प्रगतिशील जनकवि नागार्जुन आधुनिक हिंदी साहित्य के विख्यात रचनाकार माने जाते हैं। उनका मूल नाम ‘वैद्यनाथ मिश्र’ था, किंतु साहित्य जगत में वे ‘नागार्जुन’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित नागार्जुन ने हिंदी, मैथिली और संस्कृत में उत्कृष्ट काव्य रचना के साथ-साथ उपन्यास, कहानी और निबंध जैसी विधाओं में भी उल्लेखनीय साहित्य सृजन किया है। इसके साथ ही उन्होंने कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया, जिनमें ‘दीपक’ (मासिक) और ‘विश्वबंधु’ (साप्ताहिक) के नाम उल्लेखनीय हैं। इस लेख में नागार्जुन का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
| मूल नाम | वैधनाथ मिश्र |
| उपनाम | नागार्जुन, यात्री |
| जन्म | वर्ष 1911 (एक अनुमान के अनुसार) |
| जन्म स्थान | सतलखा गाँव, दरभंगा जिला, बिहार |
| शिक्षा | बनारस, कलकत्ता |
| पत्नी का नाम | अपराजिता |
| पेशा | कवि, लेखक, पत्रकार |
| भाषा | हिंदी, मैथली, संस्कृत, बांग्ला |
| साहित्य काल | छायावादोत्तर काल |
| विधाएँ | कविता, उपन्यास, कहानी, निबंध |
| काव्य-संग्रह | ‘युगधारा’, ‘सतरगें पंखों वाली’, ‘रत्न-गर्भ’, ‘आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने’ आदि। |
| कहानी-संग्रह | आसमान में चंदा तेरे |
| उपन्यास | ‘रतिनाथ की चाची’, ‘बलचनमा’, ‘वरुण के बेटे’, ‘बाबा बटेसर नाथ’ आदि। |
| निबंध | ‘अन्नहीनम’ और ‘क्रियाहीनम’ |
| पुरस्कार एवं सम्मान | ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘भारत-भारती पुरस्कार’, ‘राजेंद्र प्रसाद पुरस्कार’, ‘शिखर सम्मान’ |
| निधन | वर्ष 1998 |
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बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था जन्म
साहित्य जगत में ‘बाबा’ नाम से प्रसिद्ध जनकवि नागार्जुन के जन्म की तिथि के बारे में कोई ठोस प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। किंतु माना जाता है कि उनका जन्म बिहार के दरभंगा जिले के सतलखा गाँव में वर्ष 1911 को हुआ था। नागार्जुन का मूल नाम ‘श्री वैधनाथ मिश्र’ था, किंतु साहित्य जगत में वे अपने उपनाम ‘नागार्जुन’ से विख्यात हुए। वहीं, अल्पायु में ही उनकी माता का निधन हो गया था। नागार्जुन का प्रारंभिक जीवन अपने गाँव में ही बीता।
बनारस और कलकत्ता में किया अध्ययन
नागार्जुन की प्रारंभिक शिक्षा गाँव की ही संस्कृत पाठशाला में हुई। इसके बाद उन्होंने बनारस और कोलकाता से उच्च शिक्षा हासिल की। बनारस में रहते हुए उन्होंने अवधी, ब्रज और खड़ी बोली का अध्ययन किया। इस बीच ही उनका साहित्य में पदार्पण हो चुका था।
सर्वप्रथम नागार्जुन ने मैथिली में ‘वैदेंह’ उपनाम से लेखन शुरू किया था। वर्ष 1930 में उनकी मैथिली भाषा में लिखी पहली कविता प्रकाशित हुई। इसी दौरान उनका विवाह ‘सुश्री अपराजिता’ से हो गया था।
घुमंतू रहा जीवन
नागार्जुन को बचपन से ही घूमने-फिरने का बहुत शौक था। यही कारण था कि उन्होंने अनेक बार संपूर्ण भारत की यात्रा की। साहित्य सृजन के साथ-साथ उन्होंने वर्ष 1935 में ‘दीपक’ (मासिक) और 1942-43 में ‘विश्वबंधु’ (साप्ताहिक) पत्रिका का संपादन भी किया। वे अपनी मातृभाषा मैथिली में ‘यात्री’ नाम से रचना किया करते थे। इसके अलावा उन्होंने संस्कृत और बंगला में भी काव्य रचनाएँ की हैं।
वर्ष 1936 में देशाटन के लिए वे श्रीलंका भी गए। वहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म की शिक्षा-दीक्षा ली और बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन किया। आपको बता दें कि ‘नागार्जुन’ नाम भी उन्होंने यहीं धारण किया था।
राजनीति में भी रहे सक्रिय
वर्ष 1938 में भारत आने के बाद उन्होंने किसान आंदोलन में भाग लिया और राजनीतिक गतिविधियों के कारण कई बार जेल भी जाना पड़ा। इस बीच उन्होंने मैथिली में आठ-आठ पृष्ठों की छोटी कविता पुस्तक लिखकर ट्रेन में बेचना शुरू की। इस समय भी उनका घूमना-फिरना जारी रहा। वह कुछ समय तक ‘कम्युनिस्ट पार्टी’ से भी जुड़े रहे, किंतु वर्ष 1962 में चीनी आक्रमण के बाद अपनी सदस्यता छोड़ दी।
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नागार्जुन की प्रमुख साहित्यिक रचनाएँ
