हरिशंकर परसाई : हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार का जीवन परिचय – Harishankar Parsai Ka Jivan Parichay

1 minute read
Harishankar Parsai Ka Jivan Parichay

हिंदी साहित्य में जब भी व्यंग्य विधा का जिक्र होता है तब हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai Ka Jivan Parichay) का नाम हमारे जहन में याद आने लगता है। इसके साथ ही ‘नई कहानी आंदोलन’ में अपनी रचनाओं के माध्यम से हरिशंकर परसाई ने समाज के बदलते हुए जीवन मूल्यों, सामाजिक विसंगतियों और राजनीतिक भ्रष्टाचार का अपनी सीधी-सादी भाषा में सजीव चित्रण किया है। 

हिंदी साहित्य में उपन्यास, कहानी और व्यंग्य-लेख संग्रह विधाओं में अपना विशेष योगदान देने के लिए हरिशंकर परसाई को ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘शरद जोशी सम्मान’ तथा मध्य प्रदेश शासन द्वारा ‘शिक्षा सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका हैं। 

बता दें कि हरिशंकर परसाई की कई रचनाएँ जिनमें ‘वैष्णव की फिसलन’, ‘ठिठुरता हुआ गणतंत्र’, ‘विकलांग श्रद्धा का दौर’ (व्यंग्य लेख संग्रह) ‘हँसतें हैं रोते हैं’, ‘जैसे उनके दिन फिरे’, ‘भोलाराम का जीव’ (कहानी-संग्रह), ‘रानी नागफनी की कहानी’, ‘तट की खोज’ (उपन्यास) व ‘सदाचार का तावीज’, ‘शिकायत मुझे भी है’, ‘पगडंडियों का जमाना’ (निबंध-संग्रह), ‘गर्दिश के दिन’ (आत्मकथा) आदि को विद्यालय के साथ ही बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। 

वहीं बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी हरिशंकर परसाई का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। आइए अब हम हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का जीवन परिचय (Harishankar Parsai Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाम हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai)
जन्म 22 अगस्त, 1924
जन्म स्थान जमानी गाँव, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश 
शिक्षा एम.ए हिंदी (नागपुर विश्वविद्यालय) 
पेशा अध्यापक, संपादक, लेखक 
भाषा हिंदी 
विद्याएँ उपन्यास, कहानी, निबंध, व्यंग्य
उपन्यास ‘रानी नागफनी की कहानी’, ‘तट की खोज’ 
कहानी-संग्रह ‘हँसतें हैं रोते हैं’, ‘जैसे उनके दिन फिरे’, ‘भोलाराम का जीव’
निबंध-संग्रह ‘सदाचार का तावीज’, ‘शिकायत मुझे भी है’, ‘पगडंडियों का जमाना’
व्यंग्य-लेख संग्रह ‘वैष्णव की फिसलन’, ‘ठिठुरता हुआ गणतंत्र’, ‘विकलांग श्रद्धा का दौर’
आत्मकथा गर्दिश के दिन
संस्थापक व संपादक वसुधा (साहित्यिक पत्रिका)
पुरस्कार एवं सम्मान ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘शरद जोशी सम्मान’, ‘शिक्षा सम्मान’  
निधन 10 अगस्त, 1995 

नागपुर के होशंगाबाद जिले में था हुआ जन्म – Harishankar Parsai Ka Jivan Parichay

हिंदी साहित्य के मूर्धन्य व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त, 1924 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी गाँव में हुआ था। अल्प आयु में ही पहले माता और कुछ समय बाद पिता के आकस्मिक निधन के बाद उनका जीवन संघर्षमय बीता। वहीं जीवन की इस कठिन घड़ी में चार छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर आ गई। किंतु जीवन में आई सभी चुनौतियों का उन्होंने डट कर सामना किया तथा अविवाहित रहकर पूरे परिवार को संभाला। 

