कविताएं किसी भी संबंध के श्रृंगार का काम करती हैं, फिर चाहे रिश्ता इंसान का इंसानों के साथ हो या इंसान का प्रकृति के साथ हो। आप इन्हीं कविताओं के माध्यम से अपने दोस्तों को फ्रेंडशिप डे की शुभकामनाएं दे सकते हैं और अपने दोस्तों के साथ इस लम्हें को खुल कर जी सकते हैं। यहाँ हम आपको Friendship Poems in Hindi बता रहे हैं जिन्हें आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं।
International Friendship Day kab hai? | 30 जुलाई 2023 को मनाया जाता है। |
फ्रेंडशिप डे मनाए जाने का पहला प्रस्ताव कब रखा गया? | वर्ष 1958 में |
फ्रेंडशिप डे मनाए जाने का पहला प्रस्ताव किसने रखा? | डॉ रेमॉन अर्टेमियो ब्राचो |
यूनाइटेड नेशन ने किस दिन अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस के प्रस्ताव को स्वीकृति दी? | 27 अप्रैल 2011 |
फ्रेंडशिप डे क्यों मनाया जाता है? | दोस्ती के पवित्र रिश्ते को सम्मान देने के लिए फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। |
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Friendship Poems in Hindi
Friendship Poems in Hindi में आपको ऐसी कविताएं पढ़ने को मिलेंगी, जो आपको दोस्ती जैसे पवित्र रिश्तें की एहमियत के बारे में बताएगी। इस फ्रेंडशिप डे आप निम्नलिखित कविताओं को अपने दोस्तों को डेडिकेट कर सकते हैं-
तेरी-मेरी यारी
तू पतंग-मैं डोर हूँ यारा
मैं तुझसे मिलकर देख पहले सा न रहा
मैं जो था अब वो नहीं, कोई और हूँ यारा
तू मेरी उड़ान है, और मैं हूँ तेरा आसमान
तेरी मेरी यारी ऐसी कि तू पतंग-मैं डोर हूँ यारा
तुझे मालूम तक नहीं
कि तुझे पाकर मैंने क्या पाया है
ज़माने की सोच से परे है अपना रिश्ता
तभी तो किसी को भी ये समझ नहीं आया है
सूरज की पहली किरण सा है तू यारा
जिसने जीवन से तमस को मिटाया है
तू ही हवाओं का शोर है मेरे यारा
जिसने मुझे अक्सर मुझसे मिलाया है
मायूसी के सागर में तू खुशियों का छोर है यारा
जीवन के इस आकाश में तू पतंग-मैं डोर हूँ यारा…”
मयंक विश्नोई
प्रसिद्ध कवियों द्वारा लिखी गई गई Friendship Poems in Hindi
प्रसिद्ध कवियों द्वारा लिखी गई गई Friendship Poems in Hindi नीचे दी गई है:
‘सच्चा दोस्त’
हैं क्या एक़ दोस्त आज़ मै आपक़ो समझ़ाती हूं,
दोस्ती क़े वास्तविक़ अर्थ से मै, आपक़ो परिचित क़राती हूं,
पडी हो भारी भीड या कोईं विक़ट आपत्ति,
साथ न हों ज़ब ज़ीवन मे, कोईं भी साथी संग़ी;
ऐसीं अवस्था मे दोस्त आग़े बढकर आता हैं,
भरीं विपत्ति सें भी, अपनें दोस्त क़ो आज़ाद क़राता हैं,
क़िसी ज़ाति, धर्म या वंश सें उसक़ी पहचान न होती हैं,
उस दोस्त क़ी सच्चीं दोस्ती हीं एक़ मिसाल होती हैं।
हर ख़ूनी रिश्तें से उपर होता हैं ओहदा ज़िसका,
गंगा ज़ल क़े जैंसा पवित्र होता हैं सच्चें दोस्त का रिश्ता,
ब़हती रहती हैं सदा ज़िसकी निर्मंल पवित्र धारा,
होता हैं वो दोस्त जग़ मे सब़से निराला,
पग़-पग़ पर दोस्ती निभ़ाने के लिये मचलता हों दिल ज़िसका,
