कब और क्यों मनाया जाता है आयुर्वेद दिवस? जानें इतिहास और महत्व

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हर साल धन्वंतरि जयंती के दिन, यानी धनतेरस के अवसर पर मनाए जाने वाला आयुर्वेद दिवस हमारे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की महत्ता को बढ़ावा देने का एक विशेष अवसर है। यह दिन न केवल आयुर्वेद के योगदान को पहचानने का मौका है, बल्कि हमारे समाज में इसके लाभों को फैलाने का भी प्रयास है। इस दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य आधुनिक युग में आयुर्वेद के महत्व को पुनर्जीवित करना और लोगों को इसे अपने जीवनशैली में अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इस दिवस को और ख़ास बनाने के लिए हजार वर्ष एक निर्धारित थीम के साथ इसे मनाया जाता है, 2024 में Ayurved Diwas Theme 2024 ‘वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार’ निर्धारित की गयी है। इस दिवस के बारे में अधिक जानने के लिए यह ब्लॉग पूरा पढ़ें। 

कब और क्यों मनाया जाता है यह दिवस?

राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हर साल धनतेरस के दिन मनाया जाता है। यह दिन भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है, जो आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता माने जाते हैं। इस दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2016 में हुई थी। इस वर्ष यानी 2024 में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेदिक चिकित्सा के महत्व को बढ़ावा देना और लोगों को इसके लाभों के बारे में जगरूक करना है। इसके साथ ही इस दिवस के माधयम से लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना भी है।

आयुर्वेद क्या है – Ayurved Kya Hai?

आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है, जिसका अर्थ है “जीवन का विज्ञान” (आयु + वेद)। यह चिकित्सा लोगों के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित करती है। यह न केवल रोगों का उपचार करती है बल्कि जीवन के हर पहलू में स्वास्थ्य को बनाये रखने में जोर देती है।

आयुर्वेद दिवस थीम 2024 क्या है – Ayurved Diwas Theme 2024

हर साल राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। ऐसे में आपको बता दें कि आयुर्वेद दिवस थीम 2024 की घोषणा हाल ही में आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव द्वारा की गयी है। आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने 9वें आयुर्वेद दिवस की थीम (Ayurved Diwas Theme 2024) ‘वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार’ निर्धारित की है। वहीं पिछले वर्ष यानी 2023 में इस दिवस की थीम ‘एक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद’ निर्धारित की गई थी। 

आयुर्वेद दिवस का इतिहास क्या है?

आपको बता दें कि आयुर्वेद दिवस की शुरुआत 2016 में भारत सरकार द्वारा की गई थी। राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हर वर्ष धनतेरस या धन्वंतरि जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, भगवान धन्वंतरि जो आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता माने जाते हैं, का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था, तब वे अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण दिवाली से दो दिन पहले उनके जन्मदिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में भारत सरकार ने उनके याद में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया। 2016 से यह दिवस हर साल पूरे देशभर में मनाया जाता है।

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आयुर्वेद दिवस का महत्व क्या है?

आयुर्वेद दिवस का महत्व आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देना और इसके प्रति जागरूकता फैलाना है। यह दिवस आयुर्वेद के ज्ञान और इसके लाभों को आम जनता तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इस दिन लोगों को यह भी बताता है कि प्राचीन चिकित्सा पद्धति से न केवल शारीरिक बीमारियों का इलाज होता है, बल्कि यह मानसिक संतुलन को भी ठीक करता है। यह दिवस लोगों को स्वस्थ आदतें अपनाने, आयुर्वेदिक आहार और दिनचर्या के सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा यह दिवस हमें प्राकृतिक संसाधनों के महत्व और उनके सही उपयोग के बारे में जागरूक करता है।

कैसे मनाया जाता है आयुर्वेद दिवस?

राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस को आप निम्नलिखित तरीकों से मना सकते हैं : 

  • आयुर्वेद दिवस पर भगवान धन्वंतरि, जिन्हें चिकित्सा का देवता माना जाता है, की पूजा- अर्चना की जाती है।
  • इस दिन पूरे भारत में आयुर्वेद से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 
  • इसके साथ ही देशभर में विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है, जिनमें आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भाग लेते हैं और इसके विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा करते हैं।
  • इस अवसर पर कई स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं, जहां लोग आयुर्वेदिक चिकित्सकों से मुफ्त में परामर्श कर सकते हैं।
  • इसके अलावा इस दिन आयुर्वेदिक दवाओं, हर्बल उत्पादों, और प्राकृतिक स्वास्थ्य साधनों का प्रचार-प्रसार किया जाता है।
  • सोशल मीडिया पर आयुर्वेद के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न अभियान चलाये जाते हैं। 

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आयुर्वेद से जुड़े रोचक तथ्य 

आयुर्वेद से जुड़े रोचक तथ्य निम्नलिखित है : 

  • आयुर्वेद शब्द दो शब्दों आयु (जीवन) और वेद (ज्ञान) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ “जीवन का विज्ञान” है।
  • आयुर्वेद की उत्पत्ति लगभग 5000 साल पहले भारत में हुई थी। 
  • आयुर्वेद का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ चरक संहिता है, जो लगभग 2000 साल पुराना है।
  • आयुर्वेद का अभ्यास करने वाले चिकित्सकों को वैद्य या वैद्यराज कहा जाता है।
  • भारत के साथ साथ श्रीलंका में भी आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक इतिहास रहा है। 

FAQs

राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस की शुरुआत किसने की?

राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस की शुरुआत भारत सरकार के आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) द्वारा की गई थी। इस दिवस को पहली बार 28 अक्टूबर 2016 को मनाया गया था। 

प्रथम राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस समारोह का विषय क्या था?

भारत में मनाए गए पहले राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस का विषय था, ‘मधुमेह की रोकथाम और नियंत्रण के लिए आयुर्वेद’। 

राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस 2024 की थीम क्या है?

राष्ट्रीय आयुर्वेदिक दिवस 2024 की थीम की घोषणा हाल ही में आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव द्वारा की गयी है। आपको बता दें कि आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने 9वें आयुर्वेद दिवस की थीम ‘वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार’ निर्धारित की है। 

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