संघर्षों के बीच हासिल की एम.ए की डिग्री 

आर्थिक संकट से गुजरने के कारण हरिशंकर परसाई को मैट्रिक की पढ़ाई के दौरान ही नौकरी भी करनी पड़ी। बता दें कि वन विभाग नौकरी के साथ साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा व जीवन में आए तमाम उतार-चढ़ाव का समाना करते हुए उन्होंने ‘नागपुर विश्वविद्यालय’ से एम.ए हिंदी की डिग्री हासिल की।  

इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक अध्यापन का कार्य भी किया। जिसके बाद उन्हें शाजापुर के स्थानीय कॉलेज में कॉलेज प्रिंसिपल बनने का प्रस्ताव भी आया। किंतु लेखन के प्रति विशेष रूचि होने के कारण उन्होंने यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। 

साहित्यिक पत्रिका ‘वसुधा’ का प्रकाशन 

वर्ष 1947 में हरिशंकर परसाई ने जबलपुर से स्वतंत्र लेखन का कार्य शुरू किया। वहीं इसके साथ ही साप्ताहिक पत्रिका ‘वुसधा’ का प्रकाशन भी आरंभ किया। बता दें कि हरिशंकर परसाई ‘वसुधा’ के संस्थापक व संपादक थे। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से लोगों को गुदगुदाया व उनके समक्ष समाज में फैली विभिन्न प्रकार की कुरीतियों को बहुत सहजता से उठाया। 

वहीं हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai) की हिंदी साहित्य में व्यंग्य विधा को साहित्यिक प्रतिष्ठा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

यह भी पढ़ें – व्यंग्य और यथार्थ को परिभाषित करते हरिशंकर परसाई के विचार

हरिशंकर परसाई की साहित्यिक रचनाएँ – Harishankar Parsai Ka Sahityik Parichay

हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai Ka Jivan Parichay) ने हिंदी साहित्य में ‘नई कहानी आंदोलन’ के दौर में कई विधाओं में साहित्य का सृजन किया। इनमें मुख्य रूप से उपन्यास, कहानी, निबंध, व्यंग्य-लेख, आत्मकथा तथा संस्मरण विधाएँ शामिल हैं। यहाँ हरिशंकर परसाई की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-

उपन्यास 

  • रानी नागफनी की कहानी 
  • तट की खोज 
  • ज्वाला और जल

कहानी-संग्रह 

  • हँसते हैं रोते हैं
  • भोलाराम का जीव
  • दो नाक वाले लोग 

व्यंग्य-लेख संग्रह

  • वैष्णव की फिसलन
  • ठिठुरता हुआ गणतंत्र
  • विकलांग श्रद्धा का दौर
  • तिरछी रेखाएँ 

प्रमुख व्यंग्य

  • सदाचार का ताबीज 
  • शिकायत मुझे भी है 
  • पगडंडियों का जमाना
  • तब की बात और थी 
  • भूत के पाँव पीछे 
  • बेईमानी की परत 
  • और अंत में 
  • माटी कहे कुम्हार से 
  • हम एक उम्र से वाकिफ हैं 
  • अपनी अपनी बीमारी 
  • प्रेमचंद के फटे जूते 
  • आवारा भीड़ के खतरे 
  • ऐसा भी सोचा जाता है 
  • तुलसीदास चंदन घिसैं
  • काग भगोड़ा 

आत्मकथा 

  • गर्दिश के दिन

संपादन 

  • वसुधा – साहित्यिक पत्रिका

बाल साहित्य

  • अकाल उत्सव
  • जैसे उनके दिन फिरे

समीक्षा

  • सुदामा के चावल

हरिशंकर परसाई की भाषा शैली – Harishankar Parsai Ki Bhasha Shaili 

हरिशंकर परसाई अपनी रचनाओं में सामान्यतः आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग करते हैं। किंतु उनकी भाषा शैली व्यंग्य प्रधान है। साधारण बोलचाल की भाषा में लिखे छोटे वाक्य गंभीर व्यंग्य के उत्तम उदहारण है। उनके वाक्य संरचना के अनूठेपन के कारण उनकी भाषा की मारक क्षमता बहुत बढ़ जाती है जिसका पाठक पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। वे अपनी रचनाओं में मुख्यतः हिंदी, उर्दू और विदेशी भाषाओं के शब्दों का प्रयोग किया करते थे। 