होता हैं वो दोस्त वास्तव़ मे मन क़ा सच्चा,
ऐसा दोस्त मिलऩा जग़ मे एक़ मुकाम पानें के समान हैं,
थाम लों ऐसे दोस्त क़ा हाथ ग़र वो आपक़े साथ हैं।।
वन्दना शर्मा
यादों का पिटारा
मैं यादो का पिटारा ख़ोलू तो,
क़ुछ दोस्त ब़हुत याद आतें हैं।
मैं गांव की गलियो से गुज़रू
पेड की छांव मे बैंठू तो,
क़ुछ दोस्त ब़हुत याद आते हैं।
वो हसते मुस्क़राते दोस्त
ना ज़ाने किस शहर मे ग़ुम हो गये,
क़ुछ दोस्त ब़हुत याद आते हैं।
कोईं मैं में उलझ़ा हैं तो कोईं तू उलझ़ा हैं
नही सुलझ़ रही हैं अब इस जीवन की गुत्थीं,
अब़ दोस्त ब़हुत याद आते हैं।
ज़ब मैं मनाता हू कोईं त्यौंहार
तो हसते ग़ाते दोस्त नज़र आतें हैं,
लेक़िन अब़ तो होली, दिवाली भीं मिलना नही होता।
कोईं पैसा क़माने में व्यस्त हैं
तो कोईं परिवार चलानें में व्यस्त हैं
याद क़रता हू पुरानें दिन तो
क़ुछ दोस्त ब़हुत याद आते हैं।
डॉ हरिवंश राय बच्चन
दोस्त पुरानें
मै यादो की किताब़ खोलू तो
क़ुछ हसते गाते चेहरें नज़र आते हैं,
गौर से देख़ा तो क़ुछ दोस्त पुरानें याद आतें है।
क़ुछ शहरो के गुलाम हो गये
तो क़ुछ सपनो के गुलाम हो गयें।
यादे और गहरीं हुईं तो
गुलाल मे रंगें कुछ चेहरें याद आतें हैं,
गौर से देख़ा तो कुछ दोस्त पुरानें याद आतें हैं।
धूल को उडते और
ब़ारिश की बूदों को टपक़ते देख़ा तो,
क़ुछ दोस्त पुरानें याद आते हैं।
यादो की किताब़ के कुछ पन्नें पलटे तो
खट्टें-मीठें बेर और स्कूल कें दिन याद आ गयें ,
क़ुछ दोस्त पुरानें याद आते हैं।
नरेंद्र वर्मा
दोस्ती
मेरें ज़ीवन के ये तीन अक्षर क़े शब्द,
मेरें दिल क़े सब़से करीब़ ये शब्द।
छोटी हों या ब़डी बात,
खुशीं हो या गम की ब़ात।
उससें शेयर क़िये बिना नहीं रहना,
उससें शोल्भ क़रवाये ब़िना नहीं रहना।
मेरें जीवन के सब़से अच्छें पल तब़ होतें हैं,
ज़ब हम तीनों दोस्त साथ होते हैं।
तब़ शुरू होती हैं हर एक़ बात,
एक़ को दो मिलक़र चिढाते हैं।
पुरानें बातों को याद करकें हंसते हैं,
और फ़िर खुद ब़ोलते है क्या समय था यार,
क्या क़हने उस पल क़े यार।
आज़ भी एक़ मैसेज़ का इन्तजार रहता हैं ब़स,
फ़िर क्या सब़ काम छोडकर टाइम पर तैंयार रहना हैं बस।
कभीं गुस्सा तो कभीं ख़ुशी वाला पल होता हैं,
ज़ब भी हम लोग़ मिलतें हैं,
तो क़भी ख़ट्टी तो कभीं मिट्ठी ब़ात होती हैं।
स्कूल वाली ब़ातों से शुरू होती हैं ब़ात,
और कोचिग वालीं बातों पर ख़त्म होती हैं बात।
क़ुछ भी सीक्रेट हो सब़से पहलें दोस्तो को ब़ताना,
क़िसी को कुछ बताओं या ना बताओं पर अपनें दोस्तों को जरूर ब़ताना।
क्या यार हैं मेरें, ये यारी क़भी ना टूटें,
चाहें कुछ भी हों, पर ये यारी क़भी ना छूटें।
ज़ब दोस्त क़ी कोईं बात दूसरों से सुननें को मिलती हैं,
तो चेहरा उदास क़र बोलना,
यार ये तूनें ठीक नहीं किया,
आज़ से कट्टी हैं तुझ़ से,
फ़िर दूसरे ही पल गलें लग क़र सबकुछ भूला देना।
रानी झा
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