिंदी साहित्य के विख्यात रचनाकार माने जाते हैं। बता दें कि उनका मूल नाम ‘वैधनाथ मिश्र’ था लेकिन साहित्य जगत में वह ‘नागार्जुन’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित नागार्जुन ने हिंदी, मैथली और संस्कृत में अनुपम काव्य रचना के अलावा उपन्यास, कहानी और निबंध विधा में भी साहित्य का सृजन किया हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया इनमें दीपक (मासिक) व ‘विश्वबंधु’ (साप्ताहिक) के नाम लिए जा सकते हैं। वहीं राजनीतिक कार्यकलापों के कारण उन्हें कई बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी। नागार्जुन की कई रचनाएँ जिनमें ‘बादलों को घिरते देखा है’, ‘यह दंतुरित मुस्कान’, ‘अकाल और उसके बाद’, ‘बहुत दिनों के बाद’, ‘कालिदास’, ‘हरिजन-गाथा’, ‘गुलाबी चूड़ियाँ’ (कविता) व ‘रतिनाथ की चाची’, ‘बाबा बटेसरनाथ’, ‘बलचनमा’ (उपन्यास) आदि को विद्यालय के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं।
इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी नागार्जुन का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी के विख्यात गद्यकार और कवि नागार्जुन का जीवन परिचय (Nagarjun Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मूल नाम | वैधनाथ मिश्र |
उपनाम | नागार्जुन, यात्री |
जन्म | वर्ष 1911 (एक अनुमान के अनुसार) |
जन्म स्थान | सतलखा गाँव, दरभंगा जिला, बिहार |
शिक्षा | बनारस, कलकत्ता |
पत्नी का नाम | अपराजिता |
पेशा | कवि, लेखक, पत्रकार |
भाषा | हिंदी, मैथली, संस्कृत, बांग्ला |
साहित्य काल | छायावादोत्तर काल |
विधाएँ | कविता, उपन्यास, कहानी, निबंध |
काव्य-संग्रह | ‘युगधारा’, ‘सतरगें पंखों वाली’, ‘रत्न-गर्भ’, ‘आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने’ आदि। |
कहानी-संग्रह | आसमान में चंदा तेरे |
उपन्यास | ‘रतिनाथ की चाची’, ‘बलचनमा’, ‘वरुण के बेटे’, ‘बाबा बटेसर नाथ’ आदि। |
निबंध | ‘अन्नहीनम’ और ‘क्रियाहीनम’ |
पुरस्कार एवं सम्मान | ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘भारत-भारती पुरस्कार’, ‘राजेंद्र प्रसाद पुरस्कार’, ‘शिखर सम्मान’ |
निधन | वर्ष 1998 |
This Blog Includes:
- बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था जन्म – Nagarjun Ka Jivan Parichay
- बनारस और कलकत्ता में किया अध्ययन
- घुमंतू रहा जीवन
- राजनीति में भी रहे सक्रिय
- नागार्जुन की साहित्यिक रचनाएँ
- नागार्जुन की भाषा शैली – Nagarjun Ki Bhasha Shaili
- पुरस्कार एवं सम्मान
- निधन
- पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
- FAQs
बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था जन्म – Nagarjun Ka Jivan Parichay
साहित्य जगत में ‘बाबा’ नाम से पुकारे जाने वाले प्रसिद्ध जनकवि नागार्जुन के जन्म की तिथि के बारे में कोई ठोस प्रमाणिक जानकारी प्राप्त नहीं होती। किंतु माना जाता है कि उनका जन्म (Nagarjun Ka Janm Kab Aur Kahan Hua Tha) बिहार के दरभंगा जिले के सतलखा गांव में वर्ष 1911 को हुआ था। नागार्जुन का मूल नाम ‘श्री वैधनाथ मिश्र’ था किंतु साहित्य जगत में वह अपने उपनाम ‘नागार्जुन’ से जाने गए। वहीं अल्प आयु में ही उनकी माता का निधन हो गया था। नागार्जुन का शुरूआती जीवन अपने गांव में ही बीता।
बनारस और कलकत्ता में किया अध्ययन
