Sansad Satra in Hindi : संसद सत्र (Parliament Session) भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जहां निर्वाचित प्रतिनिधि विचार-विमर्श करने, कानून बनाने और राष्ट्रीय हित के महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए एकत्रित होते हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक के रूप में भारत की संसद अपने लोगों की आवाज़ को दर्शाती है और शासन के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करती है। संसद सत्र से जुड़े प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और इंटरव्यू में पूछे जाते हैं। यह विषय UPSC में प्री और मेंस एग्जाम के अलावा इंटरव्यू के लिए भी महत्वपूर्ण है, इसलिए इस ब्लाॅग में संसद सत्र (Sansad Satra in Hindi) और इसका कार्य के बारे में जानेंगे, जिसे आप अपनी तैयारी में जोड़ सकते हैं।
Sansad Satra in Hindi | मुख्य बिंदु (Parliamentary session in Hindi) |
संसद सत्र का अर्थ | भारतीय संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की निर्धारित बैठकें। |
सत्र召ता किसके द्वारा | राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर। |
प्रमुख सत्र | 1. बजट सत्र2. मानसून सत्र3. शीतकालीन सत्र |
बजट सत्र | समय: फरवरी से मई, मुख्य कार्य: केंद्रीय बजट का पेश और चर्चा। |
मानसून सत्र | समय: जुलाई से सितंबर, मुख्य कार्य: विधायी कार्य और सरकारी समीक्षा। |
शीतकालीन सत्र | समय: नवंबर से दिसंबर, मुख्य कार्य: तात्कालिक मुद्दों पर चर्चा। |
प्रमुख गतिविधियां | प्रश्नकाल, शून्यकाल, विधेयकों पर चर्चा और पारित। |
प्रश्नकाल | मंत्रीगण से नीति व प्रशासनिक प्रश्न पूछे जाते हैं। |
शून्यकाल | सांसद बिना पूर्व सूचना के जरूरी मुद्दे उठाते हैं। |
महत्व | 1. विधायी प्रक्रिया2. सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना3. नीतिगत चर्चाएं। |
चुनौतियां | 1. व्यवधान और हंगामे2. समय की बर्बादी3. गहरी राजनीतिक ध्रुवता। |
सुधारों के सुझाव | 1. निश्चित सत्र कैलेंडर2. उत्पादकता बढ़ाने के लिए कठोर नियम3. डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग। |
लोकतंत्र में भूमिका | जनता की आवाज़ उठाने और देश की नीतियों का मार्गदर्शन करने का मंच। |
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संसद सत्र (Sansad Satra in Hindi) के बारे में
भारत में संसद का सत्र (Sansad Satra in Hindi) सरकार द्वारा बुलाया जाता है। भारत में कोई निश्चित संसदीय कैलेंडर नहीं है। संसद की बैठक 1 वर्ष में 3 सत्रों के लिए होती है। राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को बुलाता है। संसद के दो सत्रों के बीच 6 महीने से अधिक का अंतराल नहीं हो सकता, जिसका अर्थ है कि संसद की बैठक 1 वर्ष में कम से कम 2 बार होती है।
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संसद सत्र कितने प्रकार का होता है?
संसद के सभी सदस्यों को बैठक के लिए बुलाने की प्रक्रिया को संसद का आह्वान कहा जाता है। यह राष्ट्रपति ही है जो संसद को बुलाता है। संसद सत्र (Parliamentary session in Hindi) इस प्रकार हैं:
- बजट सत्र (फरवरी से मई)
- मानसून सत्र (जुलाई से सितंबर)
- शीतकालीन सत्र (नवंबर से दिसंबर)।
बजट सत्र
बजट सत्र आमतौर पर हर वर्ष फरवरी से मई तक आयोजित होता है। यह संसद का बेहद महत्वपूर्ण सत्र माना जाता है। बजट आमतौर पर फरवरी महीने के आखिरी कार्य दिवस पर पेश किया जाता है। यहां वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश करने के बाद सदस्य बजट के विभिन्न प्रावधानों और कराधान से संबंधित मामलों पर चर्चा करते हैं। बजट सत्र आम तौर पर दो अवधियों में विभाजित होता है और उनके बीच एक महीने का अंतर होता है।
मानसून सत्र
मानसून सत्र हर साल जुलाई से सितंबर में आयोजित किया जाता है। यह बजट सत्र के बाद दो महीने के ब्रेक के बाद है। इस सत्र में जनहित के मुद्दों पर चर्चा होती है।
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शीतकालीन सत्र
संसद का शीतकालीन सत्र हर साल नवंबर के मध्य से दिसंबर के मध्य में आयोजित किया जाता है। यह सभी सत्रों में सबसे छोटा सत्र है। यह उन मामलों को उठाता है जिन पर पहले विचार नहीं किया जा सका था।
संसद का विशेष सत्र क्या होता है?
संसद के विशेष सत्र के अलावा 44वें संशोधन अधिनियम के अनुच्छेद 352(8) के तहत लोकसभा का एक विशेष सत्र आयोजित किया जाता है। यदि लोकसभा के कम से कम 10वें सदस्य राष्ट्रपति (यदि लोकसभा सत्र में नहीं है) या अध्यक्ष को लिखते हैं, तो लोकसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जा सकता है (यदि लोकसभा सत्र में है)। इस सत्र के दौरान किसी अन्य कार्य पर विचार नहीं किया जाता है।
संसद के सत्र क्यों महत्वपूर्ण हैं?
