चुनाव आयोग के लिए दो नए चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए हैं। 14 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त के रूप में चुना। दोनों अलग-अलग समय में IAS से रिटायर्ड हुए हैं। आपको बता दें कि चुनाव आयोग के दोनों आयुक्त के पद पहले अनूप चंद्र पांडेय के फरवरी में रिटायरमेंट और फिर हाल ही में अरुण गोयल के इस्तीफे से खाली हुए थे। भारत में चुनाव और चुनाव आयोग विषय UPSC प्री और मेंस एग्जाम के अलावा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए इस ब्लाॅग में हम भारत के प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त कौन थे और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है? के बारे में भी जानेंगे।
चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू के बारे में
सुखबीर सिंह संधू 1998 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी थे। उन्होंने उत्तराखंड के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया। जब पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने तो उन्हें मुख्य सचिव नियुक्त किया गया। संधू ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव के रूप में भी कार्य किया।
ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल-कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने अमित शाह के नेतृत्व वाले सहयोग मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्य किया। इससे पहले उन्होंने संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्य किया था।
भारत के प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त कौन थे?
भारतीय सिविल सेवक सुकुमार सेन भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त थे। मार्च 1950 में उनकी नियुक्ति के एक महीने बाद संसद में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम पारित किया गया, जिसने चुनावों के लिए रूपरेखा दी और इसमें मुख्य रूप से मतदाता सूची शामिल है। एक साल बाद, चुनाव के संचालन के बारे में शेष सभी मामलों से निपटने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 पारित किया गया।
सुकुमार सेन के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने 1951-52 और 1957 में स्वतंत्र भारत के पहले दो आम चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराए। उन्होंने सूडान में पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में भी कार्य किया था।
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है?
चुनाव आयुक्त भारतीय सिविल सेवा के सदस्य होते हैं और यह भारतीय प्रशासनिक सेवा से चुने जाते हैं। भारतीय संविधान के आर्टिकल-324(2) के अंतर्गत इंडिया के प्रेसीडेंट को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को नियुक्त करने की शक्तियां दी गई हैं। राज्य में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
हालांकि 21 दिसंबर 2023 को लोकसभा ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को विनियमित करने के लिए एक विधेयक पारित किया था। उस दौरान कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि यह कानून उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद लाया गया है। 28 दिसंबर 2023 को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक 2023 को मंजूरी मिलने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त को राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर नियुक्त किया जाएगा।
कैंडिडेट्स को बता दें कि इस कमेटी में अब प्राइम मिनिस्टर, विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।
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वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त कौन है?
वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं। उन्होंने 12 मई 2022 को भारत के चुनाव आयोग, निर्वाचन सदन, नई दिल्ली में भारत के 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था। बता दें कि राजीव कुमार 1 सितंबर 2020 से ECI में चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यरत थे और चुनाव आयुक्त के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान 2020 में बिहार, असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल की राज्य विधानसभाओं के लिए कोविड चिंताओं के बीच चुनाव हुए थे।
मुख्य चुनाव आयुक्त क्या करता है?
मुख्य चुनाव आयुक्त के कार्यों के बारे में यहां बताया जा रहा हैः
- मुख्य चुनाव आयुक्त को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव ड्यूटी के दौरान किसी के प्रति कोई भेदभाव या पक्षपात न हो।
- यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव पूरी पारदर्शिता के तहत हों।
- मुख्य चुनाव आयुक्त को यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव के संचालन के दौरान उनकी चुनाव ड्यूटी में कोई हेराफेरी या पक्षपात न हो।
- मुख्य चुनाव आयुक्त को सभी पात्र मतदाताओं की एक सूची प्रस्तुत करनी होगी।
- चुनाव या राजनीतिक दल का हिस्सा बनने के लिए उम्मीदवार के नामांकन की निगरानी करनी चाहिए।
- राजनीतिक दलों का पंजीकरण भी देखना होगा।
- चुनाव ड्यूटी के दौरान चुनाव अभियान की निगरानी करना।
- चुनाव और प्रक्रिया को पूरी तरह से कवर करने में मीडिया की मदद करना।
- वोटों की गिनती पर नजर रखना
- चुनाव के नतीजों की घोषणा।
चुनाव आयुक्त का कार्यकाल कितना होता है?
मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त इसके वर्तमान सदस्य हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी और एक आईएएस रैंक का अधिकारी, राज्य स्तरीय चुनाव आयोग की सहायता करता है। इनके पास छह साल का निश्चित कार्यकाल है या जब तक वे 65 वर्ष की आयु तक नहीं पहुंच जाते। हालांकि वे कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं या उन्हें उनके कार्यकाल के खत्म होने से पहल भी हटाया जा सकता है।
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FAQs
भारत के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे।
चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया आसान नहीं है। हालांकि दुर्व्यवहार या काम करने में असमर्थता के आधार पर उन्हें हटाया जा सकता है। इसके लिए भी एक प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों, यानी लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है।
मुख्य चुनाव आयुक्त भारत के चुनाव आयोग का प्रमुख होता है।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको भारत के प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त कौन थे और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है? के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।