नागार्जुन की प्रारंभिक शिक्षा गांव की ही संस्कृत पाठशाला में हुई। इसके बाद उन्होंने बनारस और कोलकाता से आगे की शिक्षा हासिल की। बता दें कि बनारस में रहते हुए उन्होंने अवधी, ब्रज और खड़ी बोली का अध्ययन किया। इस बीच ही उनका साहित्य में पर्दापण हो चुका था।
बता दें कि सर्वप्रथम नागार्जुन ने मैथिली में ‘वैदेंह’ उपनाम से लिखना शुरू कर दिया था। वर्ष 1930 में उनकी मैथिली भाषा में लिखी पहली कविता छपी। वहीं इस दौरान ही उनका ‘सुश्री अपराजिता’ से विवाह हो गया था।
घुमंतू रहा जीवन
नागार्जुन को बचपन से ही घूमने-फिरने का बहुत शौक था। यहीं कारण था कि उन्होंने अनेक बार संपूर्ण भारत की यात्रा की। वहीं साहित्य सृजन के साथ साथ उन्होंने वर्ष 1935 में ‘दीपक’ (मासिक) तथा 1942-43 में ‘विश्वबंधु’ (साप्ताहिक) पत्रिका का संपादन किया। क्या आप जानते हैं कि नागार्जुन अपनी मातृभाषा मैथिली में ‘यात्री’ नाम से रचना किया करते थे। इसके अलावा उन्होंने संस्कृत और बांग्ला में भी काव्य रचनाएँ की हैं।
वर्ष 1936 देशाटन के लिए वह श्रीलंका भी गए यहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म में शिक्षा-दीक्षा ली और बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन किया। आपको बता दें कि ‘नागार्जुन’ नाम भी उन्होंने यही धारण किया था।
राजनीति में भी रहे सक्रिय
वर्ष 1938 में भारत आने के बाद उन्होंने किसान आंदोलन में भाग लिया और राजनीतिक कार्यकलापों के कारण कई बार जेल भी जाना पड़ा। इस बीच उन्होंने मैथिली में आठ-आठ पृष्ठों की छोटी कविता पुस्तक लिखकर ट्रेन में बेचना शुरू की। वहीं इस समय भी उनका घूमना फिरना जारी रहा। वह कुछ समय तक ‘कम्युनिस्ट पार्टी’ से भी जुड़े रहे किंतु वर्ष 1962 में चीनी आक्रमण के बाद अपनी सदस्यता छोड़ दी।
नागार्जुन की साहित्यिक रचनाएँ
समादृत रचनाकार नागार्जुन की रचनाओं में लोकजीवन, प्रकृति व समकालीन राजनीति का संजीव चित्रण देखने को मिलता हैं। वहीं आधुनिक साहित्य के ‘छायावादोत्तर काल’ में नागार्जुन एकमात्र ऐसे कवि हैं, जिनकी कविताएँ गाँव की चौपाल से लेकर विद्वानों की बैठकों में समान रूप से लोकप्रिय रही।
नागार्जुन (Nagarjun Poet Biography in Hindi) ने छायावादोत्तर काल में कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया हैं। यहाँ नागार्जुन की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं (Nagarjun Books) के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
काव्य-संग्रह
काव्य-संग्रह | भाषा | प्रकाशन |
बूढ़वार | मैथिली | वर्ष 1941 |
विलाप | मैथिली | वर्ष 1941 |
शपथ | हिंदी | वर्ष 1948 |
चित्रा | मैथिली | वर्ष 1949 |
चना जोर गर्म | हिंदी | वर्ष 1952 |
युगधारा | हिंदी | वर्ष 1953 |
खून और शोले | हिंदी | वर्ष 1955 |
प्रेत का बयान | हिंदी | वर्ष 1957 |
सतरंगे पंखों वाली | हिंदी | वर्ष 1957 |
प्यारी पथराई आँखें | हिंदी | वर्ष 1962 |
पत्रहीन नगन गाछ | मैथिली | वर्ष 1967 |
अब तो बंद करो हे देवी | हिंदी | वर्ष 1971 |
तालाब की मछलियाँ | हिंदी | वर्ष 1974 |
चंदना | हिंदी | वर्ष 1976 |
तुमने कहा था | हिंदी | वर्ष 1980 |
हजार-हजार बाहों वाली | हिंदी | वर्ष 1981 |
पुरानी जूतियों का कोरस | हिंदी | वर्ष 1983 |
रत्न गर्भ | हिंदी | वर्ष 1984 |
ऐसे भी हम क्या, ऐसे भी तुम क्या | हिंदी | वर्ष 1985 |
आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने | हिंदी | वर्ष 1986 |
उपन्यास
- रतिनाथ की चाची
- बलचनमा
- वरुण के बेटे
- बाबा बटेसर नाथ
- दुखमोचन
- इमरितिया
- उग्रतारा
- जमनिया के बाबा
- कुंभीपाक
- अभिनंदन
- नई पौध
- पारो – (हिंदी और मैथिली भाषा दोनों में)
कहानी-संग्रह
- आसमान में चंदा तेरे – वर्ष 1982
निबंध-संग्रह
- अन्नहीनम
- क्रियाहीनम
अनुवाद
- मेघदूत
- गीत गोविंद
- विद्यापति की पदावली
यह भी पढ़ें – नागार्जुन की कविताएं
नागार्जुन की भाषा शैली – Nagarjun Ki Bhasha Shaili
नागार्जुन की कविताओं की संरचना और शिल्प बहुत वैविध्यपूर्ण है। वे अपनी कविताओं में और कभी-कभी एक ही कविता में बहुत से छंदों और कई शैलियों का इस्तेमाल किया करते थे जिससे यह जानना कठिन हो जाता है कि उनके शिल्प की केंद्रीय प्रकृति कौनसी है। उन्होंने छंदों और मुक्त छंद दोनों में काव्य रचना की है। वहीं व्यंग्य की तेज धार उनकी राजनीतिक कविताओं के शिल्प की प्रमुख विशेषता है। वे व्यंग्य में माहिर थे, इसलिए उन्हें आधुनिक कबीर भी कहा जाता है। बता दें कि प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह नागार्जुन के व्यंग्य को देखकर उन्हें कबीर के बाद हिंदी का सबसे बड़ा व्यंग्यकार मानते हैं।
पुरस्कार एवं सम्मान
नागार्जुन (Nagarjun Ka Jivan Parichay) को हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने और उसे समृद्ध करने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ – ‘पत्रहीन नगन गाछ’ (मैथिली काव्य-संग्रह) के लिए उन्हें पुरस्कृत किया गया।
- ‘भारत भारती पुरस्कार’ – उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सम्मानित
- ‘मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार’ – मध्य प्रदेश शासन द्वारा सम्मानित
- ‘राजेंद्र प्रसाद पुरस्कार’ – बिहार सरकार द्वारा सम्मानित
- ‘शिखर सम्मान’ – हिंदी अकादमी, दिल्ली
निधन
आधुनिक हिंदी साहित्य को अपनी श्रेष्ठ रचनाओं से समृद्ध करने वाले नागार्जुन का वर्ष 1988 में निधन हो गया। किंतु ‘आधुनिक कबीर’ कहे जाने वाले नागार्जुन अपनी कालजयी रचनाओं के लिए साहित्य जगत में हमेशा याद किए जाते हैं।
पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय
यहाँ हिंदी के विख्यात गद्यकार और कवि नागार्जुन का जीवन परिचय (Nagarjun Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
FAQs
माना जाता है कि नागार्जुन का जन्म बिहार के दरभंगा जिले के सतलखा गांव में वर्ष 1911 को हुआ था।
नागार्जुन आधुनिक हिंदी साहित्य में ‘छायावादोत्तर काल’ के रचनाकार थे।
बता दें कि नागार्जुन को उनके मैथिली काव्य-संग्रह ‘पत्रहीन नगन गाछ’ के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
नागार्जुन की पत्नी का नाम ‘अपराजिता’ था।
वर्ष 1988 में नागार्जुन का निधन हुआ था।
रतिनाथ की चाची, बलचनमा, नई पौध, बाबा बटेसरनाथ, वरुण के बेटे और दुःखमोचन नागार्जुन की प्रमुख रचनाएं हैं।
नागार्जुन का मूल नाम ‘श्री वैधनाथ मिश्र’ था।
अकाल और उसके बाद, बादल को घिरते देखा, कालिदास, बहुत दिनों के बाद, हरिजन-गाथा, तीनों बंदर बापू के, प्रतिहिंसा ही स्थायी भाव है और उनको प्रणाम! नागार्जुन की प्रसिद्ध कविताएं हैं।
आशा है कि आपको हिंदी के विख्यात गद्यकार और कवि नागार्जुन का जीवन परिचय (Nagarjun Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।