पुरस्कार एवं सम्मान 

हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai Ka Jivan Parichay) को आधुनिक हिंदी साहित्य में विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं:-

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार – वर्ष 1982 
  • शरद जोशी सम्मान 
  • शिक्षा सम्मान – (मध्य प्रदेश शासन द्वारा सम्मानित)

निधन  

हिंदी साहित्य में नई कहानी आंदोलन में कई विधाओं में अनुपम कृतियों का सृजन करने वाले हरिशंकर परसाई का 10 अगस्त, 1995 को निधन हो गया। किंतु हिंदी साहित्य जगत में व्यंग्य विधा को साहित्यिक प्रतिष्ठा दिलाने के लिए उनके अतुलनीय योगदान को हमेशा याद किया जाता रहेगा। 

पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय 

यहाँ हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का जीवन परिचय (Harishankar Parsai Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-

के.आर. नारायणनडॉ. एपीजे अब्दुल कलाममहात्मा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरूसुभाष चंद्र बोस बिपिन चंद्र पाल
गोपाल कृष्ण गोखलेलाला लाजपत रायसरदार वल्लभभाई पटेल
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी मुंशी प्रेमचंद रामधारी सिंह दिनकर 
सुमित्रानंदन पंतअमरकांत आर.के. नारायण
मृदुला गर्ग अमृता प्रीतम मन्नू भंडारी
मोहन राकेशकृष्ण चंदरउपेन्द्रनाथ अश्क
फणीश्वर नाथ रेणुनिर्मल वर्माउषा प्रियंवदा
हबीब तनवीरमैत्रेयी पुष्पा धर्मवीर भारती
नासिरा शर्माकमलेश्वरशंकर शेष
असग़र वजाहतसर्वेश्वर दयाल सक्सेनाचित्रा मुद्गल
ओमप्रकाश वाल्मीकिश्रीलाल शुक्लरघुवीर सहाय
ज्ञानरंजनगोपालदास नीरजकृष्णा सोबती
रांगेय राघवसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’माखनलाल चतुर्वेदी 
दुष्यंत कुमारभारतेंदु हरिश्चंद्रसाहिर लुधियानवी
जैनेंद्र कुमारभीष्म साहनीकाशीनाथ सिंह
विष्णु प्रभाकरसआदत हसन मंटोअमृतलाल नागर 

FAQs 

हरिशंकर परसाई का जन्म कहाँ हुआ था?

हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त, 1924 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी गाँव में हुआ था।

हरिशंकर परसाई ने किस साहित्यिक पत्रिका का संपादन किया था?

हरिशंकर परसाई ने ‘वसुधा’ साहित्यिक पत्रिका का संपादन किया था। 

हरिशंकर परसाई को किस वर्ष साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?

बता दें कि हिंदी साहित्य में अपना बहुमूल्य योगदान देने के लिए उन्हें वर्ष 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से अलंकृत किया गया था। 

‘गर्दिश के दिन’ किस प्रकार की रचना है?

यह हिंदी साहित्य के विख्यात रचनाकार हरिशंकर परसाई जी की बहुचर्चित आत्मकथा है। 

हरिशंकर परसाई का निधन कब हुआ था?

हरिशंकर परसाई का 10 अगस्त, 1995 को निधन हो गया था। 

हरिशंकर परसाई की प्रसिद्ध रचना कौन सी है?

वैष्णव की फिसलन, ठिठुरता हुआ गणतंत्र, विकलांग श्रद्धा का दौर और तिरछी रेखाएँ उनकी प्रमुख व्यंग्य रचनाएँ मानी जाती हैं।

आशा है कि आपको हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का जीवन परिचय (Harishankar Parsai Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*