संसद के सत्र (Sansad Satra in Hindi) काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जोकि यहां बताया जा रहा हैः
- भारत में लोकतंत्र होने पर उसकी गरिमा रखने के लिए
- निर्णय लेने में भागीदारी के विचार
- नागरिकों के हितों के लिए और जनता की बात रखने के लिए
- लोकतंत्र और यह संस्था में सबसे अच्छी तरह व्यक्त होता है
- भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक और संविधान की मान्यता दिखाने के लिए
- यह समझाने के लिए कि विधायक कौन है और कैसा है आदि।
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संसद के कितने सत्र होते हैं?
भारत में संसद के 3 सत्र होते हैं और इनमें कई तरह के मुद्दों को उठाया जाता है। संसद सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दे जनहित से जुड़े होते हैं और यहीं से देश के विकास की रूपरेखा तय होती है। बजट सत्र में देश में पेश होने वाले बजट को लेकर भी चीजें उठाई जाती हैं।
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संसद का संयुक्त सत्र क्या है?
भारत में संसद का संयुक्त सत्र (Joint Session) भारत के संविधान द्वारा प्रदान की गई एक अनूठी व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य संसद के दोनों सदनों-लोकसभा (लोकसभा) और राज्य सभा (राज्यों की परिषद) के बीच कुछ विधायी मामलों पर गतिरोध को हल करना है। यह संविधान के अनुच्छेद 108 के तहत आयोजित किया जाता है और भारत के संसदीय लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता का प्रतिनिधित्व करता है।
भारत के राष्ट्रपति संयुक्त अधिवेशन बुलाते हैं। लोकसभा के अध्यक्ष इसकी अध्यक्षता करते हैं। यदि अध्यक्ष अनुपस्थित हैं तो लोकसभा के उपाध्यक्ष अध्यक्षता करते हैं। यदि दोनों अनुपस्थित हैं तो राज्य सभा के उपसभापति अध्यक्षता करते हैं। स्वतंत्रता के बाद से, संयुक्त सत्र केवल तीन बार बुलाया गया है:
- 1961: दहेज निषेध विधेयक के लिए।
- 1978: बैंकिंग सेवा आयोग (निरसन) विधेयक के लिए।
- 2002: आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) के लिए।
भारत में संसदीय सत्र से आप क्या समझते हैं?
भारत में संसदीय सत्र उस आधिकारिक अवधि को संदर्भित करता है जिसके दौरान भारतीय संसद अपने विधायी, विचार-विमर्श और निरीक्षण कार्यों का संचालन करने के लिए बैठक करती है। ये सत्र निर्वाचित प्रतिनिधियों को शासन, नीति और कानून निर्माण के प्रमुख मामलों पर चर्चा, बहस और निर्णय लेने की अनुमति देकर देश के संसदीय लोकतंत्र के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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संसदीय सत्र की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
भारतीय संसद में दो सदन होते हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) राज्य सभा (राज्यों की परिषद) दोनों सदन संसदीय सत्रों में भाग लेते हैं, जिन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा बुलाया और स्थगित किया जाता है। सत्रों के प्रकार में बजट सत्र (फरवरी से मई), मानसून सत्र (जुलाई से सितंबर) और शीतकालीन सत्र (नवंबर से दिसंबर) शामिल हैं। इसके अलावा इसमें प्रश्नकाल, शून्यकाल, वाद-विवाद और चर्चा में राष्ट्रीय मुद्दों, नीतियों और विधानों पर गहन विचार-विमर्श और विधेयक पारित करना: नए कानूनों, संशोधनों या पुराने कानूनों को निरस्त करने के लिए विधायी स्वीकृति शामिल है।
FAQs
भारत में 1 वर्ष में 3 संसद के सत्र आयोजित किए जाते हैं।
संसद का सबसे बड़ा सत्र बजट सत्र माना जाता है।
संसद का सबसे छोटा सत्र शीतकालीन सत्र माना जाता है।
भारत का राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर संसद सत्र बुलाता है।
प्रश्नकाल: सांसद मंत्रियों से उनके विभागों और नीतियों के बारे में सवाल करते हैं।
शून्यकाल: बिना किसी पूर्व सूचना के अत्यावश्यक मामले उठाए जाते हैं।
वाद-विवाद: विधेयकों, नीतियों और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा।
विधान: विधेयकों का परिचय, चर्चा और पारित होना।
संविधान के अनुसार संसद के दो सत्रों के बीच का अंतराल छह महीने से अधिक नहीं होना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि संसद वर्ष में कम से कम दो बार बैठक करे।
स्थगन संसद की बैठक का एक अस्थायी निलंबन है, जो घंटों, दिनों या हफ्तों के लिए हो सकता है।
स्थगन: पीठासीन अधिकारी द्वारा किसी बैठक को अस्थायी रूप से रोकना।
सत्रावसान: प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा किसी सत्र का औपचारिक समापन।
राष्ट्रपति संसद की नियमित बैठकों में भाग नहीं लेते हैं, लेकिन प्रत्येक वर्ष पहले सत्र की शुरुआत में और प्रत्येक आम चुनाव के बाद दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हैं।
अनिश्चित काल के लिए स्थगन का अर्थ है सत्र को फिर से शुरू करने की तारीख तय किए बिना अनिश्चित काल के लिए निलंबित करना।
हां, सभी कार्यवाही का लोकसभा टीवी और राज्यसभा टीवी पर सीधा प्रसारण किया जाता है, जिससे पारदर्शिता और जन जागरूकता सुनिश्चित होती है।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको संसद सत्र (Sansad Satra in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। एग्जाम की तैयारी और बेहतर करने व UPSC में पूछे जाने वाले क्वैश्चंस के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।