समादृत रचनाकार नागार्जुन की रचनाओं में लोकजीवन, प्रकृति और समकालीन राजनीति का संजीव चित्रण देखने को मिलता है। वहीं आधुनिक साहित्य के ‘छायावादोत्तर काल’ में नागार्जुन एकमात्र ऐसे कवि हैं, जिनकी कविताएँ गाँव की चौपाल से लेकर विद्वानों की बैठकों तक समान रूप से लोकप्रिय रही हैं। उन्होंने छायावादोत्तर काल में कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन किया है। नीचे उनकी प्रमुख साहित्यिक कृतियों की सूची दी गई है:-
काव्य-संग्रह
| काव्य-संग्रह | भाषा | प्रकाशन |
| बूढ़वार | मैथिली | वर्ष 1941 |
| विलाप | मैथिली | वर्ष 1941 |
| शपथ | हिंदी | वर्ष 1948 |
| चित्रा | मैथिली | वर्ष 1949 |
| चना जोर गर्म | हिंदी | वर्ष 1952 |
| युगधारा | हिंदी | वर्ष 1953 |
| खून और शोले | हिंदी | वर्ष 1955 |
| प्रेत का बयान | हिंदी | वर्ष 1957 |
| सतरंगे पंखों वाली | हिंदी | वर्ष 1957 |
| प्यारी पथराई आँखें | हिंदी | वर्ष 1962 |
| पत्रहीन नगन गाछ | मैथिली | वर्ष 1967 |
| अब तो बंद करो हे देवी | हिंदी | वर्ष 1971 |
| तालाब की मछलियाँ | हिंदी | वर्ष 1974 |
| चंदना | हिंदी | वर्ष 1976 |
| तुमने कहा था | हिंदी | वर्ष 1980 |
| हजार-हजार बाहों वाली | हिंदी | वर्ष 1981 |
| पुरानी जूतियों का कोरस | हिंदी | वर्ष 1983 |
| रत्न गर्भ | हिंदी | वर्ष 1984 |
| ऐसे भी हम क्या, ऐसे भी तुम क्या | हिंदी | वर्ष 1985 |
| आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने | हिंदी | वर्ष 1986 |
उपन्यास
- रतिनाथ की चाची
- बलचनमा
- वरुण के बेटे
- बाबा बटेसर नाथ
- दुखमोचन
- इमरितिया
- उग्रतारा
- जमनिया के बाबा
- कुंभीपाक
- अभिनंदन
- नई पौध
- पारो – (हिंदी और मैथिली भाषा दोनों में)
कहानी-संग्रह
- आसमान में चंदा तेरे – वर्ष 1982
निबंध-संग्रह
- अन्नहीनम
- क्रियाहीनम
अनुवाद
- मेघदूत
- गीत गोविंद
- विद्यापति की पदावली
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नागार्जुन की भाषा शैली
नागार्जुन की कविताओं की संरचना और शिल्प अत्यंत वैविध्यपूर्ण हैं। वे अपनी कविताओं में और कभी-कभी एक ही कविता में कई छंदों और शैलियों का प्रयोग करते थे, जिससे यह निर्धारित करना कठिन हो जाता है कि उनके शिल्प की केंद्रीय विशेषता क्या है। उन्होंने छंदबद्ध और मुक्तछंद दोनों ही रूपों में कविताएँ रची हैं।
उनकी राजनीतिक कविताओं की प्रमुख विशेषता तीखा व्यंग्य है। व्यंग्य में पारंगत होने के कारण उन्हें ‘आधुनिक कबीर’ भी कहा गया है। प्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह ने उनके व्यंग्य को देखकर उन्हें ‘कबीर‘ के बाद हिंदी का सबसे बड़ा व्यंग्यकार’ माना है।
नागार्जुन को मिले पुरस्कार एवं सम्मान
नागार्जुन को हिंदी साहित्य में उनके विशिष्ट योगदान और उसे समृद्ध करने के लिए विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है, जो निम्नलिखित हैं:-
- ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ – ‘पत्रहीन नगन गाछ’ (मैथिली काव्य-संग्रह) के लिए उन्हें पुरस्कृत किया गया।
- ‘भारत भारती पुरस्कार’ – उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सम्मानित
- ‘मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार’ – मध्य प्रदेश शासन द्वारा सम्मानित
- ‘राजेंद्र प्रसाद पुरस्कार’ – बिहार सरकार द्वारा सम्मानित
- ‘शिखर सम्मान’ – हिंदी अकादमी, दिल्ली
नागार्जुन का निधन
आधुनिक हिंदी साहित्य को अपनी श्रेष्ठ रचनाओं से समृद्ध करने वाले नागार्जुन का निधन वर्ष 1988 में हुआ। किंतु ‘आधुनिक कबीर’ कहे जाने वाले नागार्जुन अपनी कालजयी रचनाओं के लिए साहित्य जगत में सदैव स्मरण किए जाते हैं।
FAQs
माना जाता है कि नागार्जुन का जन्म बिहार के दरभंगा जिले के सतलखा गांव में वर्ष 1911 को हुआ था।
नागार्जुन को उनके मैथिली काव्य-संग्रह ‘पत्रहीन नगन गाछ’ के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
रतिनाथ की चाची, बलचनमा, नई पौध, बाबा बटेसरनाथ, वरुण के बेटे और दुःखमोचन नागार्जुन की प्रमुख रचनाएं हैं।
अकाल और उसके बाद, बादल को घिरते देखा, कालिदास, बहुत दिनों के बाद, हरिजन-गाथा, तीनों बंदर बापू के, प्रतिहिंसा ही स्थायी भाव है और उनको प्रणाम! नागार्जुन की प्रसिद्ध कविताएं हैं।
आशा है कि आपको हिंदी के विख्यात गद्यकार और कवि नागार्जुन का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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